Ghaziabad News: दिल्ली NCR की तपती गर्मी में जहां आम नागरिक घरों से बाहर निकलने से कतरा रहे हैं. वहीं ट्रैफिक पुलिसकर्मी धूप और धूल में लगातार ड्यूटी निभा रहे हैं. ऐसे हालात में गाजियाबाद पुलिस कमिश्नरेट ने एक सराहनीय और मानवीय कदम उठाया है, जो देश भर के पुलिस विभागों के लिए उदाहरण बन सकता है. अपर पुलिस उपायुक्त (यातायात) सच्चिदानंद के नेतृत्व में 100 ट्रैफिक पुलिसकर्मियों को AC हेलमेट, छाते, पानी की बोतलें और सेफ्टी गॉगल्स वितरित किए गए. यह कदम न केवल एक आधुनिक तकनीकी नवाचार को दिखाता है, बल्कि ड्यूटी पर तैनात कर्मियों की सेहत और सुविधा को प्राथमिकता देने का भी प्रतीक है.
ये सुविधाएं दी जाएंगी
इस विशेष हेलमेट में एक छोटा बैटरी-चालित फैन लगा होता है, जो अंदर की गर्मी को बाहर निकालकर सिर को ठंडक पहुंचाता है. बैटरी 8 से 10 घंटे तक चल सकती है. इसे कमर पर आसानी से बांधा जा सकता है. हेलमेट का वजन महज 200-250 ग्राम होने से यह भारी नहीं लगता. साथ ही इसमें धूप से आंखों की रक्षा के लिए एक स्पेशल शील्ड भी मौजूद है. गर्मी में यह हेलमेट सिर के तापमान को सामान्य से 10–15 डिग्री तक कम कर सकता है. यह केवल एक तकनीकी नवाचार नहीं, बल्कि एक संवेदनशील और मानवीय पहल है. गर्मी, लू, और प्रदूषण के बीच ट्रैफिक पुलिस के सामने शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है. हीट स्ट्रोक, डिहाइड्रेशन, सिरदर्द और थकावट जैसी समस्याएं आम हैं. AC हेलमेट, छाते और पानी की बोतलें देना दिखाता है कि पुलिस विभाग अब अपने जवानों की जरूरतों को गंभीरता से समझ रहा है.
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ट्रैफिक पुलिसकर्मी सबसे कठिन परिस्थितियों करते हैं काम
ADCP सच्चिदानंद ने बताया हमारे ट्रैफिक पुलिसकर्मी सबसे कठिन परिस्थितियों में काम करते हैं. यह पहल उनके लिए सम्मान और सहूलियत दोनों के लिए है. हमारी कोशिश है कि हम उन्हें हर मौसम में सुरक्षित और सशक्त बनाएं. गाजियाबाद पुलिस की यह पहल न केवल तकनीकी रूप से स्मार्ट है, बल्कि कार्यस्थल पर कर्मचारियों की भलाई को प्राथमिकता देने की दिशा में एक साहसिक कदम भी है. यह अन्य राज्यों के पुलिस विभागों को भी प्रेरणा दे सकता है, जहां अक्सर गर्मी में पुलिसकर्मियों की हालात उपेक्षा का शिकार होती हैं. जहां एक ओर पुलिस विभागों को कठोर अनुशासन और सख्ती के लिए जाना जाता है. वहीं गाजियाबाद पुलिस की यह पहल बताती है कि अगर प्रशासन चाहे तो वह संवेदनशील, मानवीय और नवाचारी तीनों हो सकता है. उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाले समय में देश भर में ऐसे प्रयास देखने को मिलें, ताकि वे लोग जो हमारी सुरक्षा और व्यवस्था के लिए सड़क पर खड़े हैं, उन्हें भी एक सुरक्षित और आरामदायक कार्य माहौल मिल सके.
Input- Piyush Gaur