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Haryana News: गर्भपात पर सरकार सख्त, लिंगजांच में शामिल डाक्टरों के लाइसेंस होंगे रद्द, MTP किट की अवैध बिक्री पर रखी जाएगी नजर

Haryana government: हरियाणा सरकार ने लिंगानुपात को कम करने के लिए सख्त कदम उठाएं हैं. अब अल्ट्रासाउंड केंद्रों की निगरानी, MTP किट की बिक्री पर कंट्रोल और लिंग निर्धारण से जुड़े मामलों पर कार्रवाई करना है.

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Haryana News: गर्भपात पर सरकार सख्त, लिंगजांच में शामिल डाक्टरों के लाइसेंस होंगे रद्द, MTP किट की अवैध बिक्री पर रखी जाएगी नजर
Zee Media Bureau|Updated: May 14, 2025, 09:32 PM IST
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Haryana News: हरियाणा सरकार ने राज्य में लिंगानुपात को सुधारने और कन्या भ्रूण हत्या पर प्रभावी कंट्रोल के लिए अपने प्रयासों को तेज कर दिया है. इस सिलसिले में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल ने आज राज्य के सभी जिलों के उपायुक्तों के साथ एक उच्चस्तरीय बैठक कर आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए. बैठक में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान को और मजबूत बनाने और कन्या भ्रूण हत्या की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए विशेष रणनीति पर चर्चा की गई. अतिरिक्त मुख्य सचिव ने साफ किया कि उपायुक्त इस मिशन को व्यक्तिगत प्राथमिकता बनाएं और जमीनी स्तर पर लगातार कार्रवाई सुनिश्चित करें ताकि दीर्घकालिक परिणाम हासिल किए जा सकें.

राज्य सरकार द्वारा जिला स्तरीय स्थायी समितियों का गठन किया जा रहा है, जिनकी अध्यक्षता संबंधित उपायुक्त करेंगे, जबकि मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) इनके सदस्य सचिव होंगे. इन समितियों का उद्देश्य अल्ट्रासाउंड केंद्रों की निगरानी, MTP किट की बिक्री पर कंट्रोल और लिंग निर्धारण से जुड़े मामलों पर कार्रवाई करना है. सभी समितियों को साप्ताहिक बैठकें करने और सुधारात्मक रणनीतियों पर काम करने के निर्देश दिए गए हैं.

गर्भपात पर सख्ती
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने बताया कि गर्भपात एक गंभीर सामाजिक समस्या है, जिसे केवल सरकारी प्रयासों से नहीं बल्कि समाज के हर वर्ग की भागीदारी से ही खत्म किया जा सकता है. सभी जिलों में MPT किट की अवैध बिक्री पर नजर रखने और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए गए हैं. साथ ही, किसी भी डॉक्टर के लिंग परीक्षण में शामिल पाए जाने पर हरियाणा मेडिकल काउंसिल के जरिए उसका लाइसेंस रद्द करने की चेतावनी दी गई है.

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गर्भवती महिलाओं पर रखा जाएगा निगरानी
राज्य में 12 खत्म से अधिक की सभी गर्भपात की गहन जांच की जाएगी, विशेषकर ऐसे मामलों में जहां दंपत्ति के पास पहले से बेटियां हों. सभी गर्भवती महिलाओं का 10 हफ्ते से पहले ANC पंजीकरण कराना जरूरी होगा. इसके लिए आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को सहेली के रूप में तैनात किया जाएगा जो इन महिलाओं को परामर्श देंगी और गर्भावस्था की निगरानी करेंगी. गर्भपात की स्थिति में संबंधित कार्यकर्ता के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी. लिंगानुपात सुधार से संबंधित गतिविधियों की जिम्मेदारी अब शहरी और ग्रामीण सीएचसी के एसएमओ इंचार्ज को सौंपी जाएगी. हर CHC के लिए अलग रणनीति तैयार की जाएगी. इसके अतिरिक्त, जिला प्रशासन को सूचना, शिक्षा और संचार (IEC) अभियान का दायरा बढ़ाने और धार्मिक और सामाजिक संगठनों को अभियान से जोड़ने के निर्देश भी दिए गए हैं, ताकि बेटियों के महत्व का संदेश समाज के हर कोने तक पहुंचाया जा सके.

Input- VIJAY RANA

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