Interesting Facts: बच्चों की लोरी हो या किताबों की कहानी गो या कविता ही क्यों न हो, उसमें चंद्रमा को चंदा मामा कहने का जिक्र मिलता है. यह भारतीय संस्कृति और पौराणिक कथाओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि चांद को मामा का दर्जा क्यों मिला? इस सवाल का उत्तर जानने के लिए हमें पौराणिक मान्यताओं की ओर देखना होगा. आइए जानते हैं कि चांद को चंदा मामा क्यों कहते हैं ?
चंद्रमा को चंदा मामा क्यों कहते हैं ?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां लक्ष्मी की उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई. समुद्र मंथन के दौरान 14 रत्न निकले, जिसमें चंद्रमा भी शामिल था. इन सभी को भाई-बहन कहा जाता था. चंद्रमा को मां लक्ष्मी का भाई माना जाता है. माता लक्ष्मी को देवी के रूप में पूजा जाता है और इसलिए उनके भाई चंद्रमा को मामा कहा जाता है. यह संबंध चंद्रमा को विशेष दर्जा देता है.
बच्चों के लिए चंदा मामा एक प्रिय पात्र है. स्कूल की किताबों और दादी-नानी की कहानियों में चंदा मामा का जिक्र मिलता है. जैसे कि 'हठ कर बैठा चांद एक दिन माता से यह बोला...' और 'चंदा मामा दूर के...' जैसी कविताएं बच्चों को आकर्षित करती हैं. ये कविताएं न केवल मनोरंजन करती हैं, बल्कि बच्चों को चंद्रमा के प्रति एक विशेष लगाव भी देती हैं.
शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा
शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा की जाती है. मां लक्ष्मी समृद्धि और सौंदर्य की प्रतीक हैं, जबकि चंद्रमा शीतलता और मन की शांति का प्रतीक है. इस दिन, लोग चंद्रमा की किरणों को लक्ष्मी की कृपा का प्रतीक मानते हैं और खीर बनाकर चांद की रोशनी में रखते हैं.