Cyber Crime : साइबर अपराधी किस तरह से आम लोगों को नहीं, बल्कि पढ़े-लिखे और जानकार लोगों को भी निशाना बना रहे हैं, इसका ताजा उदाहरण दिल्ली हाईकोर्ट की 72 वर्षीय वकील के साथ हुई ठगी से सामने आया है. सेक्टर-47 निवासी इस महिला वकील को 10 जून को एक कॉल आया, जिसमें उन्हें बताया गया कि उनका नाम अवैध हथियारों की तस्करी, ब्लैकमेलिंग और जुए जैसे गंभीर मामलों में सामने आया है. कॉल करने वाले ने दावा किया कि उनका आधार और बैंक खाता इस अपराध में उपयोग हो रहा है.
अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार इस कॉल के बाद महिला डर गईं. जालसाजों ने उन्हें 'डिजिटल अरेस्ट' में डाल दिया यानी उन्हें नौ दिन तक इस धोखे में रखा गया कि वे किसी बड़ी जांच एजेंसी के घेरे में हैं और बाहर किसी से बात नहीं कर सकतीं. इस दौरान जालसाज उन्हें लगातार व्हाट्सएप कॉल पर संपर्क में रखते रहे. जालसाजों ने खुद को भारत सरकार की एजेंसी का अधिकारी बताया और महिला को जेल जाने की धमकी भी दी. फिर एक अन्य व्यक्ति को लाइन पर लाकर कहा गया कि वही एनओसी देगा. इसके बाद वीडियो कॉल के माध्यम से पुलिस की वर्दी पहने लोगों की झलक दिखाई गई और बैकग्राउंड ऐसा दिखाया गया जिससे वह असली थाना जैसा लगे.
पूछताछ के नाम पर महिला से उनके बैंक खातों और जमा राशि की जानकारी ली गई. जालसाजों ने कहा कि यदि वह निर्दोष हैं तो उन्हें अपनी एफडी तोड़कर सारी रकम बताए गए खातों में ट्रांसफर करनी होगी. भरोसा दिलाया गया कि जांच पूरी होने पर उन्हें पैसा लौटा दिया जाएगा. महिला डर और भ्रम में आकर धीरे-धीरे पांच अलग-अलग खातों में कुल 3.29 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर बैठीं. इस दौरान उन्हें कहा गया कि किसी को भी जानकारी न दें और मोबाइल पर हर समय उपलब्ध रहें. जब महिला को शक हुआ और उन्होंने जांच करवाई, तब जाकर उन्हें समझ आया कि वे एक बड़ी साइबर ठगी का शिकार हो चुकी हैं. इस मामले में पीड़िता की शिकायत पर 25 अप्रैल को साइबर थाना पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. ठगों ने अपना नाम शिव प्रसाद, प्रदीप सावंत और प्रवीण सूद बताया था. पुलिस अब इन आरोपियों की तलाश कर रही है। यह घटना साइबर सुरक्षा को लेकर एक बड़ी चेतावनी है.
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