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Kargil Warrior: देश की खातिर खाई गोली का जख्म पर सरकारी वादों के पूरा होने की आस में बीते 26 साल, नहीं मिला सम्मान

Delhi News: 15 अगस्त को 78वां स्वतंत्रता दिवस मनाने के लिए पूरे देश में तैयारियां चल रही हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह उस सैनिक को समर्पित है जो कारगिल युद्ध के दौरान गोली लगने के बावजूद दुश्मनों से लड़ता रहा और तोलोलिंग पहाड़ी पर भारतीय तिरंगा फहराया गया, आइए जानते हैं इस वीर योद्धा की कहानी.

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Kargil Warrior: देश की खातिर खाई गोली का जख्म पर सरकारी वादों के पूरा होने की आस में बीते 26 साल, नहीं मिला सम्मान
Harshit Singh|Updated: Aug 08, 2025, 04:06 PM IST
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Delhi News: देश में स्वतंत्रता दिवस को बड़े उत्साह के साथ मनाने की तैयारियां चल रही हैं, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या कारगिल युद्ध में अद्वितीय वीरता का परिचय देने वाले हमारे वीर सैनिक इस उत्सव में सम्मान मिलेगा. बुराड़ी के मुखमेलपुर गांव में रहने वाले राजपूताना राइफल्स की दो बटालियन के लांस नायक सतबीर सिंह 'चीता' जिन्होंने कारगिल युद्ध में वीरता का परिचय देते हुए दुश्मन के चार सैनिकों को ढेर किया था. आज भी वे सरकारी उपेक्षा का शिकार हैं. युद्ध के इतने वर्षों बाद भी उन्हें न तो सरकार से अपेक्षित सम्मान मिला और न ही आर्थिक मदद मिली है. इस वजह से उनका परिवार आज आर्थिक तंगी से जूझ रहा है.

गोलियों से छलनी शरीर, फिर भी लहराया पहाड़ी पर तिरंगा
लांस नायक सतबीर सिंह को कारगिल युद्ध के दौरान उनके दाहिने पैर में दो गोलियां लगी थीं, साथ ही शरीर पर कई छर्रे भी लगे थे. इसके बावजूद उन्होंने 15,000 फीट ऊंची तोलोलिंग पहाड़ी पर करीब 10 घंटे तक मोर्चा संभाला और दुश्मन को पीछे हटने पर मजबूर होना पड़ा. वह कहते हैं कि 12 जून 1999 की रात आज भी उनकी यादों में ताजा है. उस रात 11 बजे, तोलोलिंग पहाड़ी पर उनका सामना पाकिस्तानी सैनिकों व घुसपैठियों से हुआ, जो उनसे ऊंचे स्थान पर थे. 

तीन टुकड़ियों के 24 सैनिक दो दिन की कठिन चढ़ाई के बाद तोलोलिंग पहाड़ी पार कर चुके थे. सतबीर सिंह ने अपनी राइफल से कुछ ही सेकेंड में तीस गोलियां दागीं, उसके बाद उन पर हेडग्रेनेट से हमला किया गया. जिससे तीन दुश्मन सैनिक मौके पर ही ढेर हो गए. इसके बाद दुश्मनों ने भारी गोलीबारी शुरू कर दी. बावजूद इसके, सतबीर ने मोर्चा नहीं छोड़ा और एक और दुश्मन को मार गिराया. इस दौरान कंपनी कमांडर कैप्टन विवेक गुप्ता समेत सात भारतीय सैनिक वीरगति को प्राप्त हो गए, लेकिन सतबीर और उनके साथियों ने अंतत सुबह 4:30 बजे दुश्मन के कब्जे से पहाड़ी को मुक्त कर तिरंगा फहरा दिया.

आज भी इंतजार है सम्मान का
सतबीर सिंह आज भी अपने परिवार के साथ मुखमेलपुर गांव में रहते हैं. उनका कहना है कि देश भले ही 78वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा हो, लेकिन जब तक सरकार युद्ध में भाग लेने वाले सैनिकों को उनका हक नहीं देती, तब तक यह जश्न अधूरा है. उन्होंने कहा कि सरकार ने कारगिल युद्ध के समय जो वादे किए थे, वे आज तक पूरे नहीं हुए. न तो आर्थिक मदद मिली, न ही सरकारी योजनाओं का लाभ. उनकी मांग है कि भारत सरकार और दिल्ली सरकार उनकी वर्तमान आर्थिक स्थिति को देखते हुए सहायता करें, ताकि वे गर्व से कह सकें, 'मैं भारतीय सैनिक हूं'

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लांस नायक सतबीर सिंह ने बताई आपबीती
कारगिल योद्धा लांस नायक सतबीर सिंह ने बताया कि कारगिल युद्ध लडने वालो को सरकार ने चार वादे किये थे. पहला पेट्रोल पंप देने की, दूसरा परिवार को सरकारी नौकरी देने की, तीसरा खेती के लिए जमीन देने की, चौथा गेस एजेन्सी देने की बात कही थी, लेकिन सरकार ने तो जवान को युद्ध में घायल होने के एक साल बाद  नौकरी से भी निकाल दिया गया. वहीं रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की सिफारिश पर 18  साल बाद पेंशन मिलने लगा.

इनपुट- नसीम अहमद

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