Manish Sisodia: दिल्ली के पूर्व शिक्षा मंत्री और आप नेता मनीष सिसोदिया ने शिक्षा व्यवस्था को लेकर रेखा गुप्ता सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने अब तक सरकारी स्कूलों के सीबीएसई टॉपर्स को बधाई देना जरूरी नहीं समझा. इतनी बेरुख़ी? इतनी बेपरवाही? बच्चों ने सालभर मेहनत की। परिवारों ने सपने संजोए और मुख्यमंत्री साहिबा को इतनी भी फुर्सत नहीं कि उन्हें एक फोन कर दें. दिल्ली सरकार ने अब तक पास प्रतिशत और टॉपर्स के नाम तक घोषित नहीं किए हैं.
पुराने दिनों को याद करते हुए सिसोदिया ने कहा कि 2015 से हर साल, उसी दिन नाम घोषित होते थे. दो-तीन दिन के भीतर मुख्यमंत्री खुद कई टॉपर्स को अपने घर बुलाते थे, मिलते थे और उनके घर जाकर बधाई देते थे. सभी स्कूलों के टॉपर्स को उनके पैरेंट्स और टीचर्स के साथ त्यागराज स्टेडियम में बुलाकर सम्मानित किया जाता था, लेकिन आज सत्ता की कुर्सी इतनी बड़ी हो गई है कि बच्चों की मेहनत, उनका जज्बा, उनके सपने, सरकार को सब छोटे लगने लगे हैं. दिल्ली के नए हुक्मरान बच्चों की आंखों में झांकने से डरते हैं. ये संवेदनहीनता नहीं, सियासी पतन है.
यह बात उन्होंने मंगलवार को उस वक्त की, जब वह सीबीएसई बोर्ड के 10वीं-12वीं के टॉपर्स से मिले. उन्होंने बच्चों को उनकी उपलब्धि पर बधाई दी. उन्होंने कहा, बेशक आज मैं शिक्षा मंत्री नहीं हूं लेकिन मनीष सिसोदिया बनकर ही इस परंपरा को कायम रखा है और यह आगे भी जारी रहेगा. मनीष सिसोदिया ने कहा कि 2015 में दिल्ली के सरकारी स्कूल जर्जर हाल में थे. क्लासरूम में डेस्क, ब्लैकबोर्ड पंखें नहीं होते थे. टूटी दीवारें-खिड़कियां और बदहाल टॉयलेट सरकारी स्कूल की पहचान बन चुके थे, लेकिन हमने सरकारी स्कूलों को बदलने का काम किया.
सिसोदिया ने अपने एक्स हैंडल पर पोस्ट किया- मुझे गर्व है कि 2015 में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में जो शिक्षा क्रांति शुरू की थी, आज उसकी फसल लहरा रही है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार ईमानदारी से शिक्षा पर ध्यान दे तो किसी गरीब का बच्चा भी दुनिया की किसी भी बुलंदी तक पहुंच सकता है.
टॉपर्स ने की सिसोदिया से बात
मुलाकात के दौरान न्यू कोंडली के सरकारी स्कूल से दसवीं में शानदार प्रदर्शन करने वाली छात्रा मनीष सिसोदिया से मिलकर रो पड़ी. उसने बताया, मुझे यूपीएसई करनी है और इसके लिए मैंने अभी से मेहनत शुरू कर दी है. 12वीं में शानदार प्रदर्शन करने वाली सिया ने कहा कि, "आगे की पढ़ाई के बाद मुझे बैंकिंग सेक्टर में जाना है और लोगों को जागरूक करना है कि कैसे वो अपने फंड्स को बेहतर ढंग से निवेश कर सकते हैं.
वीर सावरकर सर्वोदय स्कूल से 10 वीं में शानदार प्रदर्शन करने वाली एक छात्रा ने कहा कि, मुझे बोर्ड में अच्छे मार्क्स मिले लेकिन मेरा मानना है कि जीवन में मार्क्स से ज़्यादा ये मायने रखता है कि आपने क्या सीखा और कितना सीखा. सिसोदिया ने अभिभावकों से भी बात की.