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Delhi News: कक्षा 1 में अब 6 साल की उम्र पर ही मिलेगा एडमिशन, सरकार ने जारी की नई गाइडलाइन

Directorate of Education: नई शिक्षा नीति (NEP 2020) के तहत दिल्ली की स्कूल व्यवस्था अब पुराने 10+2 ढांचे को छोड़कर एक नई सोच और संरचना की ओर बढ़ रही है। सरकार की योजना है कि स्कूली शिक्षा को अब 5+3+3+4 मॉडल के तहत चलाया जाए, जिसमें बच्चों की उम्र और सीखने की क्षमता के अनुसार उन्हें चार अलग-अलग चरणों में बांटा जाएगा.

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Delhi News: कक्षा 1 में अब 6 साल की उम्र पर ही मिलेगा एडमिशन, सरकार ने जारी की नई गाइडलाइन
Delhi News: कक्षा 1 में अब 6 साल की उम्र पर ही मिलेगा एडमिशन, सरकार ने जारी की नई गाइडलाइन
Zee News Desk|Updated: Jun 22, 2025, 07:41 AM IST
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New Education Policy: दिल्ली सरकार ने नए शैक्षणिक सत्र 2026-27 से स्कूलों में बच्चों के एडमिशन को लेकर बड़ा फैसला लिया है. अब पहली कक्षा (कक्षा-1) में दाखिला उन्हीं बच्चों को मिलेगा, जिनकी उम्र कम से कम 6 साल होगी. यह बदलाव नई शिक्षा नीति (NEP 2020) और शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE Act 2009) के अनुरूप किया गया है.

दिल्ली शिक्षा निदेशालय (DoE) ने इस संबंध में एक नोटिफिकेशन जारी किया है. नोटिफिकेशन के अनुसार अब स्कूलों में कक्षा-1 में प्रवेश लेने से पहले बच्चों को तीन साल की प्री-प्राइमरी शिक्षा पूरी करनी होगी. यानी बच्चे को नर्सरी, एलकेजी और यूकेजी (Lower KG और Upper KG) की पढ़ाई पूरी करनी होगी.

नई व्यवस्था के अनुसार उम्र और क्लास

  1. 3 साल की उम्र में – नर्सरी (प्री-स्कूल 1)
  2. 4 साल की उम्र में – एलकेजी (प्री-स्कूल 2)
  3. 5 साल की उम्र में – यूकेजी (प्री-स्कूल 3)
  4. 6 साल की उम्र में – कक्षा 1 में एडमिशन

दिल्ली सरकार की यह पहल 5+3+3+4 की नई स्कूली संरचना को लागू करने की दिशा में एक अहम कदम है. यह संरचना राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत तैयार की गई है और इसमें स्कूल शिक्षा को चार भागों में बांटा गया है. बेसिक स्टेज (5 साल), एलीमेंटरी स्टेज (3 साल), मिडिल स्टेज (3 साल) और सेकंडरी स्टेज (4 साल). इससे पहले 10+2 की पारंपरिक व्यवस्था लागू थी जिसमें कक्षा 1 में दाखिला 5 साल की उम्र में भी हो जाता था, लेकिन अब सरकार बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा को मजबूत करने के लिए कक्षा 1 में एडमिशन से पहले तीन साल की प्री-स्कूल शिक्षा को जरूरी बना रही है.

दिल्ली शिक्षा निदेशालय ने इस बदलाव पर सभी संबंधित पक्षों से सुझाव भी मांगे हैं. अभिभावक, शिक्षक, छात्र, स्कूल प्रबंधन और शिक्षा विशेषज्ञ 10 जुलाई 2025 तक अपने सुझाव भेज सकते हैं. इस कदम का उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाना और बच्चों की बुनियादी समझ को मजबूत करना है.

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