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हरियाणा सरकार का सख्त आदेश, कोर्ट में गवाही से पहले लेनी होगी अनुमति, वरना होगी सजा

Haryana News: हरियाणा के मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी ने इस बारे में आदेश जारी किए हैं. यह नियम भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) के तहत बनाया गया है, जिसमें अदालत में गवाही देने के लिए ऑडियो-वीडियो तकनीक का इस्तेमाल अनिवार्य किया गया है.  

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हरियाणा सरकार का सख्त आदेश, कोर्ट में गवाही से पहले लेनी होगी अनुमति, वरना होगी सजा
हरियाणा सरकार का सख्त आदेश, कोर्ट में गवाही से पहले लेनी होगी अनुमति, वरना होगी सजा
PUSHPENDER KUMAR|Updated: Mar 02, 2025, 10:46 AM IST
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चंडीगढ़: हरियाणा सरकार ने सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए नई सख्त गाइडलाइन जारी की है. अब अगर कोई सरकारी कर्मचारी सरकार की अनुमति के बिना अदालत में गवाही देने जाता है, तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी. इतना ही नहीं, ऐसे कर्मचारियों को यात्रा भत्ता (टीए) और महंगाई भत्ता (डीए) भी नहीं दिया जाएगा. राज्य सरकार ने साफ कर दिया है कि सरकारी मामलों में कर्मचारी केवल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही गवाही देंगे.

मुख्य सचिव ने जारी किए आदेश
हरियाणा के मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी ने इस संबंध में आधिकारिक आदेश जारी कर दिए हैं. यह कदम भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) के नए प्रावधानों के तहत उठाया गया है, जिसमें गवाहों की जांच और अदालत में पेशी के लिए ऑडियो-वीडियो तकनीक का उपयोग अनिवार्य किया गया है. सरकार का मानना है कि इस तकनीक के माध्यम से सरकारी कर्मचारियों को बेवजह अदालतों के चक्कर लगाने से बचाया जा सकता है, जिससे सरकारी कामकाज पर असर नहीं पड़ेगा. मुख्य सचिव ने सभी प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्षों, बोर्डों और निगमों के प्रमुखों को निर्देश दिया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि कोई भी सरकारी कर्मचारी कोर्ट में भौतिक रूप से उपस्थित न हो और सिर्फ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही गवाही दें.

गवाही के लिए भौतिक उपस्थिति पर सख्ती
यदि किसी विशेष मामले में न्यायालय को गवाह की व्यक्तिगत उपस्थिति जरूरी लगती है, तो संबंधित कर्मचारी को अपने विभाग से लिखित अनुमति लेनी होगी. इसके लिए उसे स्पष्ट कारण बताने होंगे कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के बजाय उसकी व्यक्तिगत उपस्थिति क्यों आवश्यक है. कार्यालय प्रमुख इस अनुरोध की जांच करेगा और अनावश्यक रूप से ऐसी अनुमति देने से बचेगा. बिना पूर्व अनुमति के अदालत में जाने वाले कर्मचारियों को टीए-डीए नहीं दिया जाएगा और अनुशासनात्मक कार्रवाई भी हो सकती है. सरकार का मानना है कि इस फैसले से सरकारी कर्मचारियों का दुरुपयोग रोका जा सकेगा और प्रशासनिक कामकाज में अधिक पारदर्शिता आएगी.

पेपर लीक मामले में सख्त कार्रवाई
हरियाणा सरकार ने बोर्ड परीक्षाओं में पेपर लीक मामले को गंभीरता से लेते हुए कड़ा कदम उठाया है. मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने नूंह और पलवल जिलों के चार डीएसपी, तीन एचएचओ समेत कुल 25 पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है. इन अधिकारियों पर आरोप है कि वे अपनी ड्यूटी सही तरीके से निभाने में असफल रहे, जिसके कारण 12वीं बोर्ड परीक्षा का पेपर लीक हुआ. सरकार ने यह साफ कर दिया है कि प्रशासनिक लापरवाही को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई जारी रहेगी. सरकार के इन नए नियमों से यह स्पष्ट हो गया है कि हरियाणा में सरकारी कामकाज को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने की दिशा में बड़े सुधार किए जा रहे हैं. अब देखना यह होगा कि इन फैसलों का जमीनी स्तर पर कितना असर पड़ता है.

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