trendingNow/india/delhi-ncr-haryana/delhiHaryana02066223
Home >>Delhi-NCR-Haryana

Delhi News: दिल्ली की जेलों से भीड़ कम करने के लिए छोड़े जाएंगे ये कैदी, मिली LG की मंजूरी

Delhi News: दिल्ली की  तिहाड़, मंडोली और रोहिणी जेल में बंद अशक्त दोषी, जिनकी उम्र 70 वर्ष या उससे अधिक है और जो अपने दैनिक काम करने में असमर्थ हैं को समय से पहले रिहा किया जा सकता है. LG वीके सक्सेना ने 'दिल्ली जेल नियम 2018' में संशोधन के लिए अधिसूचना के मसौदे को अपनी मंजूरी दे दी है.

Advertisement
Delhi News: दिल्ली की जेलों से भीड़ कम करने के लिए छोड़े जाएंगे ये कैदी, मिली LG की मंजूरी
Balram Pandey|Updated: Jan 18, 2024, 07:16 PM IST
Share

Delhi News: दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने 'दिल्ली जेल नियम 2018' में संशोधन के लिए अधिसूचना के मसौदे को अपनी मंजूरी दे दी है. इससे दिल्ली की जेलों में तय अवधि की कैद की सजा काट रहे 'अक्षम कैदियों' की समय से पहले रिहाई का रास्ता साफ हो जाएगा. यह संशोधन दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा, एक रिट याचिका पर सुनवाई के दौरान दिए गए आदेश के अनुपालन में किया गया है. 

दरअसल, जेल सुधार पर अखिल भारतीय समिति (1982-1983 मुल्ला समिति) और मॉडल जेल नियम, 2003 की रिपोर्ट के संदर्भ में अशक्त कैदियों की समय से पहले रिहाई की मांग की गई थी. इस संशोधन का उद्देश्य ऐसे बुजुर्ग/अशक्त कैदियों के प्रति मानवीय दृष्टिकोण सुनिश्चित करना, साथ ही दिल्ली की तिहाड़, मंडोली और रोहिणी जेल में कैदियों की भीड़ को कम करना है, जहां 10,026 की कुल क्षमता के मुकाबले 20,000 से अधिक कैदी बंद हैं.

संशोधन के मुताबिक नियम 1246-ए को दिल्ली जेल नियम 2018 में शामिल किया गया है, जिस पर जेल विभाग द्वारा प्रस्तावित और गृह और कानून विभागों द्वारा सहमति व्यक्त की गई है. इसके बाद, गृह विभाग द्वारा मसौदा अधिसूचना की मंजूरी के लिए उपराज्यपाल के पास भेजा गया था. अब तक, दिल्ली जेल नियम 2018 के नियम 1251 के अनुसार, केवल आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदियों को, जिन्होंने अपनी वास्तविक सजा के 14 साल बिताए हैं, सजा समीक्षा बोर्ड (Sentence Review Board) की सिफारिशों पर समय से पहले रिहा किया जाता था.

ये भी पढ़ें- Delhi Pollution: दिल्लीवासियों को प्रदूषण से राहत, CAQM ने हटाई GRAP-3 की पाबंदियां

अब नियमों में संशोधन के साथ ऐसे अशक्त दोषी, जिनकी उम्र 70 वर्ष या उससे अधिक है और जो अपने दैनिक काम करने में असमर्थ हैं को खासतौर पर गठित समीक्षा समिति की सिफारिशों पर समय से पहले रिहा किया जा सकता है. इन कैदियों में वे कैदी शामिल हैं, जो एक निश्चित अवधि के लिए कठोर या साधारण कारावास की सजा काट रहे हैं और सजा के खिलाफ उनकी अपील का फैसला अपीलीय अदालतों द्वारा किया जा चुका है.

हालांकि, ये नियम ऐसे किसी भी अशक्त दोषी पर लागू नहीं होगा, जिसको मृत्यु दंड या उम्रकैद या एनडीपीएस अधिनियम 1985 या पॉस्को अधिनियम 2012 या Negotiable Instrument Act 1881 या गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम 1967 या आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम 1985 या आतंकवाद से संबंधित कोई अपराध या राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा जांच किए गए मामले या भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 या धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 के तहत दोषी ठहराया गया हो.

संशोधन के अनुसार, केवल जिन कैदियों को मेडिकल बोर्ड द्वारा अशक्त दोषी घोषित किया जाएगा और जो दोषी ठहराए जाने के बाद कोर्ट से पाई कम से कम आधी सजा (अर्जित छूट की अवधि की गणना किए बिना) को काट चुके हों और जो इस नियम के दायरे में आते हों, ऐसे योग्य कैदियों की ही समय से पूर्व रिहाई पर विचार किया जाएगा. इसके लिए एक मूल्यांकन समिति होगी, जो मेडिकल बोर्ड के सर्टिफिकेट के आधार पर दोषी की चिकित्सा स्थिति का मूल्यांकन करेगी. 

मूल्यांकन समिति में ये लोग होंगे शामिल 
उप महानिरीक्षक (जेल), रेंज
संबंधित जेल अधीक्षक-सदस्य सचिव,
रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर जेल- सदस्य,

किसी भी सरकारी अस्पताल से संबंधित क्षेत्र के कम से कम दो विशेषज्ञ डॉक्टरों को डीजी (जेल) द्वारा सदस्य को रूप में नामित किया जाएगा. इसके अलावा, एक सामाजिक जांच रिपोर्ट (Social Investigation Report), जिसमें दोषी से जुड़े अपराध के पीड़ितों की प्रतिक्रिया शामिल होगी, निर्णय लेते समय समिति को प्रस्तुत करनी होगी. महानिदेशक (जेल) अपने अनुसार, एम्स जैसे किसी चिकित्सा संस्थान की राय भी ले सकते हैं. मूल्यांकन समिति यह भी सिफारिश कर सकती है कि दोषी इस नियम के तहत समय से पहले रिहाई के लिए उपयुक्त है या नहीं.

मूल्यांकन समिति को किसी दोषी की रिहाई को अस्वीकार करने का अधिकार होगा. समिति द्वारा अनुशंसित सभी योग्य मामलों को समय से पहले रिहाई के लिए और शेष सजा की माफी की मंजूरी के लिए उपराज्यपाल को प्रस्तुत किया जाएगा.

Read More
{}{}