Delhi News: दिल्ली विधानसभा का सत्र मंगलवार को काफी हंगामेदार रहने की संभावना है, क्योंकि इस सत्र में 14 CAG (कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल) रिपोर्ट्स पेश की जाएंगी. BJP के नेतृत्व वाली सरकार का दावा है कि इन रिपोर्ट्स के माध्यम से अरविंद केजरीवाल सरकार के शासनकाल में हुए भ्रष्टाचार की पोल खुलेगी. सूत्रों के मुताबिक, इन रिपोर्ट्स में अलग-अलग सरकारी कार्यक्रमों और योजनाओं की अहम ऑडिट और आकलन शामिल हैं, जिनकी देरी पर AAP की सरकार की पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल उठाए जा रहे हैं.
इन रिपोर्टों में शामिल हैं:
1- राज्य वित्त ऑडिट रिपोर्ट (मार्च 2021 के अंत तक)
2- राजस्व, आर्थिक, सामाजिक और सामान्य क्षेत्र और सार्वजनिक उपक्रम रिपोर्ट (31 मार्च 2020 और 2021 तक)
3- दिल्ली में वाहन वायु प्रदूषण की रोकथाम और मिटिगेशन परफॉर्मेंस ऑडिट रिपोर्ट (31 मार्च 2021 तक)
4- देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों की परफॉर्मेंस ऑडिट रिपोर्ट (31 मार्च 2021 तक)
5- राज्य वित्त ऑडिट रिपोर्ट (मार्च 2022 के अंत तक)
6- दिल्ली में शराब आपूर्ति पर परफॉर्मेंस ऑडिट रिपोर्ट
7- राज्य वित्त ऑडिट रिपोर्ट (मार्च 2023 के अंत तक)
8- सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे और स्वास्थ्य सेवाओं के प्रबंधन पर परफॉर्मेंस ऑडिट रिपोर्ट
9- दिल्ली परिवहन निगम के कामकाज पर सीएजी की परफॉर्मेंस ऑडिट रिपोर्ट
10- 31 मार्च 2022 के लिए सीएजी की परफॉर्मेंस ऑडिट रिपोर्ट
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वी. के. सक्सेना ने पूर्व सीएम को लिखा पत्र
इन रिपोर्टों में से 4 रिपोर्ट फाइनेंस अकाउंट और अप्रोप्रिएशन (स्वायत्तीकरण) अकाउंट से संबंधित हैं, जो दिल्ली सरकार के लेखा नियंत्रक द्वारा 2021-22 और 2022-23 के लिए तैयार की गई हैं. दिसंबर 2024 में, दिल्ली के उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना ने विधानसभा के समक्ष CAG रिपोर्ट पेश नहीं करने के लिए पूर्व CM आतिशी की आलोचना की थी. इस वजह से उन्होंने 19-20 दिसंबर को एक विशेष सत्र भी बुलाया था.
सक्सेना ने पूर्व मुख्यमंत्री को एक पत्र में सरकार के संवैधानिक कर्तव्य पर जोर दिया था, जिसमें विधायिका के सामने वैधानिक ऑडिट रिपोर्ट पेश करने की आवश्यकता बताई गई थी. उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री को याद दिलाया कि ये रिपोर्ट सरकारी कार्यों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं. सक्सेना ने यह भी बताया कि लगातार चेतावनियों के बावजूद, CAG रिपोर्ट को 2 साल तक रोका गया, जिसे उन्होंने जानबूझकर की गई चूक बताया और प्रशासन की आलोचना करते हुए पारदर्शिता की कमी की ओर इशारा किया.