trendingNow/india/delhi-ncr-haryana/delhiHaryana02777164
Home >>Delhi-NCR-Haryana

Haryana News: पैरालंपिक तीरंदाज हरविंदर सिंह को मिला पद्मश्री, जानें इनके संघर्ष की कहानी

Haryana Hindi News: 2012 में पंजाब यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने के बाद उन्होंने तीरंदाजी को गंभीरता से अपनाया. यहीं से उनकी जिंदगी ने नया मोड़ लिया. कोच की देखरेख में कठिन प्रशिक्षण और अटूट मेहनत ने उन्हें पैरा-तीरंदाजी में एक उभरता सितारा बनाया. प्रारंभिक जीवन की सादगी, संघर्ष और दृढ़ संकल्प ने उन्हें आज भारत का गौरव बनाया, जो पदम श्री, अर्जुन पुरस्कार और पैरालंपिक स्वर्ण पदक जैसे सम्मानों तक पहुंचा.    

Advertisement
Haryana News: पैरालंपिक तीरंदाज हरविंदर सिंह को मिला पद्मश्री, जानें इनके संघर्ष की कहानी
Zee Media Bureau|Updated: May 28, 2025, 08:08 PM IST
Share

Kaithal News: पैरालंपिक तीरंदाजी में भारत को पहला स्वर्ण पदक दिलाने वाले हरविंदर सिंह को राष्ट्रपति भवन में भारत सरकार ने पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया. कैथल के इस गौरवशाली नायक का अपने गांव अजीमपुर पहुंचने पर स्थानीय लोगों ने फूल-मालाओं और ढोल-नगाड़ों के साथ भव्य स्वागत किया. 

हरविंदर के पिता ने गर्व भरे लहजे में कहा, मुझे अपने बेटे पर बहुत गर्व है. उसने न केवल हमारा, बल्कि पूरे देश का नाम रोशन किया. वहीं, हरविंदर की पत्नी ने भावुक होते हुए कहा, परिवार के संघर्षों का फल मिला है. जब कोई अवार्ड मिलता है तो दिल को सुकून और गर्व महसूस होता है.

हरविंदर ने 2012 में पंजाब यूनिवर्सिटी, पटियाला से तीरंदाजी की शुरुआत की थी. अपनी मेहनत और लगन से उन्होंने 2018 के पैरा एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक जीता. 2021 में भारत सरकार ने उन्हें अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया. 2023 में चीन में आयोजित एशियन पैरा गेम्स में कांस्य पदक और 2024 में पेरिस पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतकर हरविंदर ने इतिहास रच दिया. वे पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय तीरंदाज बने. हरविंदर की इस उपलब्धि ने न केवल कैथल बल्कि पूरे देश को गर्व का मौका दिया है. उनकी कहानी मेहनत, लगन और देशभक्ति का जीवंत उदाहरण है. 

हरविंदर ने कहा कि उन्होंने अपनी कमजोरी को अपना औजार बनाया और संघर्ष किया. यहां तक कि जब कोविड के समय सभी अकादमी बंद हो गई थी तो वह निराश नहीं हुए और इस आपदा को अवसर में बदला. उनके पिता ने सहयोग किया और खेतों की जमीन को समतल करके तीरंदाजी के लिए टारगेट लगाकर ग्राउंड बना लिया और वहां लगातार इसका अभ्यास किया और वही मेहनत का नतीजा है कि आज सरकार ने पद्मश्री से नवाजा है. इसके लिए वह सरकार का भी धन्यवाद करते हैं कि मेरी मेहनत को सराहना दी है.

ये भी पढ़ें: हरियाणा के इस जिले में पटाखों पर पूरी तरह से बैन, उल्लंघन करने पर होगी जेल

हरविंदर सिंह का प्रारंभिक जीवन चुनौतियों और संघर्षों से भरा रहा, जो उनकी सफलता की नींव बना. हरियाणा के कैथल जिले के अजीमपुर गांव में जन्मे हरविंदर का बचपन साधारण परिवेश में बीता. बचपन में ही एक दुर्घटना के कारण उनकी शारीरिक अक्षमता हुई, जिसने उनके जीवन को नई दिशा दी.

छोटे से गांव में सीमित संसाधनों के बीच पले-बढ़े हरविंदर ने हिम्मत नहीं हारी. उनके परिवार, खासकर माता-पिता ने उनका हर कदम पर साथ दिया. खेती-बाड़ी से जुड़े परिवार में आर्थिक तंगी के बावजूद, उनके पिता ने उनकी पढ़ाई और खेल के प्रति रुचि को प्रोत्साहित किया. हरविंदर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय स्कूल से पूरी की और खेलों के प्रति उनकी रुचि स्कूल के दिनों में ही उभरने लगी थी. 

INPUT: VIPIN SHARMA

हरियाणा की नवीनतम अपडेट्स के लिए ज़ी न्यूज़ से जुड़े रहें! यहाँ पढ़ें Haryana News in Hindi और पाएं Haryana latest news in hindi  हर पल की जानकारी । हरियाणा  की हर ख़बर सबसे पहले आपके पास, क्योंकि हम रखते हैं आपको हर पल के लिए तैयार। जुड़े रहें हमारे साथ और बने रहें अपडेटेड!

Read More
{}{}