DELHI POLICE CRIME BRANCH : दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक बेहद खतरनाक और संवेदनशील रैकेट का पर्दाफाश किया है. इस रैकेट का काम था कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे मरीजों को नकली दवाएं बेचकर न केवल ठगना, बल्कि उनकी जिंदगी को खतरे में डालना. पुलिस की ईआर-1 क्राइम ब्रांच ने एक गुप्त सूचना के आधार पर लक्ष्मी नगर, बुध विहार और चांदनी चौक में एक साथ छापेमारी की और इस फर्जीवाड़े से जुड़े छह लोगों को गिरफ्तार किया.
दर्द से लड़ रहे थे और जिंदगी से ठगे गए
पुलिस के अनुसार इन आरोपियों ने सोशल मीडिया पर कैंसर मरीजों को निशाना बनाया. व्हाट्सऐप और फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म पर एक्टिव कैंसर मरीजों के ग्रुप में जाकर ये लोग खुद को सस्ते इलाज का रास्ता बताते थे. मरीजों की मजबूरी का फायदा उठाते हुए ये नकली, अवैध और बिना लाइसेंस वाली दवाएं बेचते थे. ये दवाएं आम बाजार में 1.5 से 2 लाख रुपये में बिकती हैं, लेकिन ये लोग उन्हें 50 से 70 हजार में बेच देते थे ताकि मरीजों को लगे कि उन्हें राहत मिल रही है. अगर बात करें जमीनी स्तर पर तो हकीकत में उन्हें जहर बेचा जा रहा था.
छापेमारी और गिरफ्तारियां
लक्ष्मी नगर में ASI संदीप चौला के नेतृत्व में की गई रेड में ‘Onco Life Care Pharma’ से जुड़े दो लोग नीरज कुमार (23) और अनिल कुमार (30) पकड़े गए. उनके पास से नकली Opdivo इंजेक्शन बरामद हुए. बुध विहार से SI प्रकाश के नेतृत्व में धनेश शर्मा (23) और धीरज कुमार पकड़े गए. उनके पास से बिना अनुमति के कई विदेशी दवाएं जैसे Erbitux, Opdivo और Lenvima पाई गईं. चांदनी चौक के भगीरथ पैलेस से रोहित भट्टी (24) और ज्योति ग्रोवर (52) गिरफ्तार हुए. यहां से भारी मात्रा में नकली दवाएं मिलीं जिनमें Xolair, Keytruda, Hemlibra जैसी महंगी और जान बचाने वाली दवाएं शामिल थीं.
मास्टरमाइंड पहले भी जा चुका है जेल
इस पूरे रैकेट का मास्टरमाइंड नवीन आर्य नाम का एक व्यक्ति है, जो पहले भी इसी तरह के अपराध के चलते तीन महीने की जेल काट चुका है. जेल से निकलते ही उसने फिर से ये काला कारोबार शुरू कर दिया, क्योंकि इसमें मुनाफा बहुत ज्यादा था.
पुलिस की जांच में चौंकाने वाले खुलासे
पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वे इन नकली दवाओं को दूसरे राज्यों के अवैध नेटवर्क से सस्ते दामों पर खरीदते थे और मरीजों को आधी कीमत में बेचते थे. ये दवाएं 'Not for sale in India' के टैग के साथ आती थीं, यानी भारत में इनका प्रयोग कानूनी नहीं है. फिर भी इन लोगों ने मरीजों की जान से खिलवाड़ किया. पुलिस ने जब इनके मोबाइल फोन की जांच की तो पता चला कि ये लोग दर्जनों मरीजों से सोशल मीडिया के जरिए जुड़े हुए थे. कैंसर के मरीज जब अपनी जरूरत सोशल मीडिया पर साझा करते थे, ये लोग उन्हें फौरन संपर्क करते और नकली दवाएं बेच देते.
बरामद दवाएं
पुलिस ने लोगों का दिया संदेश
दिल्ली पुलिस ने कहा है कि यह ऑपरेशन समाज के सबसे असहाय वर्ग गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को धोखा देने वालों के खिलाफ बड़ी सफलता है. जांच अभी जारी है और पुलिस बाकी पीड़ितों तक भी पहुंचने की कोशिश कर रही है ताकि उन्हें समय रहते सही इलाज मिल सके.
इनपुट- हेमंग बरुआ
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