Haryana News: हरियाणा के कुरुक्षेत्र, अंबाला, करनाल, कैथल और आसपास के क्षेत्रों की मंडियों में दोनों फसलों की आवक जोरो पर है. मगर किसानों को 2400 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी की बजाए मक्का का सिर्फ 1000 से 1400 रुपये ही रेट मिल रहा है. पूरी तरह सूख चुकी फसल का रेट भी ज्यादा से ज्यादा 1800 रुपये ही मिल रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इसको लेकर सरकार पर हमला किया. उन्होंने कहा कि एकबार फिर बीजेपी के उस दावे की पोल खुल गई है, जिसमें वो 24 फसलों पर एमएसपी देने की बात करती है. आज मंडियों में किसान की मक्का और सूरजमुखी एमएसपी से बेहद कम रेट में बिक रही है और सत्ताधारी बीजेपी आंखें बंद कर बैठी है.
उन्होंने कहा कि कागजों में सूरजमुखी का एमएसपी रेट 7280 रुपये है, लेकिन किसानों को मुश्किल से 6400 रुपये भाव मिल पा रहा है. यह सब इसलिए हो रहा है क्योंकि सरकारी खरीद नहीं हो रही है. खुद खरीद करने की बजाए सरकार ने जानबूझकर किसानों को प्राइवेट एजेंसियों के हवाले कर दिया. अब एजेंसियां मनमाने रेट पर फसल खरीद रही हैं और प्रति क्विंटल किसानों को 500 से 1000 रुपये का घाटा हो रहा है.
हुड्डा ने कहा है कि बीजेपी सरकार सत्ता में आने के बाद से न सिर्फ मक्की व सूरजमुखी, बल्कि धान, गेहूं समेत तमाम फसलों की एमएसपी के लिए किसान तरस रहे हैं. इस सरकार ने तो बाकायदा कानून लाकर एमएसपी को खत्म करने की भी प्लानिंग कर ली थी, लेकिन किसान आंदोलन के चलते उसे कानून वापिस लेने पड़े. मगर अब सरकार अप्रत्यक्ष तरीके से अपने मंसूबों को अंजाम दे रही है.
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बताया कि सरकार द्वारा लगातार किसानों पर दबाव बनाया जाता है कि धान छोड़कर मक्का की खेती करो. इसके लिए हर साल प्रोत्साहन राशि का भी ऐलान किया जाता है. लेकिन हर बार किसानों को धोखा ही हाथ लगता है. न उन्हें प्रोत्साहन राशि मिल पाती है और न ही एमएसपी. हरियाणा में बीजेपी सरकार उन फसलों की एमएसपी दे रही है, केवल कागजों और भाषणों में जो हरियाणा में पैदा ही नहीं होती.
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बीजेपी ने चुनावों से पहले वादा किया था कि सत्ता में आते ही धान को 3100 रुपये प्रति क्विंटल के रेट पर खरीदेंगे. बहकावे में आकर काफी किसानों ने बीजेपी वोट किया, लेकिन सत्ता हथियाते ही उसने अपना रूप दिखाना शुरू कर दिया. 3100 रुपये तो क्या किसानों को एमएसपी तक नहीं दी गई.
हुड्डा ने बताया कि बीजेपी सरकार की नीतियों के कारण किसानों को लागत से भी कम दाम पर अपनी फसल बेचनी पड़ती है. 2025-26 विपणन सीजन के लिए गेहूं की एमएसपी 2425 रुपये प्रति क्विंटल और धान की एमएसपी 2300 रुपये प्रति क्विंटल तय की गई है, लेकिन ये रेट सिर्फ कागजी साबित होते हैं. क्योंकि किसानों को मंडियों में गेहूं और धान 300 से 400 रुपये कम रेट पर बेचने को मजबूर होना पड़ता है.
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