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Delhi News: दिल्ली चुनाव में हार के बाद AAP को नगर निगम की सत्ता बचाने के लिए चाहिए 3 सीटें

दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) को मिली हार के बाद, अब पार्टी नगर निगम की सत्ता को बनाए रखने की कोशिश कर रही है. इस स्थिति में, पार्टी के वरिष्ठ नेता रणनीतियां बना रहे हैं ताकि निगम में खोई हुई स्थिति को पुनः प्राप्त किया जा सके.

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Delhi News: दिल्ली चुनाव में हार के बाद AAP को नगर निगम की सत्ता बचाने के लिए चाहिए 3 सीटें
Deepak Yadav|Updated: Feb 10, 2025, 10:05 AM IST
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Aam Aadmi Party: दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) को मिली हार के बाद, अब पार्टी नगर निगम की सत्ता को बनाए रखने की कोशिश कर रही है. इस स्थिति में, पार्टी के वरिष्ठ नेता रणनीतियां बना रहे हैं ताकि निगम में खोई हुई स्थिति को पुनः प्राप्त किया जा सके. विधानसभा चुनाव के परिणामों ने निगम में 10 सीटों को खाली कर दिया है, क्योंकि कई पार्षद चुनाव जीतकर विधायक बन गए हैं.

दिल्ली नगर निगम में 250 वार्ड
दिल्ली नगर निगम में कुल 250 वार्ड हैं, जिनमें से एक वार्ड द्वारका बी कमलजीत सहरावत के सांसद बनने के कारण खाली हो गया है. विधानसभा चुनाव में कुल 17 पार्षद मैदान में उतरे थे, जिनमें से भाजपा के 11 पार्षदों में से 7 और 'आप' के 6 पार्षदों में से 3 ने जीत हासिल की. इस प्रकार, विधानसभा चुनाव के बाद निगम में अब 239 पार्षद बचे हैं.

AAP के पास 119 और भाजपा के पास 113 पार्षद
वर्तमान में, आप के पास निगम में 119 और भाजपा के पास 113 पार्षद हैं, जबकि कांग्रेस के पास केवल 7 पार्षद हैं. इस समय के समीकरण बताते हैं कि 'आप' के पास निगम में बहुमत है. लेकिन यदि 11 खाली सीटों के लिए उपचुनाव होते हैं, तो स्थिति बदल सकती है. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि 'आप' को कम से कम तीन सीटें जीतनी होंगी ताकि वह निगम में अपनी सत्ता को बनाए रख सके.

11 सीटों पर उपचुनाव जल्द ही कराए जा सकते हैं
सूत्रों के अनुसार, नगर निगम चुनाव में अभी तीन साल से भी कम समय बचा है. ऐसे में, खाली हुई 11 सीटों पर उपचुनाव जल्द ही कराए जा सकते हैं. यदि 'आप' को इन उपचुनावों में कम से कम तीन सीटें नहीं मिलती हैं, तो भाजपा निगम में अधिक सीटें हासिल कर सकती है. वर्तमान में कांग्रेस से 'आप' को समर्थन की उम्मीद भी कम है, जिससे भाजपा को सत्ता में आने का मौका मिल सकता है.

दिल्ली नगर निगम के नए वित्तीय वर्ष के बजट को प्रस्तुत करने की तैयारियां तेज हो गई हैं. इस सप्ताह सदन की बैठक में बजट को आयुक्त अश्विनी कुमार द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा. निगम के नियमों के अनुसार, 15 फरवरी से पहले बजट को पेश करना अनिवार्य है. इसके तहत, निगम के प्रशासनिक कार्यों में करों की अनुसूची को निर्धारित किया जाता है. बजट में यह तय करना आवश्यक होता है कि नए वित्तीय वर्ष में संपत्ति कर की वसूली में बढ़ोतरी होगी या नहीं. हर विभाग को अप्रैल से उनके बजट के तहत फंड जारी होता है. इस वर्ष संपत्ति कर वसूली में अधिक बदलाव होने की संभावना कम है. अधिकारियों ने बताया कि उपराज्यपाल के निर्देश पर बजट को प्रस्तुत करने की तैयारियां की जा रही हैं.

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