Delhi Metro News: दिल्ली मेट्रो अब देश में एक और नया इतिहास रचने जा रही है. पहली बार भारत में ऐसा मेट्रो कॉरिडोर शुरू होने जा रहा है, जो विशेष रूप से 3 कोच वाली मेट्रो ट्रेनों के संचालन के लिए बनाया गया है. यह नया कॉरिडोर लाजपत नगर से साकेत जी ब्लॉक तक फैला होगा और इसकी कुल लंबाई करीब 8 किलोमीटर होगी. दिल्ली मेट्रो के फेज-IV का हिस्सा यह रूट, राजधानी के शहरी ट्रांसपोर्ट नेटवर्क में न सिर्फ एक नया आयाम जोड़ता है, बल्कि यात्री सुविधा, ऊर्जा बचत और बेहतर प्रबंधन का एक आदर्श उदाहरण भी बनेगा.
क्यों खास है यह नई मेट्रो लाइन
डीएमआरसी के अनुसार देश में अब तक 4, 6 या 8 कोच वाली मेट्रो ट्रेनों का ही उपयोग किया जाता रहा है. लेकिन लाजपत नगर-साकेत जी ब्लॉक मेट्रो कॉरिडोर पर चलने वाली 3 कोच वाली ट्रेनों का प्रयोग एक स्मार्ट, सस्ता और कुशल समाधान के रूप में सामने आ रहा है. इस कॉरिडोर को विशेष रूप से कम दूरी की यात्रा और मध्यम संख्या में यात्रियों को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है. इससे न सिर्फ ट्रेन की लंबाई कम होगी, बल्कि फ्रीक्वेंसी ज्यादा और परिचालन लागत कम होगी.
सुविधाओं से भरपूर और भविष्य के लिए तैयार
इस कॉरिडोर में 3 कोच वाली मेट्रो ट्रेन में हर कोच में करीब 300 यात्री बैठ और खड़े हो सकते हैं. यानी एक ट्रेन में कुल 900 यात्रियों की क्षमता होगी. छोटी ट्रेनें कम ऊर्जा खर्च करेंगी और कम समय में टर्नअराउंड कर सकेंगी. जिससे सेवा तेज, सटीक और लगातार बनी रहेगी. इसका फायदा यह होगा कि पीक ऑवर्स में भी यात्रियों को लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा और भीड़-भाड़ में भी यात्रा आरामदायक और सुगम रहेगी.
स्टेशन और प्रमुख कनेक्टिविटी
इस कॉरिडोर पर 8 अहम स्टेशन होंगे जो दक्षिण और मध्य दिल्ली के प्रमुख रिहायशी और वाणिज्यिक क्षेत्रों से जुड़ेंगे.
1. लाजपत नगर | पिंक और वायलेट लाइन से इंटरचेंज |
2. एंड्रयूज गंज | रिहायशी और संस्थानों की पहुंच |
3. जीके-1 |
ग्रेटर कैलाश के लोगों के लिए बड़ा तोहफा |
4. चिराग दिल्ली | मैजेंटा लाइन से इंटरचेंज |
5. पुष्पा भवन | सेक्टर 1, 3, 4 और 7 के निवासियों को फायदा |
6. साकेत कोर्ट | कोर्ट, मॉल और ऑफिस क्षेत्र को कनेक्ट करेगा |
7. पुष्प विहार | सेक्टर 1, 3, 4 और 7 के निवासियों को फायदा |
8. साकेत जी ब्लॉक |
गोल्डन लाइन से इंटरचेंज, एयरपोर्ट से जोड़ |
अनुमानित राइडरशिप और भविष्य की योजनाएं
दिल्ली मेट्रो को उम्मीद है कि इस कॉरिडोर पर 2025 तक प्रतिदिन 60,000 से 80,000 यात्री यात्रा करेंगे. वहीं 2041 तक यह संख्या बढ़कर 1.20 लाख प्रतिदिन हो सकती है. स्टेशन बॉक्स की लंबाई भी 74 मीटर रखी गई है, जो 3 कोच ट्रेन के लिए आदर्श है. हालांकि भविष्य में इसे बड़ा कर लंबी ट्रेनें भी चलाई जा सकती हैं, यदि राइडरशिप और मांग बढ़ती है.
पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद
इस नई प्रणाली का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह कम ऊर्जा में काम करेगी और मेट्रो का संचालन आर्थिक रूप से विवेकपूर्ण रहेगा. दिल्ली मेट्रो ने इसे एक भविष्य के लिए तैयार समाधान के रूप में पेश किया है, जिसमें यात्रियों की सुविधा, कम खर्च, अधिक कुशल संचालन और पर्यावरण के अनुकूल तकनीक का शानदार संतुलन है.
शहरी परिवहन में नया मील का पत्थर
यह कॉरिडोर दिल्ली मेट्रो की सोच और तकनीकी दक्षता का प्रतीक है. मौजूदा लाइनों पर भीड़भाड़ को कम करना, यात्रियों के लिए बेहतर इंटरचेंज विकल्प देना और दक्षिण व मध्य दिल्ली के बीच लास्ट माइल कनेक्टिविटी को सशक्त बनाना, ये सब इस परियोजना के मूल उद्देश्य हैं. आने वाले वर्षों में यह मॉडल अन्य शहरों में भी अपनाया जा सकता है, जो शहरी यात्रा को अधिक स्मार्ट, सुलभ और सतत बना सके.
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