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AIIMS Research: फेफड़ों के मरीजों के लिए जानलेवा हो सकता है CPA, एम्स का नया रिसर्च

AIIMS Delhi: शोध में यह भी बताया गया कि 60 वर्ष से अधिक आयु के लोग, इंटरस्टिशियल लंग डिजीज, वर्तमान कैंसर और धूम्रपान से संबंधित फेफड़ों की बीमारियों वाले व्यक्तियों में स्थिति और भी गंभीर हो सकती है. 

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AIIMS Research: फेफड़ों के मरीजों के लिए जानलेवा हो सकता है CPA, एम्स का नया रिसर्च
Vipul Chaturvedi|Updated: Dec 02, 2024, 01:07 PM IST
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Delhi AIIMS News: क्रोनिक पल्मोनरी एस्परगिलोसिस (CPA) एक सामान्य फंगल संक्रमण है, जिसकी वजह से दुनियाभर में हर साल 340,000 लोगों की मौत हो जाती है. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के मुताबिक यह संक्रमण फेफड़ों की बीमारियों से ग्रस्त 1 में से 3 मरीजों के लिए जानलेवा हो सकता है.

CPA का कारण और लक्षण 
CPA एस्परगिलस नामक फफूंदी के हवा में मौजूद बीजाणुओं के संपर्क में आने से होता है. यह फेफड़ों में महीनों और वर्षों तक धीरे-धीरे दाग लगाता है.  सीपीए से पीड़ित व्यक्ति में अत्यधिक थकान, वजन कम होना, सांस लेने में कठिनाई और खून की खांसी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. हालांकि अधिकांश लोगों का CPA में आना हानिकारक नहीं होता, लेकिन यह फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने वाले व्यक्तियों के लिए गंभीर हो सकता है.

8,778 मरीजों की मृत्यु दर का अध्ययन
AIIMS दिल्ली के शोधकर्ताओं ने 8,778 मरीजों के मृत्यु दर का अध्ययन किया, जिनमें अंटार्कटिका को छोड़कर सभी महाद्वीपों के लोग शामिल थे. जर्नल The Lancet Infectious Diseases में प्रकाशित इस शोध के मुताबिक जो  लोग पहले से फेफड़ों की बीमारियों से पीड़ित हैं, उनमें से करीब 32% लोगों की मौत अगले 5 साल में हो सकती है, जो CPA से संक्रमित हो गए हैं. वहीं सीपीए से पीड़ित लगभग 15 प्रतिशत लोग फेफड़ों की अन्य बीमारियों के कारण पहले वर्ष में मर सकते हैं. 

टीबी और CPA का संबंध
एम्स दिल्ली के डॉ. अभिनव सेनगुप्ता और डॉ. अनिमेष रे ने यह शोध किया. मैनचेस्टर विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं सहित अंतरराष्ट्रीय अध्ययन से पता चला है कि पूर्व तपेदिक (टीबी) वाले 25% सीपीए रोगियों की मृत्यु दर 5 साल कम थी. शोधकर्ताओं ने अध्ययन के दौरान पाया कि सीपीए वाले मरीजों में टीबी का गलत उपचार किया जाता है और फिर एंटीफंगल एजेंटों के साथ इलाज नहीं किया जाता है.

इन लोगों को सबसे ज्यादा खतरा 
शोध में यह भी बताया गया कि 60 वर्ष से अधिक आयु के लोग, इंटरस्टिशियल लंग डिजीज, वर्तमान कैंसर और धूम्रपान से संबंधित फेफड़ों की बीमारियों वाले व्यक्तियों में स्थिति और भी गंभीर हो सकती है. 

 

उपचार के लिए क्या है जरूरी?
इस अध्ययन से यह स्पष्ट है कि CPA लोगों खासकर विशेष रूप से फेफड़ों की बीमारियों से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए एक गंभीर स्थिति है. समय पर निदान और उपचार से जीवन को बचाने की संभावना बढ़ाई जा सकती है. शोधकर्ताओं ने कहा कि सीपीए के लक्षणों में सुधार लाने और मौत के खतरे को कम करने के लिए एंटिफंगल दवाओं या सर्जरी से उपचार जरूरी है.

इनपुट: आईएएनएस 

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