Indian Railways: भारतीय रेलवे की वृद्धि के साथ, इसकी ट्रेनों और संबंधित बुनियादी ढांचे की दक्षता और प्रभावशीलता में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है. विशेष ट्रेनें जैसे वंदे भारत एक्सप्रेस, शताब्दी एक्सप्रेस और राजधानी एक्सप्रेस ने यात्रियों को अधिकतम सुविधाओं के साथ उनकी डेस्टिनेशन तक पहुंचने में मदद की है. मगर क्या आप जानते हैं कि भारतीय रेलवे इन विशेष ट्रेनों का मालिक नहीं है? अगर भारतीय रेलवे नहीं तो फिर आखिर कौन है एक्सप्रेस ट्रेनों का मालिक, जानें
वंदे भारत, राजधानी, शताब्दी एक्सप्रेस का मालिक कौन?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारतीय रेलवे नहीं बल्कि भारतीय रेलवे वित्त निगम (IRFC) इन सभी इंजनों, मालगाड़ियों और वंदे भारत, राजधानी, शताब्दी जैसी यात्री कोचों का मालिक है. ये ट्रेनें रेलवे को 30 वर्षों के लिए लीज पर दी गई हैं, जिसमें आईआरएफसी द्वारा वित्तपोषण प्रदान किया जाता है. लीज नियमों के अनुसार, इन ट्रेनों का स्वामित्व पूरी अवधि के लिए IRFC के पास रहता है.
IRFC के संपत्ति ये ट्रेनें
तकनीकी रूप से, ये कोच IRFC की संपत्ति हैं. यही कारण है कि प्रीमियम ट्रेनों जैसे वंदे भारत एक्सप्रेस और शताब्दी को IRFC के संपत्तियों के रूप में माना जाता है. वास्तव में, भारतीय रेलवे के लगभग 80% यात्री और मालगाड़ियां IRFC के स्वामित्व में हैं, जो भारतीय रेलवे के विकास में इस कंपनी की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करता है.
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भारतीय रेलवे ने FY25 में कोच निर्माण में 9% की वृद्धि दर्ज की है, जिसमें 7,134 कोचों का निर्माण किया गया है. पिछले वित्तीय वर्ष (FY24) में 6,541 कोचों के मुकाबले यह वृद्धि महत्वपूर्ण है. पिछले वित्तीय वर्ष में, आम आदमी की जरूरतों को पूरा करने के लिए गैर-एसी कोचों पर विशेष जोर दिया गया था, जिसमें 4,601 कोचों का उत्पादन किया गया.
रेलवे बुनियादी ढांचे का आधुनिकीकरण
रेल मंत्रालय के अनुसार, वार्षिक औसत कोच उत्पादन 2004-14 में 3,300 से बढ़कर 2014-24 में 5,481 हो गया है, जिसमें पिछले दशक में कुल 54,809 कोचों का उत्पादन हुआ है. यह वृद्धि भारत के रेलवे बुनियादी ढांचे को आधुनिक बनाने पर बढ़ती जोर को दर्शाती है, ताकि यात्रियों की बढ़ती मांग को पूरा किया जा सके.
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