Delhi News: दिल्ली में छह साल पुराने चेक बाउंस मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद एक दोषी और उसके वकील ने हाल ही में एक महिला जज को कोर्ट रूम में धमकाया और गाली-गलौज की.
द्वारका कोर्ट की न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी (NI एक्ट) शिवांगी मंगला द्वारा उसी दिन पारित आदेश के अनुसार दोषी ने 2 अप्रैल को जज से कहा, "तू है क्या चीज...... तू बाहर मिल देखते हैं कैसे जिंदा घर जाती है. उन्होंने आरोपी को निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 138 (चेक अनादर) के तहत दोषी ठहराया.
जज मंगला ने अपने आदेश में यह भी कहा कि उसके हाथ में एक वस्तु थी, जिसे उसने सजा का आदेश पारित करने के बाद उन पर फेंकने की कोशिश की. अपने पक्ष में फैसला न सुनने के बाद, वह खुली अदालत में जज पर "गुस्सा से भड़क गया" कि सजा का फैसला कैसे पारित किया जा सकता है, जज ने आदेश में उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि उन्होंने जज की मां के खिलाफ टिप्पणी करते हुए गलत भाषा में जज को परेशान करना शुरू कर दिया.
जज ने अपने आदेश में कहा, इसके बाद फिर से उन दोनों (दोषी और वकील) ने मुझे नौकरी से इस्तीफा देने के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान किया और फिर से उन दोनों ने आरोपी को बरी करने के लिए परेशान किया नहीं वे मेरे खिलाफ शिकायत दर्ज करेंगे और जबरन मेरा इस्तीफा दिलवाएंगे.
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जज ने आदेश में कहा कि धमकी और उत्पीड़न के लिए दोषी के खिलाफ राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) के समक्ष उचित कार्रवाई शुरू की जानी चाहिए. उन्होंने उसके वकील अतुल कुमार को कारण बताओ नोटिस जारी करने का भी आदेश दिया, ताकि वह लिखित रूप में उसके आचरण के लिए स्पष्टीकरण दे और यह बताए कि उसे दुर्व्यवहार के लिए आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट क्यों नहीं भेजा जाना चाहिए.
तीन दिन बाद, 5 अप्रैल को, न्यायाधीश ने दोषी को 22 महीने के साधारण कारावास की सजा सुनाई और उसे चेक मामले में 6.65 लाख रुपये का जुर्माना भरने का निर्देश दिया. दोषी के वकील ने नरम सजा का अनुरोध करते हुए कहा कि उसका मुवक्किल 63 वर्षीय सेवानिवृत्त सरकारी शिक्षक है और उसके तीन बेरोजगार बेटे हैं. 5 अप्रैल के अपने आदेश में उन्होंने मामले को द्वारका में दक्षिण-पश्चिम जिले के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश को भी भेज दिया, जिससे कि 2 अप्रैल के आदेश के संबंध में उचित कार्यवाही करने के लिए इसे दिल्ली हाईकोर्ट को भेजा जा सके.