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Haryana HSSC Recruitment: हरियाणा सरकार ने खोला अपना पिटारा, इस गांव के सबसे ज्यादा युवाओं को मिली सरकारी नौकरी

Haryana HSSC: सिरसा के गांव रिसालिया खेड़ा की बात करें तो भाजपा सरकार के 11 साल के कार्यकाल में एक ही गांव से करीब 200 से 250 युवाओं को नौकरियां मिली है. इसके साथ ही हरियाणा के पूर्व सीएम मनोहर लाल ने पिछले साल इस गांव से करीब 40 युवाओं को एक साथ ही नौकरियां दी थी,

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Haryana HSSC Recruitment: हरियाणा सरकार ने खोला अपना पिटारा, इस गांव के सबसे ज्यादा युवाओं को मिली सरकारी नौकरी
Zee Media Bureau|Updated: May 23, 2025, 11:31 PM IST
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Sirsa News: कहते है कि मेहनत करने से क्या कुछ नहीं मिलता. बस लग्न से अपने काम में जुट जाओ, उसके बाद कामयाबी आपके कदम चूमेगी. ऐसा ही कुछ सिरसा जिले में हुआ है. सिरसा के गांव रिसालिया खेड़ा की बात करें तो भाजपा सरकार के 11 साल के कार्यकाल में एक ही गांव से करीब 200 से 250 युवाओं को नौकरियां मिली है. इसके साथ ही हरियाणा के पूर्व सीएम मनोहर लाल ने पिछले साल इस गांव से करीब 40 युवाओं को एक साथ ही नौकरियां दी थी, जिसके बाद से इस गांव की दिशा और दशा में और भी सुधार आया है. गांव में एक बड़ी गोशाला है, जहां युवाओं के साथ-साथ बुजुर्ग और महिलाएं भी गोसेवा में तत्पर रहते हैं. इस गांव में लाइब्रेरी भी है, जहां बच्चे स्कूल, कॉलेज से आने के बाद बड़े सुकून से अपनी पढ़ाई करते हैं.

2014 से लेकर 2024 तक योग्यता के आधार पर नौकरी मनोहर सरकार का नारा था और इसी नारे को अब सूबे में सीएम नायब सिंह सैनी ने तेज गति से आगे बढ़ाया है. 2024 में जब हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन (HSSC) ने ग्रुप सी का परिणाम घोषित किया तो यह नारा सिरसा जिला के लिए वरदान के रूप में साबित हो गया है. मंडी डबवाली के रिसालिया खेड़ा गांव के 40 से ज्यादा युवाओं का एक साथ चयन हुआ है. चयनित युवाओं का कहना है कि खर्ची-पर्ची का नियम चलता तो वे कभी चयनित नहीं होते. जानकारी के अनुसार हर सरकारी नौकरी की भर्ती में हर बार सबसे ज्यादा भर्ती सिरसा जिला में गांव रिसालिया खेड़ा से ही युवा होते है, जिनका जिक्र पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल और मौजूदा सीएम नायब सिंह सैनी खुद अपने भाषणों में बिना पर्ची बिना खर्ची नौकरी पाने वाले इस गांव के युवाओं को लेकर कर चुके है.

रिसालिया खेड़ा में सरकार ने बिना खर्ची, बिना पर्ची के योग्य युवाओं को रोजगार देने का वादा किया था. आज जब ग्रुप-सी का परिणाम आया तो यह बात साफ हो गई. गांव में चयनित हुए 90 प्रतिशत युवा ऐसे हैं, जो गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे थे. उनके पास खर्ची तो दूर की बात सिफारिश तक नहीं थी. ऐसे युवाओं को सरकारी नौकरी मिलना गांव के लिए गर्व की बात है.

वहीं रिसालिया खेड़ा के नजदीकी गांव रामगढ़ में आठ, दारेवाला में 7, बिज्जूवाली में 8 समेत दर्जनों गांवों के युवाओं को नौकरी मिली है. ग्रामीणों का कहना है कि सिफरिश का समय गया. नहीं तो लोग गट्टे में पर्ची डाल के लग जाते थे. आज भी वो समय होता तो कभी भी योग्यता का नंबर नहीं आना था. 

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वहीं चयनित युवाओं ने बताया कि वे सुबह-शाम-रात को मन लगाकर पढ़ाई करते हैं. सफलता में लाइब्रेरी का काफी योगदान रहा. उसने ऑनलाइन क्लासिज अटेंड की और इसका फायदा मिला. उनके पास सिफारिश या नौकरी के लिए खर्ची देन का माध्यम नहीं था. बिना खर्ची-पर्ची उसे नौकरी मिली है.
 
Input: Vijay Kumar

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