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Delhi News : पुरानी गाड़ियों पर बैन से राजधानी में गरमाई सियासत, पढ़ें नेता और जनता की राय

Ban on Vehicles in Delhi Causes Chaos: दिल्ली में 1 जुलाई से 10 साल पुरानी डीजल और 15 साल पुरानी पेट्रोल गाड़ियों को ईंधन नहीं मिलेगा. टीएमसी सांसद साकेत गोखले ने इसे गलत और मध्यम वर्ग पर बोझ बताया. सीएम रेखा गुप्ता ने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि प्रदूषण रोकने के लिए सख्त कदम जरूरी हैं.

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Delhi News : पुरानी गाड़ियों पर बैन से राजधानी में गरमाई सियासत, पढ़ें नेता और जनता की राय
Delhi News : पुरानी गाड़ियों पर बैन से राजधानी में गरमाई सियासत, पढ़ें नेता और जनता की राय
Zee News Desk|Updated: Jul 03, 2025, 02:04 PM IST
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Delhi : राजधानी दिल्ली में 1 जुलाई से 10 साल पुरानी डीजल और 15 साल पुरानी पेट्रोल गाड़ियों को पेट्रोल पंपों पर ईंधन नहीं मिलने पर रोक लग गई है. दिल्ली सरकार के इस फैसले ने जहां सियासत को गरमा दिया है, वहीं आम जनता भी इस पर बटी नजर आ रही है. कोई इसे सही बता रहा है तो कोई इसे गरीब और मध्यम वर्ग पर हमला बता रहा है.

साकेत गोखले ने किया विरोध
टीएमसी के राज्यसभा सांसद साकेत गोखले ने इस नीति को पूरी तरह गलत और तर्कहीन बताया. उन्होंने कहा कि मौजूदा कानून के मुताबिक 15 साल बाद गाड़ी की आरसी तभी रिन्यू होती है जब वह फिटनेस और प्रदूषण जांच में पास होती है. जब यह नियम पहले से है, तो 10 और 15 साल पुरानी गाड़ियों पर सीधी पाबंदी का कोई मतलब नहीं. गोखले ने इसे सीधे-सीधे 62 लाख लोगों पर बोझ बताया और कहा कि यह नीति मध्यम वर्ग के लिए बड़ा झटका है. उन्होंने आरोप लगाया कि यह नीति सिर्फ बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए बनाई गई है. उन्होंने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से दखल देने की मांग की और कहा कि अगर यह फैसला वापस नहीं लिया गया तो संसद के मानसून सत्र में यह मुद्दा उठाया जाएगा.

रेखा गुप्ता ने किया बचाव
दिल्ली सरकार की तरफ से सीएम रेखा गुप्ता ने इस फैसले का बचाव करते हुए कहा कि पिछले 27 साल में किसी ने इस बात की चिंता नहीं की कि दिल्ली के लोग गैस चैंबर में जी रहे हैं. उन्होंने कहा कि ओड-ईवन से भी पूरी तरह प्रदूषण नहीं रुका, इसलिए अब सख्त कदम उठाना जरूरी हो गया है.

मनीष सिसोदिया ने भी उठाए सवाल
आप के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली के 61 लाख परिवारों पर जबरदस्ती नई गाड़ियां खरीदने का दबाव डाला जा रहा है. उन्होंने इसे बीजेपी की सरकार द्वारा ऑटोमोबाइल कंपनियों को फायदा पहुंचाने वाला कदम बताया और कहा कि दिल्ली सरकार को सरकार चलानी नहीं आ रही.

पर्यावरणविदों और संगठनों की राय
पर्यावरणविद दिवान सिंह ने कहा कि यह फैसला न तो सामाजिक न्याय के हिसाब से सही है और न ही पर्यावरण के. उन्होंने कहा कि अगर गाड़ी फिट है, तो उसे जबरन स्क्रैप करना गलत है. उन्होंने बताया कि नई गाड़ी बनाने में जितना कार्बन पैदा होता है, उतना ही एक गाड़ी अपनी पूरी उम्र में प्रदूषण करती है. उन्होंने इसे नासमझी भरा फैसला बताते हुए इसे तुरंत रिवाइज करने की सलाह दी. ऑल इंडिया मोटर और गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र कपूर ने भी कहा कि यह गरीब और मध्यम वर्ग पर सीधा प्रहार है. उन्होंने सरकार से इस पर दोबारा सोचने की अपील की.

जनता की मिली-जुली प्रतिक्रिया
एनसीआर के कई इलाकों में लोग इस फैसले पर बटे नजर आए. बल्लभगढ़ की एक महिला ने कहा कि फैसला सही है लेकिन मध्यम वर्ग के लिए यह मुश्किल है, क्योंकि लोग बड़ी मुश्किल से गाड़ी खरीद पाते हैं. वहीं कुछ युवाओं ने कहा कि सरकार का यह फैसला बिल्कुल सही है, क्योंकि पुरानी गाड़ियां ज्यादा प्रदूषण करती हैं और सरकार के कदम से प्रदूषण में कमी आएगी. साउथ वेस्ट जिले के सागरपुर इलाके में कई लोगों ने सरकार के फैसले की तारीफ की. लोगों ने कहा कि पिछली सरकारों ने दिल्ली को गैस चैंबर बना दिया था. ऑड-ईवन से थोड़ा असर हुआ था, लेकिन अब इस फैसले से और राहत मिलेगी. इसके अलावा  पूर्वी दिल्ली के लोगों ने इस फैसले का विरोध किया और कहा कि सरकार को हर साल गाड़ियों की फिटनेस चेक करनी चाहिए थी, जिससे सही गाड़ियां चलती रहतीं और प्रदूषण भी घटता है.

इनपुट- अमित चौधरी, सचिन वालियान

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