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Delhi News: बटला हाउस में छह संपत्तियों के तोड़फोड़ के नोटिस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने लगाई अंतरिम रोक

दिल्ली उच्च न्यायालय ने दक्षिण पूर्वी दिल्ली के ओखला के बटला हाउस इलाके में छह संपत्तियों को गिराने पर अंतरिम रोक लगा दी है. इन संपत्तियों के निवासियों ने दिल्ली विकास प्राधिकरण ( डीडीए ) द्वारा मई 2025 में जारी किए गए नोटिस को चुनौती दी है.

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Delhi News: बटला हाउस में छह संपत्तियों के तोड़फोड़ के नोटिस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने लगाई अंतरिम रोक
Deepak Yadav|Updated: Jun 17, 2025, 12:52 PM IST
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Delhi News: दिल्ली उच्च न्यायालय ने दक्षिण पूर्वी दिल्ली के ओखला के बटला हाउस इलाके में छह संपत्तियों को गिराने पर अंतरिम रोक लगा दी है. इन संपत्तियों के निवासियों ने दिल्ली विकास प्राधिकरण ( डीडीए ) द्वारा मई 2025 में जारी किए गए नोटिस को चुनौती दी है. याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि इन छह संपत्तियों में से कुछ खसरा नंबर 279 के बाहर हैं, जबकि अन्य इस खसरा के अंदर हैं. इन संपत्तियों के निवासियों ने कहा कि उनकी संपत्तियां पीएम उदय योजना के तहत आती हैं. 

सोमवार को पारित आदेश में न्यायमूर्ति तेजस करिया ने अगली सुनवाई तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया. इस बीच हाईकोर्ट ने डीडीए को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब मांगा है. याचिकाओं पर रोस्टर बेंच के समक्ष 10 जुलाई को सुनवाई होनी है. पीठ हीना परवीन, जीनत कौसर, रुखसाना बेगम, निहाल फातिमा, सुफियान अहमद और साजिद फखर और अन्य की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. हीना परवीन, रुखसाना बेगम और जीनत कौसर की ओर से अधिवक्ता सोनिका घोष, अनुराग सक्सेना और गुरमुख दास कोहली पेश हुए. यह प्रस्तुत किया गया कि डीडीए ने एक सामान्य नोटिस जारी किया है. खसरा संख्या 279 में आने वाली संपत्तियों का कोई स्पष्ट सीमांकन नहीं है. इस खसरे में सभी संपत्तियां अवैध नहीं हैं.

दूसरी ओर, डीडीए के स्थायी वकील ने याचिकाओं का विरोध किया. याचिकाएं 6 जून को हैं और हलफनामे 3 जून को हैं. यह भी प्रस्तुत किया गया कि सीमांकन सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया था और 4 जून का आदेश इसी तथ्य के आधार पर पारित किया गया था. अदालत ने कहा कि चूंकि सुप्रीम कोर्ट के 7 मई के आदेश में दर्ज है कि कब्जाधारक कानून के अनुसार उचित कार्यवाही अपनाने के हकदार हैं, इसलिए हाईकोर्ट ने 4 जून, 2025 को इशरत जहां के मामले में एक आदेश पारित किया, जिसमें डीडीए को कार्रवाई के संबंध में एक हलफनामा दाखिल करने और तीन सप्ताह के भीतर सीमांकन रिपोर्ट देने का निर्देश दिया. 

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याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि वे लंबे समय से यहां रह रहे हैं. उन्होंने इसे बिल्डर से खरीदा है. यह भी दलील दी गई कि दो बीघा दस बिस्वा पर अवैध संपत्तियों को ध्वस्त करने का आदेश है. खसरा नंबर 279 में 34 बीघा जमीन है. वहां सभी संपत्तियां अवैध नहीं हैं. निहाल फातिमा और अन्य के मामले में डीडीए ने कोई मालिकाना हक दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया. आदेश के लंबित रहने और पारित होने के दौरान दस्तावेजों का निष्पादन किया गया. याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि वे 1980-82 से वहां रह रहे हैं. नोटिस सामान्य हैं, कोई खास बात नहीं. दस्तावेज उर्दू और फारसी में थे, बाद में उनका अनुवाद किया गया. लोग 30 साल से वहां रह रहे हैं. इससे पहले, उच्च न्यायालय ने बटला हाउस के कुछ निवासियों को सुरक्षा प्रदान की थी, जिन्होंने डीडीए द्वारा जारी नोटिस के खिलाफ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. 

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