Delhi News: दिल्ली हाई कोर्ट ने ऑटिज्म से पीड़ित एक बच्ची को स्कूल में दोबारा दाखिल करने का निर्देश दिया गया है. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि क्लासरूम में हर बच्चे की जगह है. फिर भले ही एक दूसरे से कितने ही अलग क्यों न हो. बच्ची को ऑटिज्म से पीड़ित होने के चलते दाखिले से वंचित नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने एक नाबालिग बच्चे की अपनी मां के जरिए दायर याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया है.
2021 में पता चला ऑटिज्म का लक्षण
याचिका में जीडी गोयनका पब्लिक स्कूल में बच्ची को कक्षा 1 या मानसिक आयु के हिसाब किसी भी कक्षा में फिर से दाखिला दिए जाने की मांग की गई थी. याचिका के अनुसार, बच्ची 2017 में पैदा हुई थी और शुरुआत में वो पूरी तरह से सामान्य थी, लेकिन बाद में उसने बैठना, चलना और बोलना आम बच्चों के मुकाबले देर से शुरू किया. 2021-22 सत्र में उसे स्कूल में दाखिला दिया गया था. बाद में 2021 में बच्ची में हल्के ऑटिज्म के लक्षण का पता चला. 2022 में प्रिंसिपल ने नाबालिग के व्यवहार संबंधी दिक्कतों को पहचाना. इसके बाद बच्ची का स्कूल जाना बंद हो गया.
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20 महीने तक स्कूल से कोई संपर्क नहीं किया
स्कूल ने याचिका में ये कहते हुए विरोध किया कि जनवरी 2023 से बच्ची ने स्कूल आना बंद कर दिया और 20 महीने तक स्कूल से कोई संपर्क नहीं किया और न ही स्कूल फीस भरी गई. अभी स्कूल में कक्षा 1 में कोई खाली सीट भी नहीं है. कोर्ट ने स्कूल की दलील खारिज करते हुए कहा कि बच्ची ने अपनी इच्छा से स्कूल जाना बंद नहीं किया, बल्कि स्कूल ने बच्ची की जरूरतों को सार्थक ढंग से पूरा करने की कोई इच्छा जाहिर नहीं कि इसलिए उसका स्कूल जाना बंद हो गया. कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई कानून नहीं है जो स्कूल की सीट निश्चित करता हो और एक बच्चे को भी स्कूल एडमिशन नहीं दे सकता.
Input- Arvind singh
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