Delhi Muslim Daughter: दिल्ली की रहने वाली एक युवती नेहा खान ने समाज की परंपराओं और अपने साथ हुए अन्याय के खिलाफ एक बड़ा फैसला लेते हुए इस्लाम धर्म छोड़ सनातन धर्म को अपना लिया. अब वह नेहा शर्मा के नाम से जानी जाएंगी. यह परिवर्तन उन्होंने न सिर्फ अपने जीवन को एक नई दिशा देने के लिए किया, बल्कि एक साहसिक संदेश देने के लिए भी कि जब जीवन में धार्मिक या सामाजिक बंदिशें व्यक्ति की स्वतंत्रता पर असर डालें, तो बदलाव जरूरी होता है. नेहा, जो दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई कर चुकी हैं, पिछले साल अब्दुल्ला शेख नाम के युवक से निकाह करके शादीशुदा जिंदगी में कदम रख चुकी थीं. लेकिन यह रिश्ता ज्यादा दिन नहीं चला और महज एक साल के भीतर उनका तलाक हो गया. तलाक के बाद उनके अब्बू ( पिता) ने जो प्रस्ताव रखा, उसने नेहा को भीतर तक झकझोर दिया. पिता ने हलाला की बात कही, जिससे नेहा पूरी तरह टूट गईं.
पिता करना चाहते थे 'हलाला'
इसी दौरान जब जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की खबरें सामने आईं, तो नेहा का दिल और ज्यादा व्यथित हो उठा. देश के जवानों की शहादत और आतंकियों की बर्बरता ने उनके मन में कुछ बदलने की भावना को और मजबूत कर दिया. उन्होंने तय कर लिया कि अब वो ऐसे समाज का हिस्सा नहीं बनेंगी, जो उनकी इच्छाओं की कद्र नहीं करता और आतंक का भी परोक्ष समर्थन करता है. नेहा ने हिंदू रक्षा दल के सहयोग से एक मंदिर में हवन और शुद्धि संस्कार के साथ विधिवत सनातन धर्म को अपनाया. इस मौके पर मंदिर परिसर में स्थानीय लोगों और कार्यकर्ताओं ने उनका स्वागत किया और उनका उत्साह बढ़ाया.
देश में चर्चा का विषय बन रहा नेहा का कदम
नेहा अब खुद को पूरी तरह सनातन धर्म का हिस्सा मानती हैं. उनका कहना है कि अब उन्हें मानसिक शांति और आत्मिक संतोष मिला है. उन्होंने कहा कि वे आगे चलकर मुस्लिम समाज की उन बेटियों को जागरूक करने का प्रयास करेंगी, जो जबरन परंपराओं की बेड़ियों में जकड़ी हुई हैं. नेहा शर्मा का यह साहसी कदम अब न केवल दिल्ली बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है.
भारत ही है अब अपना घर: पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थी गोपी दास की अपील
पहलगाम हादसे के बाद दिल्ली में हिंदू शरणार्थी की जांच चल रही है, ऐसे लोगों की लिस्ट तैयार की जा रही है जो बिना डॉक्यूमेंट के अवैध रूप से यहां रह रहे हैं. जी न्यूज की टीम दिल्ली के सिग्नेचर ब्रिज के पास बसे एक शरणार्थी कैंप पहुंची. इस कैंप में 1050 के आसपास हिंदू शरणार्थी रहते है. पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थी गोपी दास ने भावुक होकर कहा कि अब उनका घर भारत ही है. गोपी दास ने बताया कि वे पाकिस्तान के हालात से तंग आकर अपने माता-पिता और भाई-बहनों को पीछे छोड़ भारत आए हैं. वे कहते हैं कि मैं 6 परिवारों के दस्तावेज लेकर गया था, लेकिन अब यही मर जाऊंगा, पाकिस्तान लौटने का सवाल ही नहीं. गोपी ने पहलगाम हमले की निंदा करते हुए अपील की कि प्रशासन जांच करे, लेकिन शरणार्थियों को यहीं बसने दिया जाए.
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