trendingNow/india/delhi-ncr-haryana/delhiHaryana02801296
Home >>दिल्ली/एनसीआर

Delhi News: हत्यारा कोई और था... सजा कोई दूसरा काट रहा था, 22 साल बाद फॉरेंसिक ने दिलाया इंसाफ

22 Year Old Murder Case Australia: कोर्ट में जब मोहम्मद बशीरुद्दीन के वकील ने अपनी बात रखी, तो हर किसी की आंखों में हैरानी थी और दिलों में सवाल. उन्होंने तर्कों के साथ अदालत के सामने वह सच रखा, जो सालों से परछाई में था. यह कोई आम गलती नहीं थी यह एक जिंदगी की त्रासदी थी, जिसमें एक बेकसूर इंसान को एक ऐसी हत्या के लिए जिम्मेदार ठहराया गया, जिसका वो गवाह तक नहीं था.

Advertisement
Delhi News: हत्यारा कोई और था... सजा कोई दूसरा काट रहा था, 22 साल बाद फॉरेंसिक ने दिलाया इंसाफ
Delhi News: हत्यारा कोई और था... सजा कोई दूसरा काट रहा था, 22 साल बाद फॉरेंसिक ने दिलाया इंसाफ
Zee News Desk|Updated: Jun 15, 2025, 08:43 AM IST
Share

Patiala House Court: दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने एक ऐसा फैसला सुनाया, जिसने इंसाफ पर लोगों का भरोसा और मजबूत कर दिया. मामला 22 साल पुराने एक हत्याकांड का है, जिसमें असली गुनहगार की जगह एक निर्दोष शख्स को आरोपी बना दिया गया था, लेकिन अदालत ने सबूतों के आधार पर सच्चाई को सामने लाया और निर्दोष को न्याय दिलाया.

क्या था मामला
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मोहम्मद बशीरुद्दीन नामक व्यक्ति को 17 मई 2025 को दिल्ली पुलिस ने ऑस्ट्रेलिया की पुलिस के रेड कॉर्नर नोटिस के आधार पर गिरफ्तार किया था. आरोप था कि उन्होंने 29 जून 2003 को ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में एक व्यक्ति शौकत मोहम्मद की नृशंस हत्या की थी. बताया गया कि पहले उसे नशीली दवा दी गई, फिर बुरी तरह पीटा गया और आखिर में स्लीपिंग बैग में बंद कर उसका गला घोंट दिया गया। शव एक कूड़ेदान (व्हीली बिन) में मिला था.

पर क्या वाकई यही थे हत्यारे?
कोर्ट में आरोपी की ओर से पेश वकील ने बेहद मजबूत दलीलें दीं. उन्होंने बताया कि यह पूरा मामला 'गलत पहचान' का है. असली आरोपी का नाम था 'बशीरुद्दीन मोहम्मद', जबकि पकड़े गए शख्स का नाम 'मोहम्मद बशीरुद्दीन' है. वकील ने यह भी कहा कि उनके मुवक्किल ने कभी ऑस्ट्रेलिया की यात्रा की ही नहीं और उनके पास वहां का कोई वीजा रिकॉर्ड भी नहीं है. उन्होंने 2016 में भारतीय पासपोर्ट प्राप्त किया और केवल सऊदी अरब की धार्मिक यात्राओं पर गए थे.

फॉरेंसिक रिपोर्ट ने खोल दी सच्चाई
12 जून को कोर्ट को सीएफएसएल की फॉरेंसिक रिपोर्ट सौंपी गई, जिसे 13 जून को खुली अदालत में खोला गया. रिपोर्ट ने सच्चाई सामने रख दी. मोहम्मद बशीरुद्दीन के फिंगरप्रिंट्स और 2003 के अपराध स्थल से मिले फिंगरप्रिंट्स में कोई मेल नहीं था.

कोर्ट ने सुनाया सच्चा फैसला
अतिरिक्त महानगर दंडाधिकारी (AMM) प्रणव जोशी ने फैसला सुनाते हुए कहा कि यह साफ है कि आरोपी अपराध स्थल पर मौजूद नहीं था और उस पर लगाया गया हर आरोप गलत पहचान का नतीजा था. इसके साथ ही मोहम्मद बशीरुद्दीन को तुरंत प्रभाव से सभी आरोपों से बरी कर दिया गया.

ये भी पढ़िए- नायब सैनी को लुधियाना में दिखाए काले झंडे, पंजाब का पानी छीनने पर जनता ने घेरा

Read More
{}{}