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Delhi Budget 2025: AAP से कैसे अलग होगा BJP सरकार का पहला बजट, क्या होंगी चुनौतियां, जानें

Delhi Budget 2025: 2014-15 में दिल्ली का बजट 36,766 करोड़ रुपये था, जो अब काफी बढ़ चुका है. केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी लागू करने के बाद सभी राज्यों की आय में वृद्धि हुई है. हालांकि, भाजपा को इस बढ़त को बनाए रखने की चुनौती का सामना करना पड़ेगा. बिना किसी नए टैक्स के कल्याणकारी योजनाओं को लागू करना एक महत्वपूर्ण कार्य होगा.  

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delhi cm rekha gupta
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Renu Akarniya|Updated: Mar 23, 2025, 04:14 PM IST
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Delhi Budget 2025: आठवीं दिल्ली विधानसभा का बजट सत्र सोमवार को सुबह 11 बजे शुरू होगा और शुक्रवार 28 मार्च तक चलेगा. वहीं नवनिर्वाचित दिल्ली सरकार का पहला बजट 25 मार्च को पेश करेगी. दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि सत्र कल राष्ट्रीय राजधानी के पुराने सचिवालय स्थित विधानसभा हॉल में शुरू होगा. 

CAG रिपोर्ट की जाएगी पेश 
विजेंद्र गुप्ता ने कहा, कल बजट सत्र का पहला दिन है. बजट 25 मार्च को पेश किया जाएगा. बजट सत्र के दौरान सीएजी रिपोर्ट भी पेश की जाएगी. बजट सत्र विधायी कैलेंडर में एक महत्वपूर्ण अवधि है, जिसके दौरान प्रमुख वित्तीय और नीतिगत मामलों पर चर्चा की जाएगी और उन पर निर्णय लिया जाएगा. सत्र को संभावित रूप से 24 मार्च से 28 मार्च, 2025 तक चलने के लिए निर्धारित किया गया है, जिसमें आवश्यकता पड़ने पर विस्तार का प्रावधान है. 

दिल्ली के बजट का पूरा शेड्यूल 
सत्र के दूसरे दिन, 25 मार्च को वार्षिक बजट की प्रस्तुति शामिल होगी, जिसमें सरकार की वित्तीय प्राथमिकताओं और वर्ष के लिए विकास एजेंडे की रूपरेखा होगी. बजट पर एक सामान्य चर्चा होगी, जिसमें 26 मार्च (बुधवार) को विधायक वित्तीय आवंटन और नीतिगत पहलों का विश्लेषण करने के लिए बजट पर विस्तृत चर्चा करेंगे. इसमें बजट पर विचार और पारित करना भी शामिल होगा, जहां विधानसभा 27 मार्च (गुरुवार) को प्रस्तावित बजट पर विचार-विमर्श करेगी और मतदान करेगी. इसके अलावा 28 मार्च (शुक्रवार) को निजी सदस्यों के व्यवसाय के लिए नामित किया गया है, जिससे विधायकों को प्रस्ताव और विधेयक पेश करने और उन पर बहस करने की अनुमति मिलती है. 

किन मुद्दों पर हो सकती है चर्चा 

दिल्ली स्कूलों की स्थिति में सुधार का दबाव
अरविंद केजरीवाल और आतिशी की सरकार को भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करना पड़ा है, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने यह छवि बनाने में सफलता हासिल की है कि उनकी सरकार में शिक्षा और स्वास्थ्य पर सबसे ज्यादा धन खर्च किया जाता है. यह एक महत्वपूर्ण पहलू है, क्योंकि एक मजबूत शिक्षा और स्वास्थ्य प्रणाली किसी भी समाज की नींव होती है. दिल्ली सरकार ने वर्ष 2024-25 के लिए 76,000 करोड़ रुपये के कुल बजट में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए 8,685 करोड़ रुपये और शिक्षा के लिए 16,396 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. यह दर्शाता है कि शिक्षा और स्वास्थ्य पर सरकार का ध्यान केंद्रित है, जो कुल बजट का 11.42 प्रतिशत और 21 प्रतिशत है. यह दर्शाता है कि सरकार इन क्षेत्रों में सुधार के लिए प्रतिबद्ध है. 

रेखा गुप्ता जैसे विशेषज्ञों ने सरकार पर दबाव डाला है कि वह शिक्षा-स्वास्थ्य के बजट को घटाए बिना दिल्ली स्कूलों की स्थिति में सुधार करें. यह चुनौती महत्वपूर्ण है, क्योंकि शिक्षा के क्षेत्र में सुधार से भविष्य के लिए अच्छी संभावनाएं बनती हैं.

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आयुष्मान योजना का बढ़ता दबाव
दिल्ली सरकार ने आयुष्मान योजना को लागू किया है, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं में एक नई दिशा मिली है. प्रारंभिक दौर में प्रीमियम केवल 1051 रुपये था, जिसमें केंद्र का योगदान 630.60 रुपये था. अब दिल्ली में आयुष्मान योजना का लाभ बढ़ाकर 10 लाख रुपये तक किया गया है, जिससे बीमा प्रीमियम भी दोगुना हो जाएगा. यह राज्य सरकार पर एक अतिरिक्त वित्तीय बोझ डालेगा.

कल्याणकारी योजनाओं की चुनौती
भाजपा सरकार के सामने यह चुनौती है कि वह बिना टैक्स बढ़ाए अपने द्वारा घोषित कल्याणकारी योजनाओं को पूरा करे. इसमें महिला आर्थिक सम्मान योजना, बुजुर्गों-विधवाओं-दिव्यांगों की पेंशन और गरीबों को सस्ता भोजन उपलब्ध कराने की योजनाएं शामिल हैं. अगरसरकार टैक्स का बोझ बढ़ाती है तो यह जनता में अलोकप्रिय हो सकती है. 

यमुना की सफाई की चुनौती
भाजपा ने चुनावों के दौरान यमुना की सफाई को एक बड़ा मुद्दा बनाया था. अब यह आवश्यक है कि वह पांच सालों के भीतर यमुना को साफ करने का कार्य पूरा करे. इसके लिए दिल्ली के नालों से निकलने वाली गंदगी को यमुना में गिरने से पहले साफ करना होगा. यह एक महंगा और समय कार्य है. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यमुना की सफाई के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की है, जिससे भाजपा इस मुद्दे पर पीछे नहीं हट सकती. सरकार को इसके लिए बजट जुटाना और यमुना को साफ करना बड़ी चुनौती साबित होगा. यह कार्य सरकार की प्राथमिकता में रहेगा, जिससे यह साबित होगा कि जनता ने उन्हें चुनकर कोई गलती नहीं की है. 

दिल्ली की आय में वृद्धि
दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार में 2014-15 में प्रति व्यक्ति आय 2.47 लाख रुपये थी, जो 2023-24 में बढ़कर 4.62 लाख रुपये हो गई है. यह वृद्धि लगभग 2.5 गुना है, जो दिल्ली की आर्थिक स्थिति को दर्शाता है. दिल्ली, जो देश की 1.55 प्रतिशत आबादी का प्रतिनिधित्व करती है, देश के सकल घरेलू उत्पाद में 3.89 प्रतिशत का योगदान देती है. यह आंकड़े यह स्पष्ट करते हैं कि दिल्ली की अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ है. 

2014-15 में दिल्ली का बजट 36,766 करोड़ रुपये था, जो अब काफी बढ़ चुका है. केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी लागू करने के बाद सभी राज्यों की आय में वृद्धि हुई है. हालांकि, भाजपा को इस बढ़त को बनाए रखने की चुनौती का सामना करना पड़ेगा. बिना किसी नए टैक्स के कल्याणकारी योजनाओं को लागू करना एक महत्वपूर्ण कार्य होगा.  

जनता की राय का महत्व
भाजपा प्रवक्ता शुभेंदु शेखर अवस्थी ने कहा कि आम आदमी पार्टी ने जनता की राय लेने का ढिंढोरा पीटा, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं हुआ. उन्होंने आरोप लगाया कि अरविंद केजरीवाल और आतिशी मारलेना ने मनमानी तरीके से दिल्ली का संचालन किया. अगर योजनाओं में जनता की राय ली गई होती तो गली-गली में शराब की दुकानें खोलने की अनुमति नहीं दी जाती.  

CM रेखा गुप्ता ने ली बजट पर राय 
भाजपा ने बजट पेश करने से पहले दिल्ली के विभिन्न वर्गों से राय ली है. मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने महिलाओं, श्रमिकों, व्यापारियों, और युवाओं से मिलकर बातचीत की. इसके अलावा, पार्टी ने ईमेल और व्हाट्सएप के माध्यम से सुझाव मांगें, जिसमें हजारों लोगों ने अपनी राय दी.  

कांग्रेस नेता रितु चौधरी ने कहा कि भाजपा ने दिल्ली को बेहतर बनाने का सपना दिखाया है, लेकिन अब उसे अपने वादे पूरे करने होंगे. उन्होंने कहा कि पिछले वर्षों में स्मार्ट शहर और आदर्श ग्राम बनाने के वादे अधूरे रहे हैं. यह देखना होगा कि भाजपा के नए वादे कितने वास्तविकता में बदलते हैं. 

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