trendingNow/india/delhi-ncr-haryana/delhiHaryana02688368
Home >>Delhi-NCR-Haryana

आग से खुली काली कमाई की पोल! हाईकोर्ट जज के घर से कैश बरामद, SC कोलेजियम ने किया ट्रांसफर

Justice Yashwant Varma: घटना के दौरान जस्टिस यशवंत वर्मा दिल्ली में नहीं थे. उनके परिवार के सदस्यों ने तुरंत दमकल विभाग और पुलिस को बुलाया. आग पर काबू पाने के बाद जब अधिकारियों ने निरीक्षण किया, तो एक कमरे में भारी मात्रा में नकदी मिली. इस घटना के बाद संबंधित अधिकारियों को सूचना दी गई.  

Advertisement
आग से खुली काली कमाई की पोल! हाईकोर्ट जज के घर से कैश बरामद, SC कोलेजियम ने किया ट्रांसफर
आग से खुली काली कमाई की पोल! हाईकोर्ट जज के घर से कैश बरामद, SC कोलेजियम ने किया ट्रांसफर
PUSHPENDER KUMAR|Updated: Mar 21, 2025, 11:43 AM IST
Share

Supreme Court of India: दिल्ली हाईकोर्ट के एक जज के सरकारी बंगले में लगी आग से एक ऐसा खुलासा हुआ, जिसने न्यायपालिका और प्रशासन में हड़कंप मचा दिया. आग बुझाने पहुंचे अधिकारियों को एक कमरे में भारी मात्रा में नकदी मिली, जिससे यह मामला और गंभीर हो गया. इस घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना ने कोलेजियम की बैठक बुलाकर तत्काल कार्रवाई करने का निर्णय लिया.

अचानक लगी आग से खुली पोल
द टाइम्स ऑफ इण्डिया की रिपोर्ट्स के अनुसार घटना तब हुई जब जस्टिस यशवंत वर्मा अपने सरकारी बंगले में मौजूद नहीं थे. उनके परिवार ने आग लगने के बाद दमकल और पुलिस को बुलाया. आग पर काबू पाने के बाद जब पुलिस और दमकलकर्मी घर का निरीक्षण कर रहे थे, तब उन्हें एक कमरे में भारी मात्रा में नकदी मिली. इस बेहिसाब पैसे की बरामदगी के बाद मामले ने नया मोड़ ले लिया.

पुलिस ने उच्च अधिकारियों को दी जानकारी
जैसे ही पुलिस को इस नकदी की जानकारी मिली, उन्होंने तुरंत अपने वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित किया. मामला संवेदनशील होने के कारण यह जानकारी केंद्र सरकार तक पहुंचाई गई. इसके बाद सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट को इस घटना के बारे में अवगत कराया गया. मामले की गंभीरता को देखते हुए CJI संजीव खन्ना ने तुरंत कोलेजियम की आपात बैठक बुलाई.

कोलेजियम ने लिया सख्त फैसला
द टाइम्स ऑफ इण्डिया की रिपोर्ट्स के अनुसार कोलेजियम के सभी जजों ने सर्वसम्मति से फैसला लिया कि जस्टिस वर्मा को तत्काल प्रभाव से दिल्ली हाईकोर्ट से उनके मूल स्थान इलाहाबाद हाईकोर्ट स्थानांतरित किया जाएगा. उल्लेखनीय है कि जस्टिस वर्मा अक्टूबर 2021 में इलाहाबाद हाईकोर्ट से दिल्ली हाईकोर्ट स्थानांतरित हुए थे. हालांकि, कोलेजियम के कुछ वरिष्ठ सदस्यों का मत था कि केवल तबादला पर्याप्त नहीं होगा. उनका मानना था कि इस तरह की घटना से न्यायपालिका की छवि धूमिल होती है और जनता का भरोसा कम होता है. इसलिए, कुछ सदस्यों ने सुझाव दिया कि जस्टिस वर्मा को पहले स्वेच्छा से इस्तीफा देने के लिए कहा जाए. यदि वह मना करते हैं, तो उनके खिलाफ औपचारिक जांच शुरू की जाए, जो अंततः संसदीय स्तर पर उनके पद से हटाने की प्रक्रिया का हिस्सा बन सकती है.

क्या होगा आगे क्या?
सुप्रीम कोर्ट ने 1999 में एक विशेष इन-हाउस जांच प्रणाली तैयार की थी, जिसके तहत किसी भी जज पर लगे भ्रष्टाचार या अन्य अनियमितताओं के आरोपों की जांच की जाती है. इस प्रक्रिया में CJI सबसे पहले संबंधित जज से स्पष्टीकरण मांगते हैं. यदि उत्तर संतोषजनक नहीं होता, तो एक उच्च स्तरीय जांच समिति गठित की जाती है, जिसमें एक सुप्रीम कोर्ट के जज और दो हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शामिल होते हैं. अब देखना यह होगा कि क्या जस्टिस वर्मा केवल तबादले के साथ इस मामले से बच निकलेंगे या फिर न्यायपालिका की निष्पक्षता बनाए रखने के लिए उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी.

ये भी पढ़िए- MCD पर बरसे मनजिंदर सिंह सिरसा, कहा-राजौरी गार्डन को गंदगी में नहीं रहने देंगे

Read More
{}{}