trendingNow/india/delhi-ncr-haryana/delhiHaryana02351599
Home >>Delhi-NCR-Haryana

Delhi Crime: कोर्ट ने नाबालिग से बलात्कार के लिए एक व्यक्ति को सुनाई 20 साल कैद की सजा

दिल्ली की अदालत ने 2022 में 15 वर्षीय लड़की के अपहरण और बलात्कार के मामले में फैसला सुनाया. कोर्ट ने दोषी को 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई. फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि बचपन के दौरान यौन शोषण के मनोवैज्ञानिक निशान अमिट होते हैं और ये पीड़ित को हमेशा परेशान करते रहते हैं.

Advertisement
Delhi Crime: कोर्ट ने नाबालिग से बलात्कार के लिए एक व्यक्ति को सुनाई 20 साल कैद की सजा
Renu Akarniya|Updated: Jul 24, 2024, 09:03 PM IST
Share

Delhi Crime News: दिल्ली की अदालत ने 2022 में 15 वर्षीय लड़की के अपहरण और बलात्कार के मामले में फैसला सुनाया. कोर्ट ने दोषी को 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई. फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि बचपन के दौरान यौन शोषण के मनोवैज्ञानिक निशान अमिट होते हैं और ये पीड़ित को हमेशा परेशान करते रहते हैं. इससे उनके उचित शारीरिक और मनोवैज्ञानिक विकास में बाधा आती है. दोषी को यह सजा 2022 में ही होनी चाहिए. 

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुशील बाला डागर ने मामले में दिल्ली पुलिस की जांच की निंदा की. कोर्ट ने कहा कि जांच अधिकारी बिमलेश दोषी की पहली शादी के दस्तावेज एकत्र करने में विफल रहे. अदालत ने कहा कि पुलिस अधिकारी ने उस मंदिर के रजिस्टर की भी जांच नहीं की, जहां नाबालिग की शादी कराई गई थी. कोर्ट ने आईओ का आचरण को दोषपूर्ण बताते हुए उसके खिलाफ उचित विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की. हालांकि जांच में सभी खामियों के बावजूद पीड़ित बच्ची की गवाही दृढ़ रही, जो दोषसिद्धि में काम आया.

कोर्ट ने कहा कि अपराध की गंभीरता, पीड़ित बच्चे और दोषी की उम्र, दोषी और पीड़ित बच्चे की पारिवारिक स्थिति और उन्हें नियंत्रित करने वाले सामाजिक और आर्थिक कारकों समेत गंभीर और कम करने वाली परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, दोषी को सजा सुनाई जाती है. POCSO अधिनियम की धारा 6 के तहत दंडनीय अपराध के लिए 20 साल का कारावास की सजा सुनाई गई. इसी के साथ ही इसने उन्हें अपहरण और एक महिला को शादी के लिए मजबूर करने के अपराध के लिए सात-सात साल के कठोर कारावास की सजा भी सुनाई. कोर्ट ने कहा कि अपने फैसले में कहा कि सजाएं एक साथ चलेंगी.

ये भी पढ़ें: लाजपत नगर बम धमाके में 28 साल से फरार आरोपी को गिरफ्तारी के 15 दिन में मिली जमानत

बता दें कि व्यक्ति ने 5 मार्च 2022 को लड़की का अपहरण किया गया, उसे शादी के बहाने अपने साथ अवैध संबंध बनाने के लिए बहकाया और यौन उत्पीड़न किया. कोर्ट ने कहा कि बचपन के दौरान यौन शोषण के मनोवैज्ञानिक निशान अमिट हैं और वे व्यक्ति को हमेशा परेशान करते रहते हैं, जिससे उनके उचित शारीरिक और मनोवैज्ञानिक विकास में बाधा आती है.

कोर्ट ने कहा कि दोषी जैसे व्यक्ति बाल पीड़ितों को यह सोचकर गुमराह करते हैं कि वे एक कानूनी वैवाहिक संघ में प्रवेश कर रहे हैं. ऐसे प्रलोभनों से पीड़ित बच्चे को वैध संरक्षकता से दूर करने के साथ-साथ पढ़ाई से भी दूर कर दिया जाता है, जिससे नाबालिग पीड़ितों का जीवन प्रभावित होता है. इसमें कहा गया कि इस प्रकार दोषी को दिया जाने वाला दंड घृणित कृत्य की गंभीरता के अनुरूप होना चाहिए, जिससे कि यह समान विचारधारा वाले व्यक्तियों के लिए एक प्रभावी निवारक के रूप में कार्य कर सके. इस बीच कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की जांच की निंदा की. 

इसमें कहा गया है कि जांच अधिकारी (आईओ), सब-इंस्पेक्टर बिमलेश दोषी की पहली शादी के दस्तावेज एकत्र करने में विफल रहे और यह "उन कारणों से की गई दोषपूर्ण जांच का एक उदाहरण था जो उन्हें सबसे अच्छी तरह से पता था. कोर्ट ने कहा कि पुलिस अधिकारी ने उस मंदिर के रजिस्टर की भी जांच नहीं कि जहां नाबालिग की शादी कराई गई थी, जो फिर से आईओ द्वारा घटिया जांच को दर्शाता है. वर्तमान मामले में जांच एजेंसी की ओर से खामियां हैं जो दर्शाती हैं कि आईओ का आचरण दोषपूर्ण है और दोषी आईओ के खिलाफ उचित विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की गई है. हालांकि जांच एजेंसी की ओर से सभी खामियों के बावजूद, पीड़ित बच्चे की गवाही दृढ़ रही जिससे दोषसिद्धि हुई.

Read More
{}{}