Karol Bagh History: राजधानी दिल्ली में घूमने के लिए कई जगहें हैं, जहां हर रोज लाखों पर्यटक आते हैं. इसी तरह से दिल्ली के बाजार विश्वभर में प्रसिद्ध हैं औरर इनमें से एक नाम करोल बाग का है. करोल बाग का बाजार अपने सस्ते सामान के लिए जाना जाता है. अगर आप कभी करोल बाग में गए हैं तो आपके मन में इसके नाम को लेकर सवाल जरूर आया होगा कि यहां तो कोई बाग भी नहीं है, फिर इसके नाम करोल बाग क्यों हैं. आइए जानते हैं करोल बाग के नाम की कहानी.
करोल बाग का नामकरण
करोल बाग के नाम के पीछे कई कहानियां प्रचलित हैं. ऐसा कहा जाता है कि इस इलाके का नाम लाला करोल नाम के एक उद्योगपति के नाम पर पड़ा है. वे 20वीं सदी की शुरुआत में यहां रहते थे. लाला करोल ने अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा इलाके के विकास के लिए दान किया, जिसमें स्कूलों, अस्पतालों और अन्य सार्वजनिक सुविधाओं का निर्माण कराया गया. उनकी याद में इस इलाके का नाम करोल बाग कहा जाने लगा.
हरी मिर्च से जुड़ी करोल बाग के नाम का कहानी
इस क्षेत्र का मूल रूप से कंटीली झाड़ियों से ढका एक चट्टानी क्षेत्र था और इसे पहले राजेंद्र नगर के रूप में जाना जाता था. वहीं, इसके नाम के पीछे एक और कहानी भी है. दरअसल, करोल बाग उर्दू शब्द से बना है. उर्दू में 'कारोल' का मतलब होता है 'हरी मिर्च की तरह घुमावदार' और 'बाग' का मतलब बगीचा. इस जगह का नाम कई हर्बल उद्यानों की वजह से करोल बाग पड़ा.
जोधा बाई का बाग
इसके अलावा, यह भी मान्यता है कि करोल बाग का नाम एक ऐतिहासिक बाग से पड़ा है, जिसका नाम मुगल शासक अकबर की रानी जोधा बाई के नाम पर रखा गया था. इसे आमतौर पर 'जोधा बाई का बाग' भी कहा जाता है.
आज का करोल बाग
आज करोल बाग दिल्ली के सबसे व्यस्त और भीड़भाड़ वाली जगहों में से एक है. करोल बाग मार्केट में रोजाना बड़ी संख्या में लोग खरीदारी करने पहुंचते हैं. अगर आप शॉपिंग करने के शौकीन हैं, तो एक बार दिल्ली के इस बाजार में जरूर जा सकते हैं. यहां कपड़े, जूते, घर सजाने का सामान, फूलदान, किताबें और इलेक्ट्रॉनिक सामान आसानी से मिल जाएगा.