Delhi News: अगर आपके घर में किसी सदस्य को इंटरनेट की लत लग गई है. इससे उसकी मानसिक स्थिति पर असर पड़ रहा है, तो अब आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में इस समस्या का समाधान ढूंढने के लिए एक रिसर्च सेंटर खोला जा रहा है. यह देश का पहला केंद्र होगा, जहां इंटरनेट और तकनीकी लत पर शोध और इलाज किया जाएगा. इस सेंटर की स्थापना के लिए इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने सहायता दी है.
इंटरनेट की लत से बढ़ रही मानसिक समस्याएं
AIIMS के बिहेवियरल एडिक्शन क्लिनिक के प्रमुख, प्रोफेसर यतन पाल सिंह का कहना है कि आजकल बच्चों और युवाओं में इंटरनेट और तकनीकी लत की समस्या बढ़ती जा रही है, जिसका असर उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है. इकॉनमी सर्वे 2024-24 में इस समस्या का उल्लेख किया गया है, जिसमें इंटरनेट की लत के कारण मानसिक समस्याओं के मामलों में बढ़ोतरी पाई गई है. यतन पाल सिंह ने बताया कि पैरंट्स और स्कूलों को बच्चों के इंटरनेट उपयोग को नियंत्रित करने की आवश्यकता है, ताकि इस लत को बढ़ने से रोका जा सके.
AI आधारित मॉडल और सेंटर का उद्देश्य
इस नए रिसर्च सेंटर का मुख्य उद्देश्य इंटरनेट की लत को रोकने और उसकी शुरुआत में ही पहचान करने पर ध्यान केंद्रित करना होगा. सेंटर में तनाव, चिंता और अवसाद जैसी समस्याओं के इलाज के लिए भी कदम उठाए जाएंगे. इसके अलावा, एक AI आधारित मॉडल तैयार किया जाएगा जो यह पहचान सकेगा कि कौन से बच्चे और युवा इस लत के प्रति अधिक संवेदनशील हैं. सेंटर में माता-पिता, शिक्षकों और स्वास्थ्य कर्मचारियों को तकनीकी लत से निपटने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा.
ये भी पढ़े-ं आज दिल्ली विधानसभा में पेश होंगी 14 CAG रिपोर्ट्स, शराब से लेकर स्वास्थ्य का खुलासा
सेंटर का एक और प्रमुख लक्ष्य यह है कि यह बच्चों और युवाओं को इस लत से बचाने के उपाय सुझाएगा और उनके मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने का प्रयास करेगा. इसके अलावा डॉक्टरों की एक टीम स्कूलों और कॉलेजों में जाकर लोगों को इस लत के बारे में जागरूक करेगी. इस सेंटर के माध्यम से पूरे देश के मेडिकल कॉलेजों को भी जोड़ा जाएगा, ताकि अन्य जगहों पर भी ऐसे सेंटर खोले जा सकें और बच्चों और युवाओं के लिए मदद का अवसर बढ़ सके. कुल मिलाकर, इस सेंटर का उद्देश्य बच्चों और युवाओं में इंटरनेट की लत से जुड़ी समस्याओं को दूर करना और उनके मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाना है. इसे देश का पहला सेंटर माना जा रहा है, जो लाखों बच्चों और युवाओं को इस लत से उबारने में मदद करेगा.