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Delhi News: भलस्वा डेयरी में बदहाल DDA फ्लैट, गरीबों को नहीं मिला आशियाना

DDA Flats: दिल्ली के भलस्वा डेरी में करोड़ों की लागत से बने DDA फ्लैट अब खंडहर बन चुके हैं. शीशे, दरवाजे, पंखे सब चोरी हो गए. न तो गरीबों को घर मिला, न ही सरकार ने ध्यान दिया। लोग मांग कर रहे हैं कि ये फ्लैट बेघर लोगों को दिए जाएं.

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Delhi News: भलस्वा डेयरी में बदहाल DDA फ्लैट, गरीबों को नहीं मिला आशियाना
Delhi News: भलस्वा डेयरी में बदहाल DDA फ्लैट, गरीबों को नहीं मिला आशियाना
Zee News Desk|Updated: Jun 30, 2025, 12:24 PM IST
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Delhi Bhalswa Dairy: दिल्ली के भलस्वा डेयरी इलाके में बने करोड़ों रुपये की लागत वाले DDA फ्लैट अब खंडहर में तब्दील हो चुके हैं. इन फ्लैटों की हालत इतनी खराब है कि खिड़कियां, दरवाजे, पंखे और शीशे तक गायब हैं. ये फ्लैट किसी गरीब परिवार के घर नहीं बल्कि असामाजिक तत्वों का अड्डा बन गए हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि दिल्ली सरकार और DDA की लापरवाही की वजह से ये फ्लैट बर्बादी की कगार पर पहुंच चुके हैं. कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में इन फ्लैटों की योजना बनी आप के शासन में निर्माण पूरा हुआ और अब भाजपा की सरकार में ये फ्लैट बस खड़ी इमारतें भर रह गई हैं, जिनमें कोई नहीं रहता.

जानकारी के अनुसार करीब 7400 फ्लैटों की यह परियोजना उन झुग्गीवासियों के लिए शुरू की गई थी जिनके घर बुलडोजर से तोड़ दिए गए थे. लेकिन अब तक इन फ्लैटों को किसी गरीब को अलॉट नहीं किया गया है. स्थानीय लोगों की मांग है कि डिमोलिशन से बेघर हुए लोगों को ये फ्लैट दिए जाएं ताकि उन्हें सिर छुपाने की जगह तो मिल सके. स्थानीय निवासी बताते हैं कि ये पहली बार नहीं है जब ऐसी लापरवाही सामने आई हो. बवाना में भी 'राजीव रतन आवास योजना' के तहत फ्लैट बनाए गए थे, जो अब खंडहर में तब्दील हो चुके हैं. न तो वहां कोई रहता है और न ही उन फ्लैटों में लगाए गए सरकारी पैसों की कोई भरपाई हो पाई.

भलस्वा डेयरी के DDA फ्लैट अब हादसों को न्योता देने वाले ढांचे बन गए हैं. कई इमारतों की नींव कमजोर हो चुकी है और वहां रहना जान जोखिम में डालने जैसा होगा. अब सवाल यह उठता है कि जब सरकार ने गरीबों के लिए घर बनाए, तो उन्हें दिया क्यों नहीं गया. क्या यह जनता के पैसों की बर्बादी नहीं है यह लापरवाही सिर्फ प्रशासन की नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की विफलता को उजागर करती है. स्थानीय लोग सरकार से मांग कर रहे हैं कि इन फ्लैटों की मरम्मत कराकर डिमोलिशन से बेघर हुए लोगों को जल्द से जल्द आवास उपलब्ध कराया जाए. ताकि 'जहां झुग्गी, वहीं मकान' का नारा सिर्फ चुनावी वादा बनकर न रह जाए.

इनपुट- नसीम अहमद

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