Nuh News: नूंह जिला के रोजका मेव स्थित आईएमटी में पिछले 14 महीनों से धरने पर बैठे किसानों ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया. इस बैठक में किसानों ने आगामी रणनीति का ऐलान करते हुए तीन मई को एक महापंचायत का आयोजन करने का निर्णय लिया.
किसानों ने बताया कि उन्होंने 7 अप्रैल को एक 'काम रोको महापंचायत' का आयोजन किया था. इस महापंचायत के दौरान किसानों ने काम रोकने का प्रयास किया, जिससे प्रशासन की ओर से अतिरिक्त उपायुक्त प्रदीप मलिक ने किसानों से वार्ता कराने का 20 दिन का समय लिया. लेकिन यह समय 30 अप्रैल को समाप्त हो गया और अब तक किसानों की किसी भी प्रशासनिक अधिकारी के साथ वार्ता नहीं हुई. इस स्थिति ने किसानों में सरकार और प्रशासन के प्रति भारी रोष उत्पन्न किया है.
किसानों ने स्पष्ट किया है कि वे अब पूरे आरपार के मूड में हैं. तीन मई को होने वाली महापंचायत की तैयारी में जुट गए हैं. इस महापंचायत में मेवात के मौलाना, किसान संगठनों के पदाधिकारी और प्रदेश किसान यूनियन के बड़े नेता शामिल होंगे. किसान नेता हाजी सिराजुद्दीन, मोहम्मद एसपी और जाहिद हुसैन ने कहा कि यह महापंचायत 'करो या मरो' के नारे के साथ आयोजित की जाएगी. इस महापंचायत में नौ गांवों के सभी वर्गों के लोग शामिल होंगे, जिसमें महिलाएं, युवा, बुजुर्ग और बच्चे भी शामिल हैं. किसानों ने यह स्पष्ट किया है कि चाहे सरकार उन्हें जेल में डाल दे या मुकदमे दर्ज करें, वे पीछे हटने वाले नहीं हैं. उनकी जान की परवाह किए बिना, वे अपने हक के लिए लड़ने के लिए तैयार हैं.
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किसान पिछले 12 वर्षों से संघर्ष कर रहे हैं और अब तक 12 बड़ी महापंचायतें आयोजित कर चुके हैं, जो बेनतीजा रही हैं. यदि तीन मई से पहले उनकी मुख्यमंत्री के साथ वार्ता नहीं हुई, तो वे तीन मई को आईएमटी में चक्काजाम करेंगे. उन्होंने कहा कि वे अब किसी भी रोकने वाले को नहीं मानेंगे. किसानों की मुख्य मांगों में 25 लाख रुपए प्रति एकड़ की राशि और किसानों से लिए गए एफिडेविट को रद्द करने की मांग शामिल है. वे अपने हक के लिए सरकार से लड़ाई जारी रखेंगे. नूंह जिला के आईएमटी रोजका मेव के लिए 2010 में 1600 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था. उस समय सरकार ने किसानों को प्रति एकड़ 25 लाख रुपए का मुआवजा दिया था.
इसके बाद, फरीदाबाद के चंदावली और मच्छगर गांवों के किसानों ने कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि उनकी जमीन को सस्ते दामों पर अधिग्रहित किया गया है. कोर्ट ने किसानों को प्रति एकड़ 2 करोड़ रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया. जब 9 गांवों के किसानों को इस बात का पता चला, तो उन्होंने भी लंबी लड़ाई लड़ी और सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया. सरकार ने किसानों से बातचीत करते हुए उनकी जमीन को 46 लाख रुपए प्रति एकड़ देने की बात कही और उनसे एफिडेविट पर साइन करवा लिए ताकि किसान कोर्ट में न जा सकें. सरकार ने सभी किसानों को 21-21 लाख रुपए देकर कहा कि आगे उन्हें 25-25 लाख और दिए जाएंगे, लेकिन अब तक किसानों को यह राशि नहीं मिली है.
Input: ANIL MOHANIA