Delhi News: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली में बढ़ते क्राइम को लेकर दिल्ली पुलिस को खरी-खरी सुना दी. इस मामले में केंद्र सरकार को भी पक्षकार बनाया गया है. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस बागची की बेंच ने कहा कि आम आदमी की नजर में कानून का भय कम हुआ है. गैंगस्टरों से छुटकारा पाना होगा और उनके साथ बेवजह सहानुभूति नहीं होनी चाहिए.
कोर्ट ने कहा कि किसी केस में गवाह पुलिस की आंख और कान होते हैं. आप उनकी सुरक्षा के लिए क्या कर रहे हैं? दिनदहाड़े सड़क पर हत्याएं हो रही हैं और सबूतों के अभाव में आरोपी बेखौफ छूट जाते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने यह कड़ी टिप्पणी महेश खत्री की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए की. महेश पर पुलिस टीम पर फायरिंग करने का आरोप है. बाइक सवार बदमाशों ने कुछ दिन पहले नॉर्थ रोहिणी पुलिस पर हमला किया था. हालांकि उसी समय बदमाशों को गिरफ्तार कर लिया गया था. महेश खत्री ने ट्रायल में देरी का हवाला देते हुए जमानत मांगी थी, जिसे कोर्ट ने लंबे चौड़े आपराधिक इतिहास को देखते हुए खारिज कर दिया.
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कोर्ट ने कहा, गवाहों को प्रभावित किया जा सके, इसलिए हर केस में देरी की जाती है ताकि आरोपी बरी हो जाए. यही गेम प्लान होता है. इस दौरान बेंच ने आंध्र प्रदेश की सराहना की, जहां गंभीर मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतें बनाई गई हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार से फास्ट ट्रैक अदालतों की व्यवस्था करने, न्यायिक अधिकारियों के अतिरिक्त पद सृजित करने, वकीलों की उपस्थिति सुनिश्चित करने, सुनवाई टालने और आरोप तय करने के सुझाव दिए. अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी.
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