Delhi News: दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर दिल्ली की विभिन्न जेलों में 10 साल से ऊपर और एक साल तक की सजा काट रही महिलाओं को विशेष माफी दी है. LG ने सीआरपीसी की धारा 432 के तहत प्राप्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए पात्र दोषियों को विशेष माफी की मंजूरी दी है. सभी महिला कैदी और 65 वर्ष से अधिक आयु के पुरुष, जिनकी सजा की अवधि 10 वर्ष से अधिक है, 90 दिनों की छूट पाने के पात्र होंगे, अन्य श्रेणियों के लिए छूट 20 से 90 दिनों तक भिन्न होगी.
दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा अलग-अलग अवधि की सजा काट रही महिला कैदियों को विशेष प्रावधान तहत सजा माफी दी गई है. जिसमें सभी महिला कैदी और 65 वर्ष से अधिक आयु के पुरुष, जिनकी सजा की अवधि 10 वर्ष से अधिक है, 90 दिनों की छूट पाने के पात्र होंगे. 10 वर्ष से अधिक की सजा काट रहे उन कैदियों को 90 दिन की छूट दी जाएगी, जिनकी उम्र 65 वर्ष से अधिक होगी, जबकि अन्य कैदियों को 60 दिनों की छूट मिलेगी. इसके अलावा अन्य श्रेणियों के लिए छूट 20 से 90 दिनों तक भिन्न होगी.
5 वर्ष या उससे अधिक और 10 वर्ष तक की सजा काट रहे कैदियों की श्रेणी में, 65 वर्ष से अधिक आयु के पुरुषों और सभी उम्र की महिलाओं को 60 दिनों की छूट दी जाएगी. 65 वर्ष से कम आयु के पुरुषों के लिए सजा माफी की अवधि 45 दिन होगी.
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इसके अलावा, सभी श्रेणियों में 1 से अधिक और 5 वर्ष तक की सजा पाने वाले कैदियों को 30 दिनों की सजा माफी की छूट मिलेगी. 1 वर्ष तक की अवधि की सजा के मामले में, 65 वर्ष से अधिक की उम्र के पुरुष कैदियों को और सभी उम्र की महिला कैदियों को 20 दिन की और अन्य कैदियों को 15 दिनों की सजा माफी की छूट मिलेगी.
गृह विभाग, दिल्ली सरकार के माध्यम से जेल विभाग ने गणतंत्र दिवस, 2024 के अवसर पर पात्र दोषियों को सजा माफी के लिए, दिल्ली जेल नियम, 2018 के नियम 1185 और सीआरपीसी की धारा 432 के तहत मिले अधिकारों के तहत प्रस्ताव प्रस्तुत किया. सीआरपीसी की धारा 432, सरकार को दोषियों को सजा माफी की छूट देने का अधिकार देती है. भारत सरकार के गृह मंत्रालय की 20.03.1974 की अधिसूचना के अनुसार, सीआरपीसी की धारा 432 के तहत, सरकार के अधिकार का प्रयोग उपराज्यपाल द्वारा किया जाता है.
सरकार द्वारा ये छूट राष्ट्रीय महत्व या सार्वजनिक खुशी के अवसरों पर दी जा सकती है. हालांकि, 18.12.1978 को या उसके बाद, जिन कैदियों को ऐसे अपराध के लिए, जिसमें मौत की सजा, आजीवन कारावास की सजा दी गई है या जिनकी मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया है, सजा माफी की छूट के लिए पात्र नहीं होंगे.
इसी प्रकार केवल जुर्माने के बदले सजा काट रहे कैदी, एनएसए, सीओएफईपीओएसए (COFEPOSA) के तहत बंद कैदी, सरकारी बकाया से बचने के लिए जेल में बंद सिविल कैदी, कोर्ट-मार्शल के लिए दोषी कैदी, आधिकारिक गुप्त अधिनियम के तहत जासूसी के लिए दोषी ठहराए गए कैदी और एनडीपीएस अधिनियम के तहत 20.05.1989 या उसके बाद गिरफ्तार किए गए कैदी भी सजा में माफी के योग्य नहीं होंगे.
आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार) और 354 (महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाना) (संबद्ध धाराओं सहित) के तहत महिलाओं के खिलाफ अपराध के लिए सजा पाए कैदियों, नेगोशिएबल इंस्रुरामेंट एक्ट (परक्राम्य लिखत अधिनियम) की धारा 138 के तहत सजा पाए लोगों और पॉक्सो एक्ट के तहत अन्य सिविल दोषियों और सजा पाए कैदियों को भी सजा माफी नहीं दी जाती है.