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Delhi News: दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल और कांस्टेबल पर गबन का आरोप, LG ने दी मुकदमा चालने की अनुमति

Delhi Police: दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने गबन में एक हेड कांस्टेबल और एक कांस्टेबल के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है.

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Delhi News: दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल और कांस्टेबल पर गबन का आरोप, LG ने दी मुकदमा चालने की अनुमति
Deepak Yadav|Updated: Jun 19, 2025, 06:54 AM IST
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Delhi Police: दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने गबन के एक मामले में दिल्ली पुलिस के दो अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है. बुधवार को एक बयान में यह जानकारी दी गई. सक्सेना ने दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल (एक्सई.) राकेश शर्मा और कांस्टेबल (एक्सई.) खुशी राम के खिलाफ अभियोजन शुरू करने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता (सीआर पीसी), 1973 की धारा 197 के तहत मंजूरी दे दी है.

 बयान में कहा गया है कि पुलिसकर्मियों - एक हेड कांस्टेबल और एक कांस्टेबल - पर दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने 2018 में गबन, जालसाजी सहित अन्य अपराधों के लिए आईपीसी और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया था. इसके अलावा अभियोजन पक्ष के परिणाम आने तक संबंधित पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की संभावना पर भी विचार किया जा रहा है. विज्ञप्ति के अनुसार, 14 मई, 2018 को आईपीसी की धारा 409, 420, 467, 468, 471, 201 और 120-बी के साथ-साथ आईटी अधिनियम-2000 की धारा 66 के तहत दर्ज किया गया मामला दिल्ली पुलिस की लाइसेंसिंग इकाई की आंतरिक जांच से उपजा है. जांच में सीपीएल, होटल/गेस्ट हाउस, भोजनालय और प्रेस के लाइसेंस जारी करने और नवीनीकरण से संबंधित शुल्क जमा करने में विसंगतियां पाई गईं, जिनमें शस्त्र लाइसेंस भी शामिल हैं.

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जांच में पता चला कि सिस्टम द्वारा जारी रसीदें जारी करने के बजाय, धोखाधड़ी से तैयार की गई नकली रसीदों के माध्यम से नकदी एकत्र की गई थी. इन लेन-देन का सरकारी रिकॉर्ड में कोई हिसाब नहीं था, जिससे धन का दुरुपयोग हुआ और सरकारी खजाने को नुकसान हुआ. वहीं यह भी पाया गया कि कंप्यूटर से कुछ फाइलें हटा दी गईं और संबंधित दस्तावेज गायब थे. बयान में कहा गया है कि कथित गबन 1 सितंबर, 2016 और 20 फरवरी, 2018 के बीच हुआ. जांच में यह भी पता चला कि मार्च 2017 से फरवरी 2018 की अवधि के दौरान हेड कांस्टेबल राकेश शर्मा द्वारा संचालित शस्त्र लाइसेंस नवीनीकरण काउंटर नंबर 2 पर जाली शुल्क रसीदें जारी की गईं, जबकि वहां अन्य नवीनीकरण काउंटर भी मौजूद थे. इससे डीलिंग असिस्टेंट और कैशियर सीटी खुशी राम के बीच संभावित मिलीभगत की ओर इशारा होता है.

फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) रिपोर्ट और ईओडब्ल्यू द्वारा दायर आरोपपत्र ने निष्कर्ष निकाला है कि हेड कांस्टेबल (एचसी) राकेश शर्मा और कांस्टेबल खुशी राम के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं. जीएनसीटीडी के गृह विभाग ने मामले की समीक्षा करने के बाद कहा कि जांच में कैशियर सीटी खुशी राम और डीलिंग असिस्टेंट एचसी राकेश शर्मा के बीच हथियार लाइसेंस नवीनीकरण के लिए जाली शुल्क रसीदें जारी करने की साजिश का पता चला है. उन्होंने कथित तौर पर आधिकारिक कैश एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर को दरकिनार करते हुए एक नकली रसीद प्रारूप बनाया और असली रसीदों के समान ही प्रिंटर का उपयोग करके रसीदें छापीं. धारा 197 सीआरपीसी के तहत मंजूरी देते हुए, एलजी ने गृह विभाग को दिल्ली पुलिस अधिनियम, 1978 की धारा 140 के तहत मंजूरी देने के लिए दिल्ली पुलिस के अनुरोध की फिर से जांच करने का भी निर्देश दिया है.

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