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Artificial Rain In Delhi: दिल्ली में होगी आर्टिफिशियल रेन, ऐसे होगी बरसात

Artificial Rain In Delhi: क्लाउड सीडिंग के ट्रायल दिल्ली के बाहरी और उत्तर-पश्चिमी इलाकों में किए जाएंगे. कुल मिलाकर पांच ट्रायल किए जाएंगे, जिसमें हर दिन एक ट्रायल होगा. इन ट्रायल्स में एयरक्राफ्ट से बादलों में विशेष रसायन डाले जाएंगे, जो 1-1.5 घंटे तक प्रभावी रहेंगे. 

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Artificial Rain In Delhi: दिल्ली में होगी आर्टिफिशियल रेन, ऐसे होगी बरसात
Renu Akarniya|Updated: Jun 18, 2025, 10:38 PM IST
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Artificial Rain In Delhi: दिल्ली पिछले कई साल से गैस चेंबर के रूप में जानी जा रही है. यहां के प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ गया है कि यह पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है. कई रिसर्च में यह सामने आया है कि दिल्ली में रहने से लोगों की उम्र में कमी आ रही है. यह स्थिति चिंताजनक है और इसके समाधान के लिए दिल्ली सरकार ने ठोस कदम उठाने का निर्णय लिया है. दिल्ली सरकार ने प्रदूषण से निपटने के लिए आईआईटी कानपुर के साथ अनुबंध किया है. इस सहयोग से आर्टिफिशियल रेन के लिए रिसर्च किया गया है. आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों ने इस प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है. अब भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने दिल्ली के पहले क्लाउड सीडिंग पायलट प्रोजेक्ट को हरी झंडी दे दी है.  

क्लाउड सीडिंग के ट्रायल दिल्ली के बाहरी और उत्तर-पश्चिमी इलाकों में किए जाएंगे. कुल मिलाकर पांच ट्रायल किए जाएंगे, जिसमें हर दिन एक ट्रायल होगा. इन ट्रायल्स में एयरक्राफ्ट से बादलों में विशेष रसायन डाले जाएंगे, जो 1-1.5 घंटे तक प्रभावी रहेंगे. यह प्रक्रिया बादलों की उपलब्धता पर निर्भर करेगी. इसका उद्देश्य स्वच्छ हवा सभी का अधिकार है. एंटी स्मॉग गन, स्प्रिंकलर और निर्माण स्थलों पर धूल रोकने के कड़े नियमों से लेकर अब आसमान तक हम दिल्ली की हवा को साफ करने की दिशा में हर संभव प्रयास कर रहे हैं. 

क्या होता है क्लाउड सीडिंग ? 
क्लाउड सीडिंग, जिसे कृत्रिम वर्षा भी कहा जाता है, मौसम को बदलने की एक वैज्ञानिक तकनीक है. इसमें बादलों में सिल्वर आयोडाइड, ड्राई आइस या साधारण नमक का छिड़काव किया जाता है. यह प्रक्रिया बादलों को बरसने के लिए प्रेरित करती है. इसके अलावा, हवाई अड्डों और अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर कोहरा हटाने के लिए भी इस तकनीक का उपयोग किया जाता है.   

क्लाउड सीडिंग के लिए अनुकूल मौसम की जरूरत
क्लाउड सीडिंग के लिए अनुकूल मौसम की आवश्यकता होती है. हवा की गति और दिशा के साथ-साथ आसमान में करीब 40% बादल मौजूद होना चाहिए. अगर ये शर्तें पूरी नहीं होती हैं तो ट्रायल असफल हो सकता है.  

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प्रदूषण को कम करने के लिए जरूरी पहल
एक ट्रायल पर लगभग 1.5 करोड़ रुपये का खर्च आएगा. अगर ये ट्रायल सफल होते हैं और प्रदूषण में कमी लाते हैं तो सरकार आगे की योजना बनाएगी. यह कदम दिल्ली के निवासियों को प्रदूषण से राहत दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है. 

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