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World Military Wrestling Championship : बहादुरगढ़ के पहलवान सुमित दलाल ने जीता गोल्ड, गांव में हुआ जमकर स्वागत

Haryana News: विदेशी धरती से जीतकर लौटे पहलवानों को फूलों की माला पहनाकर और मिठाई खिलाकर स्वागत किया गया. जेजेपी नेता संजय दलाल ने जिला परिषद से अखाड़े में 11 लाख की लागत से कुश्ती हॉल बनाने की बात भी कही है.

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World Military Wrestling Championship : बहादुरगढ़ के पहलवान सुमित दलाल ने जीता गोल्ड
World Military Wrestling Championship : बहादुरगढ़ के पहलवान सुमित दलाल ने जीता गोल्ड
Zee Media Bureau|Updated: Jul 01, 2025, 02:40 PM IST
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Bahadurgarh News: हरियाणा के पहलवानों ने हमेशा की तरह  एक बार फिर से देश का गौरव बढ़ाया है. बहादुरगढ़ में मांडौठी गांव के रेसलर सुमित दलाल ने वर्ल्ड मिलिट्री कुश्ती चैंपियनशिप में गोल्ड जीता है. ग्रीको रोमन कुश्ती का पहलवान सुमित देश का पहला ऐसा रेसलर है जिसने यह उपलब्धि हासिल की है. सुमित बैक टू बैक गोल्ड मेडल जीतकर इस मुकाम तक पहुंचे. इससे पहले अंडर 23 एशिया चैंपियनशिप में भी सुमित ने स्वर्ण पदक हासिल किया था. हिंद केसरी सोनू अखाड़े के पहलवान है सुमित दलाल का सपना ओलंपिक में पदक हासिल करना है. लौटकर आए पहलवानों का गांव वालों ने स्वागत किया और उनका मनोबल बढ़ाया.

सुमित के अलावा हिंद केसरी सोनू अखाड़े के दो और पहलवानों ने भी एशिया चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीते हैं. पहलवान अर्जुन रूहल ने 92 किलो भारवर्ग की फ्री स्टाइल कुश्ती में गोल्ड मेडल हासिल किया. वहीं पहलवान हरदीप छिल्लर ने 110 किलो भार वर्ग की ग्रीको रोमन कुश्ती स्पर्धा में गोल्ड हासिल किया है.

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अर्जुन अवार्डी कोच धर्मेंद्र ने कहा कि पहलवानों ने अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में इस बार गजब का प्रदर्शन किया है. उन्हें उम्मीद है कि ये पहलवान ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करेंगे और साथी खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा बनेंगे. बहादुरगढ़ से विधायक राजेश जून ने पहलवानों का फूलमालाओं के साथ स्वागत किया और उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं. वहीं 

ग्रीको रोमन रेसलिंग होती क्या है?

1896 में पहले आधुनिक ओलंपिक खेलों में ग्रीको रोमन रेसलिंग को शामिल किया गया था. कुश्ती यह शैली प्रतिद्वंद्वी को कमर से नीचे पकड़ने से रोकती है. यही विशेषता है इसे फ्रीस्टाइल कुश्ती से अलग करती है. पहले ग्रीको रोमन कुश्ती में प्रतिद्वंद्वी के शरीर पर मारना, गला दबाना और सिर पर मुक्का मारना जायज था. कई बार विरोधी को कमजोर करने के लिए कास्टिक पदार्थों का इस्तेमाल किया जाता था.

इनपुट : सुमित 

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