Delhi Metro: दिल्ली मेट्रो (DMRC) की परियोजना गोल्डन लाइन (तुगलकाबाद–एरोसिटी) के बनने का काम तेजी से चल रहा है. यह लाइन मेट्रो फेज 4 के तहत बनी है. यह दक्षिणी दिल्ली और NCR के लाखों यात्रियों के लिए राहत लेकर आएगी. खासकर के तुगलकाबाद स्टेशन, जो इस लाइन का एक मेन इंटरचेंज और टर्मिनल स्टेशन होगा. यह कई मायनों में खास बनने जा रहा है.
ये स्टेशन बनेगा इंटरचेंज का केंद्र
तुगलकाबाद मेट्रो स्टेशन को मौजूदा वायलेट लाइन (कश्मीरी गेट–बल्लभगढ़) से कनेक्ट किया जा रहा है. यह गोल्डन लाइन पर एक नया जमीन के अंदर इंटरचेंज स्टेशन होगा. यह स्टेशन फरीदाबाद, बल्लभगढ़, बदरपुर और दक्षिणी दिल्ली के यात्रियों के लिए IGI एयरपोर्ट तक मेट्रो यात्रा को कहीं अधिक तेज और आसान बनाएगा.
चार स्तरीय भूमिगत स्टेशन
DMRC के मुताबिक, तुगलकाबाद मेट्रो स्टेशन को 4 स्तरों में बनाया जा रहा है.
सबसे निचे: प्लेटफॉर्म
दूसरा नंबर पर कानकोर्स (टिकट काउंटर, कस्टमर केयर, एएफसी गेट)
तीसरा नंबर पर भूमिगत वाहन पार्किंग (250 वाहनों की क्षमता)
ऊपरी हिस्सा पर स्टेशन की बाहरी संरचना और एंट्री-एग्जिट गेट्स
यह दिल्ली मेट्रो का पहला ऐसा इंटरचेंज स्टेशन होगा, जिसमें भूमिगत पार्किंग की सुविधा होगी.
45 मीटर लंबा
तुगलकाबाद के मौजूदा वायलेट लाइन स्टेशन और नया जमीन के अंगर वाला स्टेशन एक 45 मीटर लंबे सब-वे से जुड़े होंगे, जिससे लोग एक लाइन से दूसरी लाइन पर आसानी से जा सकेंगे. साथ ही यह स्टेशन एक टर्मिनल स्टेशन भी होगा, जो सरिता विहार डिपो से सुरंग के माध्यम से जुड़ा रहेगा. वर्तमान समय में बल्लभगढ़, फरीदाबाद और तुगलकाबाद के यात्री एयरपोर्ट टर्मिनल-1 तक पहुंचने के लिए वायलेट लाइन से कालकाजी होते हुए मजेंटा लाइन पर जाते हैं , जिसमें 90 मिनट लग जाते हैं. वहीं टर्मिनल-3 पर पहुंचने में येलो लाइन और एयरपोर्ट एक्सप्रेस के माध्यम से लगभग 2 घंटे लग जाते हैं. गोल्डन लाइन के शुरू होते ही यात्री तुगलकाबाद से डायरेक्ट एरोसिटी और फिर टर्मिनल-3 तक पहुच सकेंगे. इसमें महज 1 घंटे समय लगेगा.
ये भी पढ़ें- इतने दिन के लिए नमो भारत पर सेवाएं बंद, आंधी-तूफान से रैपिड रेल स्टेशन की उड़ी छत
नीचे से गुजरती सुरंग
गोल्डन लाइन की एक खास बात यह भी है कि इसकी एक सुरंग तुगलकाबाद रेलवे स्टेशन के नीचे से बनाई जा रही है. यह सुरंग 18 मीटर गहराई पर होगी, जिससे ऊपर रेलवे ट्रैक और नीचे मेट्रो ट्रैक एक साथ संचालित हो सकेंगे. यह तकनीकी रूप से एक चुनौतीपूर्ण काम है. इस स्टेशन का निर्माण कार्य लगभग 70% पूरा हो चुका है. DMRC को उम्मीद है कि अगले सा के लास्ट तक गोल्डन लाइन पूरी तरह से तैयार हो जाएगी.