Fatty Liver: फैटी लीवर रोग, जिसे गैर-अल्कोहल फैटी लीवर रोग (एनएएफएलडी) के रूप में भी जाना जाता है, एक पुरानी स्थिति है जहां लीवर में बहुत अधिक वसा जमा हो जाती है. यह लीवर को नुकसान पहुंचा सकता है और गंभीर जटिलताओं को जन्म दे सकता है.
गाजियाबाद स्थित यशोदा अस्पताल के सीनियर गैस्ट्रो अतुल सूद का कहना है कि जैसा की रिसर्च सामने आई है फैटी लिवर आईटी सेक्टर वालों को ज्यादा हो रहा है. ऐसे में फैटी लीवर का मतलब शरीर में फैट ज्यादा होना या ओबेसिटी होना कहीं न कहीं लोगों के दिनचर्या में फैट डिपॉजिट ज्यादा हो रहा है. जबकि एनर्जी कंजप्शन काम हो रहा है तो ऐसे में बॉडी बैंक में फैट का डिपाजिट ज्यादा होने से कहीं न कहीं ओबेसिटी और उसके बाद फैटी लिवर, बीपी शुगर आदि जैसी समस्याएं शुरू हो जाती है.
फैटी लीवर होने के तीन बड़े कारण है:
1. डाइट
2. इन-एक्टिविटी
3. शराब
इनके कारण से यह समस्या देखने को मिलती है पर नई रिसर्च के अनुसार मेटाबॉलिज्म को लेकर तीन कैटेगरी में फैटी लीवर डिजीज को बांट सकते हैं, जिसमें मेटाबॉलिक एसोसिएट फैटी लीवर कहां जाना चाहिए. शुरुआती स्टेज में फैटी लीवर होने से उसे रोका जा सकता है, पर सिरोसिस की दिक्कत होने या बढ़ाने के बाद लीवर पर ढब्बे आ जाते हैं. जिनको रिवर्स करना मुश्किल होता है.
फैटी लीवर होने से कैसे बचे
डाइट में 18 घंटे की फास्टिंग और बाकी 8 घंटे में 2 मिनट कम कैलोरी के फूड और सब्जियां और फल आदि लेने से फैटी लीवर की समस्या से बचा जा सकता है.
Input: Piyush Gaur