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Delhi Metro: दिल्ली मेट्रो के पीछे जादूगर कौन, जानें कैसे एक सिविल इंजीनियर ने बदला दिल्ली का ट्रांसपोर्ट सिस्टम

दिल्ली की मेट्रो प्रणाली का जाल फैलाने वाले ई श्रीधरन, जिन्हें मेट्रो मैन के नाम से जाना जाता है. उनका जन्म 12 जून 1932 को हुआ था. उनकी उपलब्धियों का मुख्य कारण उनकी ईमानदारी, मेहनत और छोटे लक्ष्यों को लेकर बड़े कार्यों को अंजाम देना है.

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Delhi Metro: दिल्ली मेट्रो के पीछे जादूगर कौन, जानें कैसे एक सिविल इंजीनियर ने बदला दिल्ली का ट्रांसपोर्ट सिस्टम
Renu Akarniya|Updated: Jun 11, 2025, 05:38 PM IST
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Delhi Metro: दिल्ली की मेट्रो प्रणाली का जाल फैलाने वाले ई श्रीधरन, जिन्हें मेट्रो मैन के नाम से जाना जाता है. उनका जन्म 12 जून 1932 को हुआ था. उनकी उपलब्धियों का मुख्य कारण उनकी ईमानदारी, मेहनत और छोटे लक्ष्यों को लेकर बड़े कार्यों को अंजाम देना है. केरल के पलक्कड़ में जन्मे श्रीधरन ने अपने अटूट विश्वास और बुद्धिमत्ता के बल पर अद्वितीय कार्य किए हैं, जिनकी प्रशंसा दुनिया भर में की गई है. 

ई श्रीधरन के समर्पण को एमएस अशोकन की किताब 'कर्मयोगी' में बखूबी दर्शाया गया है. इस किताब में बताया गया है कि उन्होंने कभी 8 घंटे से ज्यादा काम नहीं किया, फिर भी उनके कार्यों की गुणवत्ता और समय पर पूर्णता ने उन्हें एक मिसाल बना दिया. उनके समर्पण का सम्मान भारत सरकार ने पद्म श्री और पद्म विभूषण से किया, जबकि फ्रांस सरकार ने उन्हें शेवेलियर डे ला लीजन ऑफ ऑनर से नवाजा. 

ई श्रीधरन की पहली खासियत है मुश्किल कार्यों को समय पर पूरा करना. 1964 में, जब पंबन रामेश्वरम का पुल प्राकृतिक आपदा का शिकार हुआ, तो सरकार ने उन्हें इसे 3 महीने में फिर से बनाने का कार्य सौंपा. लेकिन उन्होंने इसे महज 46 दिनों में पूरा कर दिया. इस उपलब्धि ने उन्हें भारत में बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं में समय की पाबंदी का प्रतीक बना दिया. 

श्रीधरन की दूसरी विशेषता है लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करना. कोंकण रेलवे परियोजना के तहत, उन्होंने रिवर्स क्लॉक स्थापित की, जिससे लोगों को समय का बेहतर अनुभव हो सके. यह परियोजना चार राज्यों के बीच थी और इसमें कई जटिलताएं थीं, लेकिन श्रीधरन ने 7 वर्षों में इसे सफलतापूर्वक पूरा किया, जो भारत में पहले कभी नहीं देखा गया था. 

ई श्रीधरन की तीसरी खासियत है छोटी टू-डू लिस्ट रखना. उन्होंने अपने कार्यों को 8 घंटे से अधिक समय नहीं दिया, लेकिन जो समय उन्होंने दिया, उसमें उन्होंने पूरी मेहनत की. दिल्ली मेट्रो परियोजना में भी उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद वापस बुलाया गया, जहां उन्होंने छोटे-छोटे लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित किया. 

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ई श्रीधरन ने यह साबित किया कि सफलता केवल बड़े संस्थानों से शिक्षा प्राप्त करने से नहीं मिलती. उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग गैर-आईआईटी कॉलेज से की, फिर भी उनकी उपलब्धियां ऐसी हैं कि कोई भी उन पर गर्व कर सकता है. उन्होंने मेट्रो ट्रेन के उपयोग को आम लोगों की आदत में शामिल किया और इसे एक सफल प्रोजेक्ट बनाया. 

ई श्रीधरन की जिंदगी एक प्रेरणा है, जो हमें सिखाती है कि समय की कद्र करने वाला व्यक्ति कैसे हर दिल में जगह बना सकता है. उनकी मेहनत और समर्पण ने उन्हें एक अद्वितीय पहचान दी है. उनकी कहानी हमें यह भी सिखाती है कि कठिनाइयों का सामना करते हुए भी हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं. श्रीधरन की उपलब्धियां हमें यह प्रेरणा देती हैं कि हम भी अपने कार्यों में समर्पण और ईमानदारी के साथ आगे बढ़ें.

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