Gurugram Fire: गुरुग्राम के बंधवाड़ी लैंडफिल साइट में लगी भीषण आग ने पूरे इलाके को धुएं से ढक दिया. पांच दिन तक जलते रहे कूड़े के पहाड़ ने न सिर्फ आस-पास के गांवों और सोसायटी में रहने वाले लोगों का जीना मुश्किल कर दिया, बल्कि प्रदूषण का स्तर भी गंभीर रूप से बढ़ा दिया. अब इस गंभीर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया है और गुरुग्राम नगर निगम से जवाब मांगा है.
सुप्रीम कोर्ट ने नगर निगम आयुक्त अशोक कुमार गर्ग को आदेश दिया है कि वह 15 मई तक हलफनामा दाखिल करें और बताएं कि लैंडफिल में आग कैसे लगी और अब तक क्या कार्रवाई की गई. कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों, इसके लिए जरूरी कदम उठाए जाएं और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) की गाइडलाइन का सख्ती से पालन किया जाए. यह आग 26 अप्रैल की रात लगी थी और इसे बुझाने के लिए दमकल विभाग की 50 से अधिक गाड़ियां लगी रहीं. आग बेशक कुछ हद तक काबू में आई, लेकिन दोबारा कई जगहों पर चिंगारियां उठीं. अनुमान है कि करीब 12 लाख टन कचरे में लगी आग से तीन से चार किलोमीटर के दायरे में जहरीला धुआं फैला, जिससे लोगों को सांस लेने में तकलीफ होने लगी.
दुख की बात यह है कि इस लैंडफिल पर न तो कोई फायर सेफ्टी प्लान तैयार किया गया था, न ही पानी भरने के लिए बोरवेल या हाइड्रेंट की व्यवस्था थी. पहले भी 2024 में लगभग 70 बार आग लग चुकी है, लेकिन आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए. विशेषज्ञों के अनुसार, लैंडफिल में मिथेन जैसी ज्वलनशील गैसें बनती हैं जो थोड़ी सी चिंगारी से भी आग पकड़ सकती हैं. ऐसे में यहां थर्मल कैमरे, गैस सेंसर, वेंटीलेशन और पाइपिंग सिस्टम लगाना जरूरी है. इसके अलावा वाटर स्प्रिंकलर, फायर एक्सटिंग्विशर और टैंकर की व्यवस्था भी करनी होगी. सुप्रीम कोर्ट का यह सख्त रुख लोगों को राहत देने वाला है. अब उम्मीद की जा रही है कि जिम्मेदार अफसर चेतेंगे और लापरवाही की जगह सुरक्षा को प्राथमिकता देंगे, ताकि फिर किसी को इस जहरीले धुएं में सांस न लेनी पड़े.
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