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Gurugram Metro: गुरुग्राम मेट्रो के रास्ते में बाधा बन रहे मकान? जानें GMRL का क्या है प्लान

गुरुग्राम मेट्रो रेल लिमिटेड (जीएमआरएल) ने मिलेनियम सिटी सेंटर से साइबर हब तक 29 किलोमीटर लंबे मेट्रो प्रोजेक्ट के कार्य में तेजी लाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. यह प्रोजेक्ट न केवल शहर के यातायात को सुगम बनाएगा, बल्कि आर्थिक विकास में भी योगदान देगा.

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Gurugram Metro: गुरुग्राम मेट्रो के रास्ते में बाधा बन रहे मकान? जानें GMRL का क्या है प्लान
Deepak Yadav|Updated: Jul 30, 2025, 10:17 AM IST
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Gurugram Metro: गुरुग्राम मेट्रो रेल लिमिटेड (जीएमआरएल) ने मिलेनियम सिटी सेंटर से साइबर हब तक 29 किलोमीटर लंबे मेट्रो प्रोजेक्ट के कार्य में तेजी लाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. यह प्रोजेक्ट न केवल शहर के यातायात को सुगम बनाएगा, बल्कि आर्थिक विकास में भी योगदान देगा. जीएमआरएल द्वारा उठाए गए कदमों से इस प्रोजेक्ट की समय सीमा में सुधार की उम्मीद है.

जीएमआरएल ने मेट्रो रूट अलाइनमेंट को प्रभावित कर रही तीन निजी संपत्तियों के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी है. यह निर्णय मेट्रो प्रोजेक्ट की प्रगति को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक था. GMRLके  मुताबिक प्रोजेक्ट के लिए गठित निजी भूमि अधिग्रहण कमेटी ने संपत्ति मालिकों के साथ कई बैठकें की हैं और सफलतापूर्वक उनकी सहमति प्राप्त कर ली गई है. यह अधिग्रहण भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन में उचित मुआवजा और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम, 2013 के तहत किया जाएगा. यह कानून प्रभावित लोगों के लिए उचित मुआवजा सुनिश्चित करता है. 

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मेट्रो मार्ग पर दो घर आ रहे हैं, जिनमें से एक सेक्टर-9 में है, जहां 83 वर्गमीटर क्षेत्र प्रभावित हो रहा है. वहीं, सेक्टर-4 में एक प्लॉट का 91 वर्गमीटर क्षेत्र प्रभावित होगा. इसके अलावा, सेक्टर-4 में एक अन्य मकान से 426 वर्गमीटर का बड़ा क्षेत्र प्रभावित होगा. यह जानकारी मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए महत्वपूर्ण है. GMRLके एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक मेट्रो निगम निजी भूमि के अधिग्रहण में तेजी ला रहा है. इसके साथ ही, साइबर सिटी में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम  द्वारा निर्मित आरआरटीएस स्टेशन को जल्द अंतिम रूप देने पर भी काम चल रहा है. इसके लिए एक हाई लेवल कमेटी का गठन किया गया है.

मेट्रो निगम ने अब इन तीनों संपत्तियों के मालिकों को दिए जाने वाले मुआवजे का आंकलन करने के लिए राजस्व विभाग से पिछले तीन वर्षों में पंजीकृत समान संपत्तियों के औसत बिक्री मूल्य का विवरण मांगा है. यह जानकारी मुआवजे को अंतिम रूप देने के लिए आवश्यक है. इस प्रक्रिया से यह सुनिश्चित होगा कि प्रभावित लोगों को उनका उचित मुआवजा मिले.

 

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