Yamunanagar News: हथिनीकुंड बैराज पर लगभग 150 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली डायाफ्राम वॉल को लेकर चंडीगढ़ से सिंचाई विभाग ने बुधवार को औचिक निरीक्षण किया. जनवरी माह में शुरू हुआ यह काम 30 जून तक कंप्लीट करना है, लेकिन 3 महीने बीत जाने के बाद में 5% ही काम हुआ है और ऐसे में आज पंचकूला से आई चीफ इंजीनियर ने ड्राइंग को लेकर कई प्रकार के सवाल भी खड़े किए और मौके पर अधिकारियों की क्लास भी लगाई.
हथिनीकुंड बैराज के नाम का सीधा असर दिल्ली तक जाता है और ऐसे में हर साल जब पहाड़ों पर बरसात ज्यादा होती है तो सब की निगाह है इस कुंड बैराज पर ही होती है. मगर इस बार पहाड़ों पर पड़ने वाली बरसात का ज्यादा असर हथिनीकुंड बराज पर न देखने को मिले, इसको लेकर हथिनीकुंड बैराज पर 150 करोड़ रुपए की लागत से डायाफ्राम वॉल बनाई जा रही है. इस वॉल को बनाने का काम जनवरी महीने में शुरू किया गया था और इस 30 जून तक कंप्लीट करना है, लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि 3 महीने में महज 5% का ही काम हुआ है. जिसको लेकर चंडीगढ़ पंचकूला से सिंचाई विभाग की एक टीम औचक निरीक्षण करने हथिनीकुंड बैराज पर पहुंची.
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टीम ने जब निरीक्षण किया तो कई प्रकार की खामियां भी सामने आने लगी. चीफ इंजीनियर से लेकर जितने भी अधिकारी चंडीगढ़ से हथिनीकुंड बैराज पर पहुंचे थे, वह ड्राइंग से लेकर वहां हो रहे हर काम पर सवाल खड़े किए. क्योंकि जो ड्राइंग सिंचाई विभाग की तरफ से बनकर आई थी, उससे थोड़ा हटकर ही काम किया जा रहा था. ऐसे में ड्राइंग से छेड़छाड़ को लेकर भी अधिकारियों ने कई प्रकार के सवाल खड़े किए और ठेकेदार से भी इस बारे में बार-बार पूछा गया.
हथिनीकुंड बैराज पर लगभग 150 करोड़ रुपये की लागत से यह दीवार बनाई जा रही है, लेकिन इस बीच अगर काम पूरा नहीं हुआ तो मानसून के मौसम में पहाड़ों से आने वाले पानी में 150 करोड़ रुपया बह जाएगा और हर साल ऐसा ही होता है. बाढ़ राहत कार्यों को लेकर हर साल करोड़ रुपये यमुना पर खर्च किए जाते हैं और हर साल करोड़ों रुपए यमुना का पानी अपने साथ बहा ले जाता है. उसका हिसाब करने वाला भी कोई नहीं होता और ऐसी ही हालत इन दोनों हथिनीकुंड बैराज पर भी देखने को मिल रही है.
INPUT: KULWANT SINGH