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Delhi News: स्कूल फीस बिल में संशोधन प्रस्तावों पर वोटिंग से होगा साफ, BJP है किसके साथ: आतिशी

Delhi News: भाजपा सरकार के स्कूल फीस बिल को पैरेंट्स के हितों के खिलाफ बताते हुए AAP ने चार अहम संशोधन की मांग की हैं. आतिशी ने कहा कि अब भाजपा को तय करना है कि वह किसके साथ है? भाजपा विधायक इन प्रस्तावों पर किसके पक्ष में वोट करते हैं, उससे साफ हो जाएगा कि वह पैरेंट्स के साथ हैं या प्राइवेट स्कूलों के साथ हैं.

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Delhi News: स्कूल फीस बिल में संशोधन प्रस्तावों पर वोटिंग से होगा साफ, BJP है किसके साथ: आतिशी
Zee Media Bureau|Updated: Aug 06, 2025, 09:09 PM IST
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Delhi News: आम आदमी पार्टी ने भाजपा सरकार के स्कूल फीस बिल को पैरेंट्स के हितों के खिलाफ बताते हुए उसमें चार अहम संशोधन की मांग की हैं. दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने कहा कि AAP विधायक दल ने पैरेंट्स के हक में बिल में संशोधन के प्रस्ताव दिए हैं. अब भाजपा को तय करना है कि वह किसके साथ है? भाजपा विधायक इन प्रस्तावों पर किसके पक्ष में वोट करते हैं, उससे साफ हो जाएगा कि वह पैरेंट्स के साथ हैं या प्राइवेट स्कूलों के साथ हैं. उन्होंने कहा कि हमने बिल में स्कूलों का ऑडिट करने का प्रावधान करने की मांग की है, जिस पर पैरेंट्स 15 दिनों में अपने सुझाव देंगे और उसी आधार पर कमेटी फीस तय करेगी. इसके अलावा, स्कूल की कमेटी में 5 की जगह 10 पैरेंट्स को चुनाव के जरिए शामिल करने, 15 फीसद की जगह 15 पैरेंट्स की शिकायत पर कार्रवाई करने और कमेटी के फैसले के खिलाफ कोर्ट जाने का अधिकार देने को लेकर बिल में संशोधन भेजे हैं. 

सोमवार को AAP विधायक दल के चीफ व्हीप संजीव झा और विधायक कुलदीप कुमार के साथ पार्टी मुख्यालय पर प्रेसवार्ता कर नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने कहा कि भाजपा सरकार ने प्राइवेट स्कूलों की फीस को रेगुलेट करने के लिए स्कूल फीस बिल लेकर आई है. अप्रैल से इस बिल पर चर्चा चल रही है. अप्रैल में ही प्राइवेट स्कूल बेलगाम तरीके से अपनी फीस बढ़ा रहे थे, बच्चों को स्कूल से बाहर निकाल रहे थे, लाइब्रेरी में कैद कर रहे थे, 40 डिग्री सेल्सियस तापमान के अंदर माता-पिता स्कूल के बाहर विरोध कर रहे थे और चारों तरफ अफरा-तफरी मची हुई थी. ऐसे वक्त में भाजपा सरकार ने कहा कि वह बिल लेकर आएगी. अप्रैल में कैबिनेट में बिल पास हुआ, लेकिन जुलाई तक यह बिल नहीं आया. अब अगस्त में इस बिल को दिल्ली विधानसभा में पेश किया गया. 

आतिशी ने सरकार की नीयत पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि चार महीने बाद इस बिल को विधानसभा में क्यों लाया गया? सिर्फ प्राइवेट स्कूलों को बचाने के लिए चार महीने बाद यह बिल विधानसभा में लाया गया. प्राइवेट स्कूलों को पैरेंट्स को परेशान करके बढ़ी फीस वसूलने का मौका देने के लिए बिल को चार महीने बाद लाया गया. बिल को लाने से पहले शिक्षाविद्, वकील और पैरेंट्स समेत किसी भी हितधारक से कोई रायशुमारी नहीं हुई. पैरेंट्स अपनी राय देने की मांग करते रह गए, लेकिन सरकार ने चार महीने तक बिल की कॉपी तक नहीं दिखाई. पैरेंट्स से बिल को इसलिए छिपाया गया, क्योंकि यह बिल प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के माता-पिता के हक में नहीं है, बल्कि सिर्फ प्राइवेट स्कूल मालिकों के हक में है. यह बात मंगलवार को दिल्ली विधानसभा के सदन पटल पर भाजपा के विधायक राजकुमार भाटिया ने खुद स्वीकार किया कि इस बिल के माध्यम से प्राइवेट स्कूलों को फीस बढ़ाने का मौका मिलेगा.

आतिशी ने कहा कि दिल्ली विधानसभा में पेश बिल को AAP ने ढेरों माता-पिता के साथ साझा किया. बिल पेश होने से पहले भी हमने पैरेंट्स से मुलाकात कर राय ली थी. पैरेंट्स की राय के अनुसार AAP विधायक दल इस बिल में कई संशोधन टेबल कर रहा है. ताकि बिल के प्रावधान स्कूल मालिकों के बजाय पैरेंट्स के हक में हों. इन संशोधन प्रस्तावों पर सदन में वोट किया जाएगा. भाजपा के विधायक अपना वोट कहां डालते हैं, उससे यह साफ हो जाएगा कि भाजपा के विधायक प्राइवेट स्कूल मालिकों के हक में हैं या पैरेंट्स के हक में हैं. आतिशी ने कहा कि AAP विधायक दल के चीफ व्हीप संजीव झा ने बिल में पहला संशोधन की मांग की है कि बिल को सिलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए. यह कमेटी हितधारकों से राय ले और स्कूलों से प्रताड़ित पैरेंट्स की आवाज भी दिल्ली विधानसभा तक पहुंचे. हम उम्मीद करते हैं कि भाजपा पैरेंट्स की आवाज सुनेगी. हालांकि हमें भाजपा पर भरोसा बहुत कम है. इसलिए हमें कई और संशोधन प्रस्ताव भी दिए हैं.

आतिशी ने कहा कि प्राइवेट स्कूल फीस एक्ट में सबसे बड़ी खामी यह है कि फीस का निर्धारण करने वाली कमेटी की अध्यक्षता स्कूल मैनेजमेंट का एक सदस्य करेगा. इस कमेटी में मात्र 5 पैरेंट्स शामिल होंगे और वो भी पर्ची के माध्यम से चुने जाएंगे. सबको पता है कि पर्ची की सेटिंग कैसे की जाती है? इसलिए AAP विधायक दल ने बिल के सेक्शन-4 में संशोधन की मांग की है कि स्कूल फीस रेगुलेशन कमेटी में 5 के बजाय 10 पैरेंट्स शामिल हों. यानि यह कमेटी 15 सदस्यीय होगी, जिसमें 5 सदस्य स्कूल की तरफ से होंगे. जबकि 10 पैरेंट्स के सदस्य पैरेंट्स की जनरल बॉडी के चुनाव के जरिए चुने जाएंगे. 

आतिशी ने कहा कि बिल के सेक्शन-5 से भाजपा की असली मंशा निकल कर आती है. भाजपा सरकार बनते ही स्कूलों ने बेलगाम तरीके से फीस बढ़ाई. माता-पिता से बढ़ी फीस वसूल की. हमने बार-बार कहा कि नई फीस पर रोक लगे और 2024-25 की फीस से ज्यादा फीसद नहीं लेने दिया जाए, लेकिन भाजपा ने ऐसा नहीं किया. बिल के सेक्शन 5 के सब-सेक्शन 1 का प्रोवाइजर 2 कहता है कि 2025-26 के लिए 1 अप्रैल 2025 से स्कूलों द्वारा ली गई फीस को इस कानून के तहत प्रस्तावित फीस माना जाएगा. यानी प्राइवेट स्कूलों की बेलगाम फीस बढ़ोतरी को कानूनी ठप्पा लगा दिया गया कि वही असली फीस होगी. यह कानून पास होने के बाद माता-पिता को बढ़ी फीस देनी होगी. 

आतिशी ने कहा कि AAP विधायक दल ने बिल में संशोधन प्रस्तुत किया है कि जबतक स्कूल के सारे आकाउंट के ऑडिट नहीं हो जाते हैं, तब तक कोई भी प्राइवेट स्कूल 2024-25 में ली गई फीस से अधिक फीस नहीं वसूल सकता है. अब सवाल यह है कि क्या भाजपा 2024-25 की फीस और पैरेंट्स के हक में वोट कर बढ़ी फीस वापस कराने के लिए स्कूलों को मजबूर करेगी या फिर प्राइवेट स्कूल मालिकों के हक में वोट करेगी? AAP विधायक कुलदीप कुमार ने सेक्शन 4 में संशोधन प्रस्तुत किया है कि स्कूल की फी रेगुलेशन कमेटी की बैठक से पहले स्कूल के पिछले साल के सभी खातों का ऑडिट किए जाएं. ऑडिटेड खाते हर बच्चे के माता-पिता को भेजे जाएंगे. पैरेंट्स को ऑडिट को देखने के लिए 15 दिन का समय दिया जाए, ताकि कमेटी को अपना फीडबैक दे सकें. इसके बाद कमेटी फीडबैक के आधार पर फैसला लेगी. 

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आतिशी ने कहा कि भाजपा ने बिल के जरिए माता-पिता का शिकायत करने का हक छीना है. वर्तमान में अगर कोई पैरेंट्स स्कूल के खिलाफ शिक्षा निदेशक के पास अपनी शिकायत कर सकते हैं. लेकिन बिल के सेक्शन 2 के सब-सेक्शन 2 में कहा गया है कि स्कूलों की शिकायत करने के लिए 15 फीसद माता-पिता के हस्ताक्षर अनिवार्य है. इस बिल ने माता-पिता के शिकायत करने का अधिकार भी छीन लिया है. अगर स्कूल में 2,000 बच्चे हैं, तो 300 से ज्यादा पैरेंट्स से हस्ताक्षर चाहिए. यह नामुमकिन के बराबर है. पैरेंट्स को शिकायत करने से रोकने के लिए ही बिल में यह प्रावधान डाला गया है. ‘‘आप’’ ने सेक्शन- 15 में संशोधन प्रस्तावित किया है कि अगर 15 पैरेंट्स शिकायत करें तो उनकी शिकायत को सुनना अनिवार्य होगा. पैरेंट्स से सुझाव आया था कि 15 फीसद की शर्त बहुत बड़ी है. इसलिए 15 पैरेंट्स की शिकायत पर भी कार्रवाई की जाए. बिल का सेक्शन 17 माता-पिता का कोर्ट जाने का हक छीनता है. कई बार बढ़ी फीस के खिलाफ पैरेंट्स कोर्ट जाते हैं. लेकिन सेक्शन-17 कहता है कि अगर कमेटी कोई भी फैसला करेगी तो पैरेंट्स को कोर्ट में चुनौती देने का अधिकार नहीं होगा. यह असंवैधानिक है. हर कानून का न्यायिक समीक्षा हो सकती है. लेकिन भाजपा नहीं चाहती है कि गलत तरीके से बढ़ी फीस के खिलाफ पैरेंट्स कोर्ट जा सकें. 

आतिशी ने दिल्ली के पैरेंट्स से अपील करते हुए कहा कि इन संशोधनों पर जब वोटिंग हो तो दिल्ली विधानसभा का लाइव टेलिकास्ट प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने बच्चों के हर माता-पिता जरूर देंगे. इससे दूध का दूध-पानी का पानी हो जाएगा कि क्या भाजपा के विधायक पैरेंट्स के हक में या स्कूल मालिकों के हक वोट देते हैं

AAP विधायक दल की बिल में मांग और प्रस्तावित संशोधन
- बिल को सिलेक्ट कमेटी में भेजा जाए, ताकि माता-पिता से राय ली जाए.
- फी रेगुलेशन कमेटी 15 सदस्यीय हो, इसमें 10 पैरेंट्स हों जो पर्ची से नहीं, जनरल बॉडी के चुनाव से चुने जाएं.
- कमेटी की बैठक से पहले स्कूल के खातों का ऑडिट हो. ऑडिट रिपोर्ट माता-पिता को भेजी जाए और फीडबैक देने के लिए उन्हें 15 दिन का समय दिया जाए.
- स्कूल की शिकायत के लिए 15 फीसद नहीं, सिर्फ 15 पैरेंट्स की शिकायत पर सुनवाई हो.
- पैरेंट्स को कमेटी के फैसले के खिलाफ कोर्ट जाने का हक हो.

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