Karnail Singh: होली का त्योहार नजदीक आते ही देशभर में रंगों की तैयारी जोरों पर है, लेकिन इस बार दिल्ली में यह त्योहार सियासी रंग में भी रंगता नजर आ रहा है. दिल्ली में बीजेपी विधायक करनैल सिंह के एक बयान ने राजनीतिक बहस को जन्म दे दिया है. करनैल सिंह जो दिल्ली के शकूरबस्ती विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं, उन्होंने मुस्लिम समुदाय से अपील की कि वे इस बार होली के दिन घर में नमाज पढ़ें, जिससे त्योहार शांतिपूर्ण तरीके से मनाया जा सके.
#WATCH | Delhi: BJP MLA Karnail Singh says, " I request my Muslim brothers, our festival (Holi) comes once a year. We respect you, you also please respect our festival and offer Namaz at your homes only...we need to maintain peace...I request you to offer Namaz this time at your… pic.twitter.com/maVP631JlN
— ANI (@ANI) March 12, 2025
बीजेपी विधायक की अपील पर उठे सवाल
एएनआई से बातचीत में करनैल सिंह ने कहा कि मुसलमान भाइयों से अपील करूंगा कि एक साल में एक बार होली आती है, जबकि साल में 52 शुक्रवार होते हैं. हम आपके त्योहारों का सम्मान करते हैं, आप भी हमारा करिए. इस बार आप नमाज घर में ही पढ़िए ताकि किसी को कोई शिकायत न हो और शांति बनी रहे. उनके इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू हो गया. बीजेपी विधायक के इस बयान पर विपक्षी दलों ने कड़ी आपत्ति जताई और इसे धार्मिक ध्रुवीकरण की कोशिश बताया. आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस ने करनैल सिंह पर सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने का आरोप लगाया.
विपक्ष का हमला-धर्म को राजनीति से दूर रखें
AAP के वरिष्ठ नेता संजय सिंह ने कहा कि बीजेपी सिर्फ धार्मिक ध्रुवीकरण की राजनीति करना चाहती है. त्योहारों को लेकर इस तरह की अपील करना जनता को बांटने की कोशिश है. दिल्ली गंगा-जमुनी तहजीब का शहर है, यहां हर कोई मिल-जुलकर त्योहार मनाता है. कांग्रेस नेता सलीम खान ने भी करनैल सिंह पर हमला बोलते हुए कहा कि किसी भी धर्म के लोगों को अपने धार्मिक कार्य करने की आजादी है. किसी को यह तय करने का अधिकार नहीं कि कौन कब और कहां अपनी इबादत करेगा. बीजेपी जानबूझकर इस तरह के बयान देकर लोगों को बांटने का काम कर रही है.
करनैल सिंह ने दिया जवाब, बयान पर कायम
सियासी हंगामे के बाद जब करनैल सिंह से उनके बयान पर प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने स्पष्ट किया कि वह अपनी बात पर कायम हैं. उन्होंने कहा कि मैंने किसी को बाध्य नहीं किया, केवल शांति और सौहार्द बनाए रखने की अपील की है. अगर हम एक-दूसरे के त्योहारों का सम्मान करेंगे तो समाज में भाईचारा बना रहेगा. होली रंगों और खुशियों का त्योहार है, इसे किसी विवाद में नहीं डालना चाहिए.
उत्तर प्रदेश से आई थी ऐसी ही अपील
दिल्ली में यह विवाद ऐसे समय में हुआ जब उत्तर प्रदेश में भी इसी तरह की अपील ने सुर्खियां बटोरी थी. यूपी के संभल जिले के पुलिस अधिकारी ने भी मुस्लिम समुदाय से अपील की थी कि वे होली के दिन नमाज घर पर अदा करें, क्योंकि होली साल में एक बार आती है, जबकि शुक्रवार 52 बार आता है. हालांकि, इस बयान के बाद पुलिस प्रशासन ने सफाई दी थी कि यह केवल शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए सुझाव था, कोई बाध्यता नहीं.
राजनीतिक सरगर्मी और चुनावी समीकरण
विशेषज्ञों का मानना है कि बीजेपी का यह बयान चुनावी राजनीति से प्रेरित हो सकता है. अगले कुछ महीनों में दिल्ली में निकाय चुनाव और फिर 2029 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी धार्मिक मुद्दों को उठाकर अपने हिंदू वोट बैंक को मजबूत करने की कोशिश कर रही है. वहीं, विपक्षी दल इसे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की साजिश बताकर अल्पसंख्यकों के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं.
क्या दिल्ली की राजनीति पर पड़ेगा असर?
दिल्ली की राजनीति में यह मुद्दा कितना असर डालेगा, यह तो आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा, लेकिन इतना तय है कि होली के इस रंगारंग त्योहार ने सियासी रंग भी ले लिया है. बीजेपी अपनी रणनीति पर कायम है, जबकि विपक्ष इस पर हमलावर रुख अपनाए हुए है. अब देखना यह होगा कि जनता इस विवाद को कैसे लेती है और क्या यह आने वाले चुनावों में कोई भूमिका निभाएगा.
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