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Delhi News: बैंक फ्रॉड केस में ED का बड़ा ऐक्शन, दिल्ली में 486 करोड़ रुपये का बंगला कुर्क

Delhi News:  प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूर्ववर्ती भूषण पावर एंड स्टील (बीपीएसएल) और उसके प्रमोटरों के खिलाफ कथित बैंक धोखाधड़ी के मामले में एक बड़ा कदम उठाया है. ईडी ने दिल्ली में स्थित एक बंगला, जिसकी कीमत 486 करोड़ रुपये है, कुर्क किया है. 

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Delhi News: बैंक फ्रॉड केस में ED का बड़ा ऐक्शन, दिल्ली में 486 करोड़ रुपये का बंगला कुर्क
Deepak Yadav|Updated: Jan 18, 2025, 09:38 AM IST
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Delhi News: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूर्ववर्ती भूषण पावर एंड स्टील (बीपीएसएल) और उसके प्रमोटरों के खिलाफ कथित बैंक धोखाधड़ी के मामले में एक बड़ा कदम उठाया है. ईडी ने दिल्ली में स्थित एक बंगला, जिसकी कीमत 486 करोड़ रुपये है, कुर्क किया है. यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग के एक केस के तहत की गई है, जो कि सीबीआई की एफआईआर से उत्पन्न हुआ है.

अमृता शेरगिल मार्ग पर स्थित है बंगला 
यह बंगला सेंट्रल दिल्ली के अमृता शेरगिल मार्ग पर स्थित है, जो कि दिल्ली के सबसे महंगे इलाकों में से एक है. लगभग एक एकड़ में फैला यह बंगला बीपीएसएल की पूर्व निदेशक और प्रमोटर संजय सिंघल की पत्नी आरती सिंघल के नाम पर है. ईडी ने पीएमएलए के तहत इसे अस्थायी रूप से फ्रीज कर दिया है.

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बीपीएसएल हो चुकी है दिवालिया 
बीपीएसएल अब दिवालिया हो चुकी है और इसे जेएसडब्ल्यू स्टील ने अधिग्रहित कर लिया है. संजय सिंघल को नवंबर 2019 में ईडी ने गिरफ्तार किया था और इस मामले में उनके खिलाफ मुकदमा चल रहा है. ईडी ने पहले भी इस मामले में संपत्तियों को कुर्क किया है. हाल ही में किए गए इस आदेश के साथ, इस मामले में जब्त संपत्तियों की कुल कीमत 4,938 करोड़ रुपये हो गई है. इनमें से 4,025 करोड़ रुपये की संपत्तियां पीएमएलए के तहत बैंकों को वापस कर दी गई हैं.

धोखाधड़ी का आरोप
सीबीआई की एफआईआर के अनुसार, बीपीएसएल और उसके प्रमोटरों पर आरोप है कि उन्होंने बैंकों के साथ 47,204 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की. ईडी के अनुसार, आरोप है कि कंपनी के पूर्व मालिकों ने बैंकों से लिए गए फंड को निजी निवेशों में बदल दिया. ईडी ने बताया कि अकाउंट बुक्स में हेराफेरी करके फर्जी खर्च, खरीद और पूंजीगत संपत्तियां दिखाई गईं. इसके अलावा, नकद राशि भी निकाली गई और परिवार के सदस्यों के नाम पर संपत्तियां खरीदी गईं. आरोप है कि इस रकम को विभिन्न बेनामी कंपनियों के खातों में भेजा गया और इसका उपयोग शेयरों और अचल संपत्तियों में निवेश के लिए किया गया. इस प्रकार, बैंक के फंड को निजी संपत्तियों के अधिग्रहण में खर्च किया गया. 

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