Delhi News: मानसून दिल्ली के द्वार पर आ खड़ा है. इस सप्ताह हुई करीब एक घंटे की बारिश ने सरकार की जलभराव को लेकर की गई तैयारियों पर पानी फेर दिया. इस दौरान दिल्ली के कई प्रमुख इलाकों में पहले की तरह ही जलभराव हुआ. ऐसे में पीडब्ल्यूडी ने विभिन्न विभागों की एक बैठक बुलाई है. जिसमें इस बात पर चर्चा होगी कि जलभराव की समस्या आखिर खत्म क्यों नहीं हो रही है और इससे किस तरह छुटकारा पाया जाए.
राजधानी में हर साल बरसात के दौरान जलभराव एक बड़ी समस्या बनकर सामने आता है. सड़कें तालाब बन जाती हैं, ट्रैफिक जाम हो जाता है और आम लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है. इस परेशानी को खत्म करने के लिए अब PWD ने दिल्ली के 350 से ज्यादा जलभराव वाले स्थानों में से 71 सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों की पहचान की है, जहां हर साल मानसून में हालात बेकाबू हो जाते हैं. इन जगहों पर अब तक की गई सफाई और मरम्मत के बावजूद पानी भर जाता है. इन्हीं 71 इलाकों को लेकर शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण समन्वय बैठक बुलाई गई है, जिसमें दिल्ली नगर निगम (MCD), जल बोर्ड, मेट्रो, DUSIB, NHAI, सिंचाई और उद्योग विभाग के अधिकारी शामिल होंगे. सवाल यह है कि इन 71 इलाकों ही क्यों जलभराव होता है.
71 इलाकों में ही क्यों होता है जलभराव
संबंधित विभाग के अनुसार दिल्ली में 71 सबसे प्रभावित इलाके ऐसे है जहां जलभराव की समस्या ज्यादा होती है. इन इलाकों में जलभराव के पीछे कई वजहें हैं. सबसे बड़ी वजह नालों की है. नालों की समय पर सफाई न होना और पुराने नालों की क्षमता से ज्यादा पानी आना. कई जगहों पर सीवर लाइन और स्टॉर्म वाटर ड्रेन आपस में जुड़ जाती हैं, जिससे बरसात का पानी बहने की जगह रुक जाता है. साथ ही कुछ जगहों पर भौगोलिक स्थिति भी जिम्मेदार है. जैसे तिलक ब्रिज के नीचे का इलाका, जो स्वाभाविक रूप से नीचा है वहां पानी जमा होना आम बात है.
कौन-कौन से इलाके हैं सबसे ज्यादा प्रभावित
इन 71 इलाकों में मथुरा रोड, रिंग रोड, आउटर रिंग रोड, मोदी मिल फ्लाईओवर, मुकरबा चौक, राजघाट, आई.पी. फ्लाईओवर, बुलेवार्ड रोड, सालिमगढ़ किला, एसपी मुखर्जी रोड पर चट्टा रेल चौक, मजनू का टीला, सिरी फोर्ट ट्रैफिक सिग्नल, कुतुब मीनार मेट्रो स्टेशन और बुराड़ी रोड प्रमुख हैं. खासकर बुराड़ी रोड की हालत बेहद खराब है, जहां बड़े स्तर पर नाले का पुनर्निर्माण जरूरी है. विकास मार्ग और अशोक विहार में स्थिति गंभीर बनी हुई है. विकास मार्ग पर नई पाइपलाइन डाली जा रही है और अशोक विहार में समाधान के लिए लगातार पत्राचार के बावजूद सुधार नहीं हो पाया है.
क्या हो रहे हैं प्रयास
PWD और अन्य विभाग अब मिलकर काम करने की योजना बना रहे हैं. कई जगहों पर पहले ही पंप लगा दिए गए हैं, कई जगहों पर नाले की सफाई चल रही है और कुछ इलाकों में नई ड्रेनेज लाइन बिछाई जा रही है. सत्य निकेतन बस स्टैंड, ग्रेटर कैलाश-1 और सेवा नगर में काफी हद तक काम पूरा हो चुका है. दिल्ली कैंट मेट्रो स्टेशन के नीचे जलभराव की समस्या को लेकर मेट्रो प्रशासन को भी सूचित किया गया है, क्योंकि वहां सीवर लाइन को स्टॉर्म ड्रेन से जोड़ दिया गया है, जो नियमों के खिलाफ है.
आगे की योजना क्या है
PWD के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार इस बैठक का उद्देश्य अलग-अलग विभागों के बीच बेहतर समन्वय बनाना है, ताकि जलभराव की समस्या का स्थायी समाधान निकाला जा सके. फिलहाल दिल्ली में 1,400 किलोमीटर सड़कों के किनारे 2,026 किलोमीटर लंबे नालों का प्रबंधन PWD करता है, जो यमुना में जाकर मिलते हैं.
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