Karnal Fire News: करनाल के जेनेसिस कोचिंग इंस्टीट्यूट में मंगलवार को एक गंभीर आगजनी की घटना हुई. इस घटना ने न केवल छात्रों के मन डर पैदा किया, बल्कि यह भी दिखाया कि आपातकालीन स्थितियों में क्या करना चाहिए. आग लगने के समय लगभग 500 छात्र वहां पढ़ाई कर रहे थे. आग लगने के कारणों की जांच की जा रही है, लेकिन प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार यह शॉर्ट सर्किट के कारण हो सकती है.
जेनेसिस कोचिंग इंस्टीट्यूट में लगी आग
मंगलवार दोपहर लगभग 12:30 बजे जेनेसिस कोचिंग इंस्टीट्यूट के ग्राउंड फ्लोर पर आग लगी, जहां रिकॉर्ड रूम से धुआं उठने लगा. उस समय कुछ छात्र अपने डाउट्स क्लियर करने में व्यस्त थे. जैसे ही धुआं बढ़ा, छात्रों में हड़कंप मच गया. सभी छात्रों ने तुरंत बाहर निकलने का प्रयास किया और अपनी किताबें और बैग क्लासरूम में ही छोड़ दिए.
इंस्टीट्यूट में 30 से 35 स्टाफ मौजूद
जिस समय आग लगी, इंस्टीट्यूट में लगभग 30 से 35 स्टाफ मौजूद था. टीचर्स और स्टाफ ने आग बुझाने के लिए 7 फायर एक्सटिंग्विशर का उपयोग किया, लेकिन आग पर काबू पाने में उन्हें सफलता नहीं मिली. इसके बाद, फायर ब्रिगेड को तुरंत सूचना दी गई.
फायर ब्रिगेड ने आग पर पाया काबू
सूचना मिलते ही फायर ब्रिगेड की टीम मौके पर पहुंची. फायर ऑफिसर रणदीप चौहान ने बताया कि टीम ने आधे घंटे के भीतर आग पर काबू पा लिया. इस दौरान सभी छात्रों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया. फायर ब्रिगेड की त्वरित प्रतिक्रिया ने स्थिति को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
आग लगने से घबराए छात्र
इंस्टीट्यूट में पढ़ाई कर रहे छात्रों ने कहा कि जब उन्होंने क्लास में धुआं देखा, तो वे घबरा गए. छात्र सक्षम, अमरेंद्र सिंह और एलिस ने बताया कि पहले तो उन्हें समझ नहीं आया कि क्या हो रहा है, लेकिन फिर उन्हें बताया गया कि आग लगी है. इसके बाद सभी छात्र तेजी से बाहर भागे.
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आग लगने के कारणों की जांच
पुलिस ने आग लगने के कारणों और इंस्टीट्यूट की बैठने की क्षमता की जांच करने का निर्णय लिया है. सेक्टर 32-33 थाने के SHO मनोज कुमार ने कहा कि आग पर समय पर काबू पा लिया गया और फायर एनओसी की जांच की जाएगी. इस घटना ने सुरक्षा मानकों के पालन की आवश्यकता को उजागर किया है. क्या इस इंस्टीट्यूट में फायर एनओसी है? छात्रों की बैठने की क्षमता क्या है? ये सभी महत्वपूर्ण सवाल हैं जिनका जवाब खोजना आवश्यक है.
छात्रों की सुरक्षा सबसे पहले
इस घटना ने यह भी स्पष्ट किया कि छात्रों की सुरक्षा प्राथमिकता होनी चाहिए. आग लगने की स्थिति में छात्रों को सुरक्षित निकालने के लिए उचित उपाय किए जाने चाहिए. फायर ब्रिगेड और पुलिस की त्वरित प्रतिक्रिया ने छात्रों की जान बचाई.