Najafgarh Drain: दिल्ली और हरियाणा सरकार मिलकर अब साहिबी नदी को दोबारा जिंदा करने की कोशिशों में जुट गई हैं. दिल्ली सरकार जहां नजफगढ़ नाले का नाम बदलकर साहिबी नदी रखने की तैयारी कर रही है, वहीं हरियाणा सरकार उस 11 किलोमीटर लंबे हिस्से को तलाश रही है जो मसानी बैराज (रेवाड़ी) से आगे गायब हो चुका है और अब सिर्फ एक सूखा नाला बन गया है.
क्या है पूरी कहानी
साहिबी नदी राजस्थान से निकलती है और पहले हरियाणा होते हुए दिल्ली में बहती थी, लेकिन अब यह नदी मसानी बैराज से आगे गायब हो चुकी है. गुरुग्राम और झज्जर में इसका रास्ता सूख चुका है और कुछ हिस्सा निजी लोगों के कब्जे में है. दिल्ली में जब यह नजफगढ़ के पास पहुंचती है, तो इसमें कई खुले सीवर गिरते हैं, जिससे यह राजधानी की सबसे प्रदूषित जलधाराओं में बदल गई है.
नाम बदलने की तैयारी क्यों
दिल्ली सरकार के सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग (IFC) ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) को 2023 में बताया था कि नजफगढ़ नाले का नाम बदलकर साहिबी नदी रखने का प्रस्ताव तैयार किया गया है. इससे लोगों की भावनाएं जुड़ेंगी और नदी को फिर से जीवंत करने के लिए जनसमर्थन मिलेगा. NGT को दी गई रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि 1807 के पुराने नक्शे में इस जलधारा को 'Sabee Nullah' कहा गया था. बाद में 1885 और 1907 के नक्शों में इसे नजफगढ़ नहर बताया गया. 2012 में केंद्रीय जल आयोग द्वारा प्रकाशित 'रिवर बेसिन एटलस' में साहिबी को यमुना की सहायक नदी के रूप में दिखाया गया है.
हरियाणा की चुनौती
हरियाणा सरकार भी मसानी बैराज से आगे साहिबी नदी के पुराने रास्ते को तलाश रही है. यहां करीब 350 एकड़ जमीन ऐसी है जहां से पहले साहिबी बहती थी, लेकिन अब वह निजी लोगों की खेती की जमीन बन चुकी है. यह जमीन राजस्व रिकॉर्ड में 'साहिबी नदी' के नाम पर दर्ज नहीं है, जिससे सरकारी अधिग्रहण मुश्किल हो गया है. सरकार के अनुसार बिना पानी की उपलब्धता सुनिश्चित किए यह जमीन अधिग्रहण करना संभव नहीं है, क्योंकि जमीन मालिक कलेक्टर दरों पर अपनी जमीन देने को तैयार नहीं हैं.
कुछ पहल हुई है
हरियाणा सरकार ने अब तक औंरंगपुर लिंक ड्रेन और आउटफॉल ड्रेन नंबर-8 को साहिबी नदी के नाम से अधिसूचित कर दिया है, ताकि मानसून में इन्हीं से अतिरिक्त पानी छोड़ा जा सके और नदी का प्रवाह फिर से चालू हो सके. यह पानी धांसा रेगुलेटर के जरिए दिल्ली में प्रवेश करता है. साथ ही दिल्ली में IFC विभाग नजफगढ़ नाले की सफाई, पुराना जमा सिल्ट हटाने और नाले में गिर रहे सीवरों को ट्रीटमेंट प्लांट्स से जोड़ने का काम कर रहा है. साल 2022-23 के बजट में इस नदी के पुनर्जीवन के लिए 705 करोड़ रुपये का बजट घोषित हुआ था, लेकिन उस समय की सरकार ने इसका ज्यादा उपयोग अन्य कामों में कर लिया.
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