Delhi News: दिल्ली विधानसभा में हुए घटनाक्रम पर नेता विपक्ष आतिशी ने गंभीर चिंता जताई है. इस मुद्दे पर उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष को एक पत्र लिखा है. पत्र में आतिशी ने सत्ता पक्ष और विपक्षी विधायकों के साथ हुए असमान व्यवहार की कड़ी आलोचना की है.
3 दिन के लिए किया निलंबित- आतिशी
आतिशी ने मंगलवार को बताया कि 25 फरवरी को दिल्ली विधानसभा में उपराज्यपाल के अभिभाषण के दौरान सत्ता पक्ष के विधायकों ने मोदी-मोदी के नारे लगाए थे, लेकिन विपक्षी विधायकों ने बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों का सम्मान करते हुए 'जय भीम' के नारे लगाए. इस पर उन्होंने आपत्ति जताई, जबकि सत्ता पक्ष के विधायकों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई, वहीं विपक्ष के 21 विधायकों को 'जय भीम' के नारे लगाने के कारण 3 दिन के लिए निलंबित कर दिया गया.
विधानसभा परिसर में नहीं मिला प्रवेश
आतिशी ने आगे कहा कि जब निलंबित विधायकों ने लोकतांत्रिक तरीके से गांधी जी की प्रतिमा के सामने शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने का प्रयास किया, तो उन्हें विधानसभा परिसर में प्रवेश से रोक दिया गया. यह घटना लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन और जनता द्वारा दिए गए जनादेश का अपमान था. आतिशी ने यह सवाल भी उठाया कि जब विधानसभा अध्यक्ष विपक्ष के नेता थे, तो उन्हें गांधी प्रतिमा के समक्ष प्रदर्शन करने से नहीं रोका गया था तो अब यह क्यों हो रहा है. उन्होंने इसे संविधान और लोकतांत्रिक परंपराओं का उल्लंघन बताया.
गांधी प्रतिमा के पास प्रदर्शन करने की होती है अनुमती- आतिशी
पत्र में आतिशी ने यह भी लिखा कि संसद में यदि किसी सांसद को निलंबित किया जाता है, तो उन्हें संसद परिसर में गांधी प्रतिमा के समक्ष प्रदर्शन करने की अनुमति होती है, लेकिन दिल्ली विधानसभा में पहली बार निलंबित विधायकों को परिसर में प्रवेश से ही रोका गया. उन्होंने साफ किया कि जिस नियम का हवाला देकर विपक्षी विधायकों को रोका गया, उसमें कहीं भी यह नहीं लिखा गया था कि निलंबित विधायक विधानसभा परिसर में प्रवेश नहीं कर सकते या गांधी और अंबेडकर की प्रतिमा तक नहीं जा सकते.
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आतिशी ने लास्ट में यह कहा कि अगर विपक्ष की आवाज को दबाया जाएगा और विधायकों को अपने सवाल उठाने से रोका जाएगा, तो लोकतंत्र कैसे बच पाएगा? उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से अपील की कि वे लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करें और यह सुनिश्चित करें कि किसी भी विधायक को उसके संवैधानिक अधिकारों से वंचित न किया जाए. अंत में आतिशी ने बाबासाहेब अंबेडकर द्वारा दिए गए संविधान की रक्षा करने की बात भी की, जिसे उन्होंने लोकतंत्र की नींव बताया.