Ghaziabad News: जहां एक तरफ देश के अलग-अलग हिस्सों में अवैध संबंधों के चलते पति की नृशंस हत्या की घटनाओं ने समाज को विचलित कर दिया. वहां गाजियाबाद की आशा देवी ने यह साबित कर दिया कि आज भी शादी का बंधन उतना ही पवित्र, मजबूत और भरोसेमंद है जो सदियों से चला आ रहा है. उनकी कांवड़ यात्रा पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है. उन्होंने चलने में असमर्थ पति को अपने कंधों पर बैठाकर न केवल हरिद्वार से मोदीनगर तक कांवड़ यात्रा पूरी की, बल्कि पूरे समाज को यह संदेश दिया कि अगर साथ निभाने की नीयत सच्ची हो तो कोई भी रास्ता कठिन नहीं होता.
दरअसल, मोदीनगर के बखरवा गांव की रहने वाली आशा देवी ने 14 जुलाई को हरिद्वार की हर की पौड़ी से कांवड़ यात्रा की शुरुआत की, लेकिन यह यात्रा साधारण नहीं थी. उन्होंने पति सचिन कुमार को अपनी पीठ पर बैठाकर इस संपूर्ण यात्रा को तय किया. दरअसल सचिन कॉन्ट्रैक्टर थे लेकिन बीमारी ने उन्हें लाचार बना दिया. उनके पैरों ने एक साल पहले हुए स्पाइन ऑपरेशन के बाद साथ देना बंद कर दिया. करीब 180 किलोमीटर लंबी यह यात्रा आशा देवी ने नौ दिनों में पूरी की और जब वह मोदीनगर पहुंचीं तो राह चलते लोग उन्हें देखकर ठहर गए. किसी ने सिर झुकाया, किसी की आंखें नम हो गईं और हर किसी ने उनके इस समर्पण को प्रणाम किया.
सचिन कुमार की बीमारी के बाद घर की जिम्मेदारी पूरी तरह आशा देवी के कंधों पर आ चुकी है. आशा देवी खुद सिलाई और कपड़े के थैले बनाने का काम करती हैं. एक बार दोनों हर की पौड़ी में स्नान कर रहे थे तो उनके मन में विचार आया कि वे इस बार कांवड़ यात्रा कुछ अलग रूप में करेंगी. उन्होंने प्रण लिया कि इस बार वे अपने पति को कांवड़ के रूप में पीठ पर बैठाकर भोलेनाथ के दर पर जाएंगी और उन्होंने यह करके दिखाया.
ये भी पढ़ें: Sawan Shivratri पर जलाभिषेक के लिए हरियाणा में सुरक्षा के पुख्ता इतंजाम, पुलिस अलर्ट
आशा देवी ने कहा कि जीवन में कठिनाइयों का सामना हर किसी को करना पड़ता है, लेकिन अगर मन में श्रद्धा और रिश्तों के लिए सच्चा समर्पण हो तो कोई भी रास्ता लंबा नहीं लगता. उन्होंने भगवान भोलेनाथ से प्रार्थना की है कि उनके पति एक बार फिर अपने पैरों पर खड़े हो सकें और उनका परिवार पहले की तरह सामान्य जीवन जी सके. इस यात्रा में उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा, लेकिन आशा कहती हैं कि शिव की कृपा और मन की शक्ति ने उन्हें कभी रुकने नहीं दिया. कल आशा देवी बखरवा गांव स्थित भगवान शिव के मंदिर में हरिद्वार से लाया गया गंगाजल चढ़ाकर अपनी कांवड़ यात्रा पूर्ण करेंगी.
वहीं भावुक सचिन कुमार का कहना है कि यह उसकी पत्नी की हिम्मत है कि वह उसे अपनी पीठ पर बैठाकर कांवड़ यात्रा पूरी की है. वह 1 साल से चल नहीं पा रहे हैं. जैसा उसके साथ हुआ वैसा किसी के साथ न हो, क्योंकि पति ही पत्नी की जिम्मेदारी उठाता है. 1 साल से वह अपनी पत्नी पर बोझ बन गए हैं और पत्नी को उसकी जिम्मेदारी उठानी पड़ रही है.
Input: Piyush Gaur
दिल्ली एनसीआर की नवीनतम अपडेट्स के लिए ज़ी न्यूज़ से जुड़े रहें! यहाँ पढ़ें Delhi-NCR News in Hindi और पाएं Delhi-NCR latest News in Hindi हर पल की जानकारी । दिल्ली एनसीआर की हर ख़बर सबसे पहले आपके पास, क्योंकि हम रखते हैं आपको हर पल के लिए तैयार। जुड़े रहें हमारे साथ और बने रहें अपडेटेड!